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खजूर में लगने वाले रोग एवं उनका प्रबंधन, उन्नत किस्में और स्वास्थ्य लाभ

खजूर पामेसी कुल का पौधा है जो एकलिंगी (डायोसियस) श्रेणी में आता है, यानि एक एक पेड़ पर नर या मादा फूल एक साथ नहीं होते. इन श्रेणी के नर और मादा वृक्ष अलग-अलग होते हैं. एक वयस्क खजूर पर 100-150 तक हरी पत्तियाँ होती है.

हेमन्त वर्मा

खजूर एक पामेसी कुल का पौधा है जो एकलिंगी (डायोसियस) श्रेणी में आता है, यानि एक पेड़ पर नर या मादा फूल एक साथ नहीं होते. इन श्रेणी के नर और मादा वृक्ष अलग-अलग होते हैं. एक वयस्क खजूर पर 100-150 तक हरी पत्तियाँ होती है. इसका एक पौधा प्रति वर्ष औसतन 10-26 नई पत्तियाँ पैदा करता है. इसके फल गुच्छे (कलस्टर) में होते है. एक अच्छा उत्पादक पेड़ 10 गुच्छों के साथ 100 किलो तक फल आसानी से पैदा कर सकता है. इसका फल परागण से पूर्ण रूप से पकने तक लगभग 200 दिन का समय लेता है. जो पाँच अवस्थाओं से गुजरता है- हब्बाक, गंडोरा, डोका, डेंग और पिण्ड.

खजूर के फल गुच्छों की संघाई (प्रूनिंग) और कटाई (ट्रेनिंग) कैसे करें (How to do pruning and training of date fruits bunches)

गुच्छों में फल बनने के बाद उनके मुख्य डंठल को अप्रैल-मई में इस प्रकार मोड़ना चाहिए कि गुच्छे पत्तियों के नीचे सीधे लटके रहे. ऐसा करने से पूर्ण विकसित एवं कड़े होने पर ये डंठल फलों के बोध से टूटते तथा गुच्छे पत्तियों के डंठलों के घर्षण से बचे रहते हैं. इससे फलों को पक्षियों के नुकसान से बचाया भी जा सकता है.

फल गुच्छों की प्रति वृक्ष संख्या का नियंत्रण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. आवश्यकता से अधिक संख्या होने पर गुच्छों की अच्छी तरह बढ़वार, फलों का आकार, वजन एवं गुणवत्ता कम हो जाती है. प्रति वृक्ष गुच्छों की संख्या 5 से 20 में रखी जाती है जो खजूर की किस्म, वृक्ष की आयु, वानस्पतिक वृद्धि इत्यादि पर निर्भर करती है. अतिरिक्त फल गुच्छों को शीघ्र निकाल देना चाहिए. प्रत्येक फल गुच्छे के केंद्र की एक तिहाई लड़ियों को निकाल देने से फल शीघ्र एवं भली-भांति पकने से उच्च गुणवत्ता वाले तैयार होते हैं. यह कार्य फल बनने के तुरंत पश्चात शुरू कर देना चाहिए.

खजूर में परागण कैसे करें और परागकण संग्रहीत कैसे करें (How to pollination and storage in Date palm)

खजूर में नर एवं मादा पुष्पक्रम अलग-अलग पेड़ों पर आते हैं तथा प्राकृतिक परागण हवा द्वारा परागण नर पेड़ों से मादा पेड़ों तक ले जाने से उत्पन्न होता है या कीटों के माध्यम से संभव हो पाता है. प्राकृतिक रूप से परागण हेतु खेत में आधे नर एवं मादा मादा पेड़ होने चाहिए लेकिन इससे प्रति हेक्टेयर उपज काफी कम हो जाती है अतः कृत्रिम परागण किया जाता है, जिसके लिए खेत में केवल 5% नर पेड़ पर्याप्त होते हैं यानि 95 मादा पेड़ के साथ 5 नर पेड़

