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अदरक की खेती है मुनाफे का सौदा, जानें कैसे होगी अच्छी पैदावार

अदरक भारत की एक मसाले वाली फसल है. किसी भी व्यंजन में थोड़ी-सी अदरक उसे स्वादिष्ट बना देता है. लोग अदरक वाली चाय ठंड के दिनों में खूब पीना पसंद करते हैं. अदरक लोगों को सर्दी और जुकाम से भी बचाता है. इसे दवाई और आचार के तौर पर भी इस्तेमाल में लाया जाता है. भारत में अदरक की सबसे ज्यादा पैदावार कर्नाटक, उड़ीसा, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और गुजरात में होती है. अदरक की बुवाई का उत्तम समय मई-जून है, लेकिन सिंचाई आधारित दशा में फरवरी के बीच में या मार्च के शुरू में इसकी बुआई की जा सकती है. आइए जानते हैं बुवाई की विधि.

अभिषेक सिंह

अदरक भारत की एक मसाले वाली फसल है. किसी भी व्यंजन में थोड़ी-सी अदरक उसे स्वादिष्ट बना देता है. लोग अदरक वाली चाय ठंड के दिनों में खूब पीना पसंद करते हैं. अदरक लोगों को सर्दी और जुकाम से भी बचाता है. इसे दवाई और आचार के तौर पर भी इस्तेमाल में लाया जाता है. भारत में अदरक की सबसे ज्यादा पैदावार कर्नाटक, उड़ीसा, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और गुजरात में होती है. अदरक की बुवाई का उत्तम समय मई-जून है, लेकिन सिंचाई आधारित दशा में फरवरी के बीच में या मार्च के शुरू में इसकी बुआई की जा सकती है. आइए जानते हैं बुवाई की विधि.

अदरक की उन्नत किस्में

अदरक की कई उन्नत किस्में पाई जाती हैं. इनमें आईआईएसआर, सुप्रभा, सुरुची, हिमगिरी, आईआईएसआर रजाता शामिल हैं. वहीं, बात करें फसल अवधि की तो आईआईएसआर 200 दिन, सुप्रभा 229 दिन, सुरुची 218 दिन, सुरभि 225 दिन और हिमगिरी की फसल 230 दिनों में काटने लायक हो जाती है.

खेत की तैयारी

सबसे पहले खेत में अनुशंसित मात्रा में गोबर की सड़ी खाद या फिर कंपोस्ट डाल दें. इसके बाद देसी हल से 2 से 3 बार आड़ी-तिरछी जुताई करके खेत को समतल बना लें. साथ ही खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट दें. आखिरी जुताई के समय उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा का प्रयोग करना चाहिए.

बुवाई 

अदरक को 40 सेमी के अंतराल पर बोना चाहिए. मेड़ या कूड़ विधि से बुवाई करनी चाहिए. बाद में अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या मिट्टी से ढक देना चाहिए. अगर रोपना है, तो कतार से कतार 30 सेमी और पौध से पौध 20 सेमी पर करे. भूमि की दशा या जलवायु के प्रकार के अनुसार समतल कच्ची क्यारी, मेड-नाली आदि विधि से अदरक की वुवाई या रोपण किया जाता है. वहीं, हल्की और ढालू भूमि में समतल विधि द्वारा रोपण या वुवाई की जाती हैं. खेती में जल निकास के लिए कुदाली या देसी हल से 5-6 सेमी गहरी नाली बनाई जाती है, जो जल के निकास में सहायक होती हैं. इन नालियों में कंदों को 15-20 सेमी की दूरी पर रोपा जाता है, जबकि रोपण के दो माह बाद पौधो पर मिट्टी चढ़ाकर मेडनाली विधि बनाने से फायदा होता है.

खाद और उर्वरक

बुआई के समय 25-30 टन/हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह अपघटित गोबर खाद या कंपोस्ट को बडों के ऊपर बिखेर कर या बुआई के समय बड़ों में छोटे गढ्डे करके उसमें डाल देना चाहिए. बुआई के समय 2 टन/ हेक्टेयर की दर से नीम केक का उपयोग करने से प्रकांड गलन रोग और सूत्रकृमियों का प्रभाव कम होता है जिससे उपज बढ़ जाती है.

अदरक की कटाई

अदरक की फसल लगभग 7 से 8 महीनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. अगर फसल का प्रयोग मसाले बनाने में करना है, तो इसकी लगभग 6 माह बाद कटाई कर देनी चाहिए. इसके अलावा फसल तो नए उत्पाद बनाने के लिए उगा रहे है तो कटाई लगभग 8 माह में कर दें. फसल में जब पत्ते पीले और पूरी तरह सूखने लगे तो समझ जाए कि फसल कटाई के लिए तैयार है. इसके बाद गांठों को उखाड़कर बाहर निकाल दें और 2-3 बार पानी से धोकर साफ करें. अब 2-3 दिनों के लिए छांव में सूखा लें.

पैदावार

अदरक की उन्नत किस्मों और बढ़िया तरीके से बुवाई कर लगभग 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार कर सकते है. इतना पैदावार हमारे किसान भाइयों के लिए मुनाफे का सौदा है. हमारे किसान भाई अदरक की खेती से अपने अन्य कार्य भी कर पाएंगे.

English Summary: know Process of ginger farming and best seeds Published on: 08 October 2020, 09:45 PM IST

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