करौंदा की फसल किसानों को सिर्फ अच्छा मुनाफा ही नहीं बल्कि फसल को सुरक्षा देने का भी काम करती है. बता दें कि करौंदा को आप किसी भी तरह की फसल या फिर बागवानी के चारों तरफ सरलता से लगा सकते हैं. एक किसान भाई एक एकड़ में करीब 100 पेड़ों को अपने खेत में लगाकर हर महीने 20 हजार रुपए से अधिक की कमाई सरलता से कर सकता है. तो आइए आज के इस लेख में हम करौंदे की खेती व अन्य जरूरी जानकारी को विस्तार से जानते हैं...
करौंदा की खेती करते समय किसान
भाइयों को किसी भी तरह की इसकी देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती है. क्योंकि इसका पौधा झाड़ीदार व कांटे वाला होता है. जिसकी वजह से इसके पौधे के पास व्यक्ति या फिर कोई जंगली जानवर नहीं आता है. वहीं अगर हम इसकी फसल की बात करें तो इसकी फसल किसानों के लिए बेहद लाभदायक होती है. करौंदे के पौधों को आप किसी भी तरह की फसल के चारों तरफ सरलता से उगा सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि करोंदे का पौधा बहुत ही ज्यादा सहिष्णु होता है. साथ ही इसके पौधे में सूखे को सबसे अधिक सहन करने की क्षमता पाई जाती है. इसलिए आपने देखा भी होगा की करौंदा का पौधा बंजर, रेतीली भूमि में सरलता से उग जाता है. इसी के चलते ठंडे इलाकों में करौंदा की खेती नहीं की जा सकती है. इसके पौधों की ऊंचाई लगभग 6 से 7 फीट तक होती है.
करौंदा की खेती के लिए मिट्टी
इसकी खेती से अच्छी उपज पाने के लिए किसान को ऐसे खेत का चुनाव करना है, जहां से उचित जल निकासी हो. इसके अलावा बलुई, दोमट और 6 से 8 PH मान वाली मिट्टी करौंदा की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है.
सिंचाई व्यवस्था
अच्छी फसल के लिए करौंदा की खेती को पहले साल में सिंचाई का ध्यान रखना जरूरी होता है. क्योंकि इस दौरान पौधे के विकसित होने के लिए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए. गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए और वहीं सर्दी के सीजन में आपको इसकी सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है.
करौंदा की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक की मात्रा
किसान भाई को करौंदा की फसल में निम्नलिखित खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए.
खाद और उर्वरक |
पौधों में खाद/उर्वरक की प्रति मात्रा |
||||
एक साल |
2 साल |
3 साल |
4 साल |
5 साल के बाद |
|
गोबर की खाद (Cow Dung Manure) |
10 |
10 |
15 |
20 |
20.00 |
यूरिया (Urea) |
0.100 |
0.100 |
0.100 |
0.200 |
0.200 |
सुपर फॉस्फेट (Super Phosphate) |
-- |
0.300 |
0.300 |
0.400 |
0.400 |
म्यूरेट ऑफ पोटाश (Muriate of Potash)
|
-- |
-- |
0.050 |
0.075 |
0.100
|
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करौंदा के फलों की तुड़ाई
मिली जानकारी के मुताबिक, इसके पौधों में बसंत ऋतु के समय फल आना शुरू हो जाते हैं और फिर जैसे ही बारिश होना शुरू होती है, तब इसके फल पकना शुरू हो जाते हैं.
ध्यान रहे कि करौंदा के पौधों की रोपाई के करीब 4 साल बाद इसके फलों की तुड़ाई किसान भाइयों को कर लेनी चाहिए. करौंदे का फल खाने में खट्टा लगता है. लेकिन इसके सेवन से पौष्टिकता एवं स्वास्थ्य में वृद्धि मिलती है. ये ही नहीं इसके फल का इस्तेमाल कई तरह के उत्पादों को बनाने के लिए भी किया जाता है.
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