नोल खोल जंगली गोभी (Knol Khol Wild Cabbage) की एक किस्म है, जो द्विवार्षिक रूप से बढ़ती है. यानी इसको दो साल में एक बार ही उगाया जा सकता है. आमतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे वार्षिक रूप से उगाया जाता है, लेकिन भारत में इसकी खेती कश्मीर, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में होती है. इसको आमतौर पर कोल्हाबी (Kohlrabi) के नाम से भी जाना जाता है.
बता दें कि हिंदी में इसको गांठगोभी (Ganth Gobhi) कहते हैं और खाने के मामले में इसकी पत्तियों का भी उपभोग किया जाता है. इस पर सफेद, हल्के हरे और बैंगनी रंग की त्वचा होती है. यह गोभी, ब्रोकोली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, और गाई लैन जर्मन शलजम के परिवार से है. लोगों का कहना है कि कोल्हाबी कच्ची और पक्की दोनों तरह से स्वादिष्ट होती है.
नोल खोल की खेती (Knol Khol Farming Methods)
नोल खोल के लिए जलवायु (Climate for Knol Khol)
यह भारतीय परिस्थितियों में उगने के लिए ज्यादा अनुकूल नहीं मानी जाती है, लेकिन यह पाले के प्रति अधिक सहिष्णु (Tolerant) है. बता दें कि उत्तर भारत में इसकी खेती रबी सीजन (Rabi Season) में की जाती है.
नोल खोल के लिए मिट्टी (Soil for Knol Khol)
इसको सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी अच्छी उपज के लिए भारी दोमट (Heavy Loamy Soil) सबसे अच्छी होती है. मिट्टी की औसत पीएच रेंज 6.5 से 7.0 होनी चाहिए. यह अत्यधिक अम्लीय और क्षारीय मिट्टी (Acidic and Alkaline Soil) के प्रति संवेदनशील है.
नोल खोल का बीज दर (Knol Khol Seed Rate)
मौसम के अनुसार, एक हेक्टेयर भूमि में इसकी नर्सरी उगाने के लिए लगभग 1 से 1.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.
नोल खोल की बुवाई का समय (Knol Khol Sowing Season)
कोल्हाबी के बीज सितंबर-अक्टूबर माह में बोएं जाते हैं और इसकी रोपाई अक्टूबर-नवंबर महीने में की जाती है. यह 4.4 से 23.9 डिग्री सेल्सियस के तापमान में सबसे अच्छी तरह से बढ़ती है.
नोल खोल के लिए खेत की तैयारी (Knol Khol Field Preparation)
भूमि की 3 से 4 बार जुताई करें और आखिरी जुताई में 20-25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालें.
नोल खोल के लिए खाद (Fertilizer for Knol Khol)
आमतौर पर रोपाई या अंतिम जुताई के समय P205, K20 की पूरी खुराक और नाइट्रोजन की आधी मात्रा के साथ 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद (Cow Dung Manure) जरूर डालें. नाइट्रोजन की बची हुई खुराक रोपाई के 4 सप्ताह बाद देनी चाहिए.
नोल खोल की सिंचाई (Irrigation of Knol Khol)
फसल को मिट्टी और मौसम की स्थिति के आधार पर 4 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. इसको उगने के लिए मिट्टी में नमी होना बेहद जरूरी है.
नोल खोल में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control in Knol Khol)
चूंकि यह एक जड़ वाली फसल है, इसलिए खरपतवारों को नष्ट करने के लिए मिट्टी में लगातार उथली खेती (Shallow Farming) की जानी चाहिए. ऐसे में पेंडीमेथालिन का 1 से 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.
नोल खोल की पैदावार (Production of Knol Khol Per Hectare)
इसको पूरी तरह विकसित होने में 45 से 60 दिन लगते हैं और प्रति हेक्टेयर लगभग 200 क्विंटल की उपज होती है.
नोल खोल की खेती के समय जरूरी बातें (Important things during the Cultivation of Knol Khol)
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कोल्हाबी की खेती तेज रोशनी में करनी चाहिए.
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नोल खोल की खेती उस मिट्टी पर की जानी चाहिए, जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो.
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रोपण शुरू करने से पहले मिट्टी में 2 इंच (5 सेंटीमीटर) पुरानी खाद डालें.
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कोल्हाबी मिट्टी में 6.5 से 7.0 के पीएच रेंज के साथ पनपती है.
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मौसम के बीच में कोल्हाबी को पुरानी खाद के साथ तैयार किया जाना चाहिए.
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हल्के सर्दी के क्षेत्रों में कोल्हाबी की खेती पूरे वर्ष की जा सकती है.
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सर्दियों की फसल के लिए कोल्हाबी की बुवाई का इष्टतम समय सितंबर है.
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कोल्हाबी रेतीली मिट्टी पर अच्छी तरह से नहीं उगती है.
नोल खोल को कितनी धूप की होती है आवश्यकता (How much Sunlight does Knol Khol Need)
प्रतिदिन इसको लगभग 6 घंटे सीधी धूप की जरूरत होती है. साथ ही, इसके लिए अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ, नम मिट्टी की आवश्यकता होती है जिसमें अच्छी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ हों.
क्या नोल खोल को कंटेनरों में उगाया जा सकता है (Can Knol Khol be Grown in Containers)
कोल्हाबी एक कंटेनर में उगाने के लिए सबसे अच्छी सब्जी है. इसके लिए एक कंटेनर का चयन करें, जो लगभग 16 इंच चौड़ा और 16 इंच गहरा हो. इसे अच्छी तरह से मिट्टी के मिश्रण से भरें, जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर खाद शामिल हो.
कितने रुपए किलो बिकता है नोल खोल (Knol Khol Price in India)
आमतौर पर नोल खोल की प्रति किलो कीमत 40 से 50 रुपए है, लेकिन अगर आप इसको जैविक रूप (Organic Farming of Knol Khol) से उगाते हैं, तो इसकी कीमत और अधिक हो जाएगी.
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