कृत्रिम परागण के लिए नर फूलों से पराग एकत्रित किया जाता है. इकट्ठा हुआ पराग में समान मात्रा में टेलकम पाउडर मिला देते है जिससे मात्रा को बढ़ाया जा सके. परागकणों को रुई के फाहे या पाउडर डब्बी की सहायता से मादा पुष्पक्रमों पर पुष्पों के खेलने के तुरंत पश्चात सुबह के समय छिड़ककर परागकण कर सकते हैं. इस प्रकार परागण प्रक्रिया हर मादा पुष्प क्रम में कम से कम 2 से 3 दिन तक लगातार करनी चाहिए. नर पुष्प कर्मों की ताजी खुली हुई कुछ लड़ियों को खिले हुए मादा पुष्पक्रमों के साथ बांधकर भी परागकण कर सकते हैं. नर पुष्पक्रम की लड़ियां खुले मादा पुष्प क्रम के मध्य में उल्टी करके हल्के से बांध दी जाती है जिससे उनमें से परागकण धीरे धीरे गिरता रहता है.

परागकणों को कुछ समय बाद परागण के लिए संग्रहित भी किया जा सकता है. इसके लिए ताजे एवं पूर्ण रूप से खिले हुए नर पुष्प कर्मों को अखबार के कागज पर झाड़ कर एकत्रित कर लेते हैं. इसके बाद उनको बारीक छलनी से छान लेते हैं जिससे अनावश्यक रूप से उनमें विद्यमान पुष्पक्रमों के अवशेष इत्यादि अलग हो जाएं और उनको 6 घंटे सूर्य की रोशनी में तथा 18 घंटे छाया में सुखा लिया जाता हैं, जिससे परागण में उनको फफूंदी द्वारा हानि ना हो. सुखाये गए परगकणों को कांच की शीशीयों कमरे के सामान्य तापक्रम पर 8 सप्ताह के लिए तथा रेफ्रिजरेटर में 9 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर लगभग 1 वर्ष तक संग्रहित किया जा सकता है.

खजूर की किस्में (Date Palm Varieties)

खजूर का सेवन तो हम सब करते हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि खजूर की कई किस्में है जिनके सेवन से हम कई तरह की शारीरिक व मानसिक समस्याओं से राहत पा सकते हैं तो आइये जानते हैं इन किस्मों के बारे में... 

मेडजूल खजूर (Medjool Dates)

  • मेडजूल खजूर की यह किस्म शुगर फ्री (Sugar Free) होती है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद मानी जाती है.

  • इसे खाने से शरीर को कम थकावट होती है, क्योंकि इसमें  मौजूद प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स समेत हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं.

कलमी खजूर (Kalmi Dates)

  • इस खजूर की किस्म में रोग प्रतिरोधक की क्षमता अधिक होती है. बता दें कि यह खजूर ग्लूकोज और फ्रक्टोज इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत सहायक है.

  • इस किस्म के खजूर खाने से डायरिया और पेट संबंधी बीमारियां भी नहीं होती है.

अजवा खजूर (Ajwa Dates)

माना जाता है कि खजूर की इस किस्म मोहम्मद साहब को बहुत ज्यादा पसंद थी. वह अपना रोज़ा भी इसी किस्म को खाकर खोलते थे, इसलिए इसको खजूर का राजा माना जाता है. अधिकतर मुस्लिम समुदाय अपना रोज़ा इस खजूर को खाकर खोलते हैं.

खजूर खाने के फायदे (Benefits of Eating Dates)

खजूर का सेवन हमारे शरीर के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद है तो आइये जानते हैं खजूर के फायदों के बारे में  

त्वचा के लिए अच्छी (Good for Skin)

अगर आप बेजान त्वचा से परेशान हैं तो रोजाना खजूर के सेवन से त्वचा का तेज बढ़ता है और निखार आता है.

एनीमिया की समस्या से राहत (Relief from anemia

कई लोगों को एनीमिया की समस्या से परेशान रहते हैं ऐसे में खजूर खाना उनके लिए बहुत फायदेमेंद है, क्योंकि इसके सेवन से शरीर में खून की बढ़ोतरी होती है.

कब्ज से छुटकारा (Relieve constipation)

अगर आप कब्ज की समस्या से ग्रसित हैं तो खजूर का सेवन करें. क्योंकि इसमें मौजूद फाइबर आपका पांचन तंत्र को सक्रिय कर देता है. इसलिए जितना हो सके सीमित मात्र में खाली पेट ही इसका सेवन करें.

English Summary: Know how to pollination method and take care of fruit bunches in date palm trees. Published on: 12 April 2021, 10:32 AM IST

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