काला नमक धान पारंपरिक फसलों का ही एक पुराना किस्म है. इस धान की खेती की ओर से बढ़ती महंगाई कम उत्पादन, मजदूर न मिलने की वजह से किसानों का रुझान कम होता जा रहा था.
हालांकि अब किसान इसकी खेती करना फिर से शुरू कर दिए हैं. इसका उत्पादन दर अन्य धान के फसलों की तुलना में कम है. इसकी वैराइटी पर लगातार शोध हो रहे हैं जिससे इसकी कम से कम दिनों में फसल ली जा सके. काला नमक चावल की कीमत बाजार में काफी अच्छी हैं.
बता दे कि ये बासमती धान की तुलना में अधिक सुगंधित व अधिक पैदावार देता है. एक हेक्टेयर में बासमती की उपज 20 से 25 क्विंटल है. जबकि काला नमक धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल तक होता है.
काला नमक चावल की उन्नत किस्में और उपज (Black salt Improved rice varieties and yields)
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काला नमक चावल की किस्म काला नमक 3131 व काला नमक केएन 3 अधिक पैदावार देने वाली किस्म है. ये किस्म काला नमक चावल की इंप्रूव वैरायटी है और उससे ज्यादा खुशबूदार व मुलायम है. इस किस्म में अन्य चावल की किस्मों के अपेक्षा कम पानी लगता है.
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आम तौर पर एक किलो चावल के लिए करीब 3 से 4 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल होता है, तो इस किस्म में 1 किलो चावल के उत्पादन के लिए करीब 1500 से 2500 लीटर पानी लगता है.
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इसके अलावा प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी अधिक है. अगर 1 हेक्टेयर में बासमती की उपज 21 क्विंटल के आसपास होती है, तो इसकी उपज 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
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बासमती चावल की तरह ही काला नमक चावल की रोपाई जुलाई के प्रथम सप्ताह से अगस्त के दूसरे सप्ताह तक होती है और यह नवंबर तक पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इस किस्म की खेती पंजाब के लो लैंड एरिया में हो सकती है.
स्वाद लाजवाब, फायदे बेहिसाब
काला नमक चावल को कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए रामबाण माना जाता है. इसमें पोटैशियम की मात्रा काफी अधिक होती है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी एवं आयरन व एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी अधिक होती है.
जो अन्य किसी चावल में नहीं पाई जाती है. इसके सेवन से कई तरह की बीमारियों के अलावा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी एवं डायबिटीज व अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी निजात मिल सकता है. इसमें मौजूद फाइबर शरीर को मोटापा व कमजोरी से बचाता है.
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