Kakdi Ki Kheti: गर्मियों के मौसम की शुरूआत हो गई है, ऐसे में खीरा और ककड़ी की डिमांड मंडियों में काफी अधिक होने लगी है. भारत में ककड़ी की खेती प्रमुख धान्य फसलों में से एक है, इसे उत्तर भारतीय राज्यों में व्यापक रूप से उगाया जाता है. ककड़ी की खेती करने के लिए उच्च तापमान और पर्याप्त आबादी वाली मिट्टी की जरूरत होती है. किसानों के लिए ककड़ी की खेती करना एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है. इस फसल की खेती से आप कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. ककड़ी भारतीय बाजार में अधिक मात्रा में बिकती है और इसे हरियाण, पंजाब, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और गुजरात में अधिक उगाया जाता है.
अगर आप भी ककड़ी की खेती करने का प्लान कर रहे हैं, तो आज हम आपके लिए कृषि जागरण के इस आर्टिकल में ककड़ी की खेती कैसे करें और इसकी किस्मों की विस्तृत जानकारी लेकर आए है.
कैसे करें ककड़ी की खेती? / Kaise kare Kakdi ki kheti?
ककड़ी की खेती करने के लिए ऐसे स्थानों की आवश्यकता होती है, जो जहां अधिक सर्दी पड़ती हैं. इस फसल को फरवरी और मार्च के महीनों में लगाया जाता है, ककड़ी की फसल बलुई दोमट भूमियों से अच्छी हो जाती है. बता दें, इस फसल की सिंचाई हफ्ते में 2 बार की जाती है. इस फसल में अच्छी सुगंध गरम शुष्क जलवायु में आती है. ककड़ी में दो मुख्य जातियां पाई जाती है, जिसमें से एक में हलके हरे रंग के फल आते हैं और दूसरी में गहरे हरे रंग के फल होते हैं.
इसकी हलके हरे रंग के फल वाली फसल को ही अधिकतर लोग पसंद करते हैं. इस फसल के फलों की तुड़ाई कच्ची अवस्था में ही करनी ठीक रहती है. ककड़ी की खेती करने के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे बेहतर माना जाता है. बता दें, ककड़ी की फसल के पौधे बारिश के मौसम में ठीक से विकास करते हैं, लेकिन गर्मियों का मौसम इस फसल की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता हैं. ककड़ी के पौधे पूर्ण रूप से 25 से 35 डिग्री सेल्सियस में विकसित हो सकते हैं.
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ककड़ी की खेती के लिए खेतों की तैयारी
ककड़ी की खेती भारत के सभी क्षेत्रों में की जा सकती है, इसकी खेती के लिए आपको उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है. वहीं इसकी अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी को काफी अच्छा माना जाता हैं. इसकी खेती के लिए भूमि जल निकासी वाली होती है. बता दें, इस फसल की की खेती के लिए सामान्य पी.एच 6.5 से 7.5 मान वाली मिट्टी की जरूरत होती है. ककड़ी की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खेतों को अच्छे से तैयार किया जाता है, इसके लिए शुरुआत में ही खेत में पहले से मौजूद सभी तरह की घास फूस को नष्ट किया जाता है और मिट्टी को पलटने वाले हलों से जोता जाता है. इसके बाद खेत में पानी को चलाकर उसका पलेव कर दिया जाता है.
पलेव हो जाने के बाद लगभग तीन से चार दिनों बाद जब सतह की मिट्टी हल्की सूखने लगती है, तब खेतों में रोटावेटर को चलाकर खेत की अच्छे से जुताई की जाती है और मिट्टी को भुरभुरी बना लिया जाता है. ककड़ी की खेती के लिए इसके बीजों की बुवाई से पहले भूमि को समतल किया जाता है और मेड़ बनाकर बुवाई की जाती है. आपको बता दें, बीज बुवाई से पहले तैयार खेत में नाली बना लेनी चाहिए और जब खेत की मिट्टी में नमी हो जाए, तो बुवाई कार्य शुरू कर देना चाहिए.
ककड़ी की उन्नत किस्में
ककड़ी की खेती पारंपरिक फसल की खेती की तरह नहीं होती है, इसकी खेती किसान गर्मी के मौसम में नगदी कमाई के लिए करते हैं. जिस वजह से भारत में इस फसल की बहुत कम उन्नत किस्में विकसित हुई हैं. लेकिन इस फसल की कुछ संकर किस्म भी हैं, जिन्हें अधिकतर किसान ज्यादा पैदावार के लिए उगाते हैं.
ककड़ी की संकर किस्में
ककड़ी की संकर किस्में में प्रिया, हाइब्रिड-1, पंत संकर खीरा-1 और हाइब्रिड-2 आदि प्रमुख किस्में हैं. इसके अलावा ककड़ी की कुछ अन्य किस्म भी है, जिसमें - पंजाब स्पेशल, जैनपुरी ककड़ी, दुर्गापुरी ककड़ी, अर्का शीतल और लखनऊ अर्ली आदि ककड़ी की कुछ प्रजातियां शामिल है. इन किस्मों का उपयोग किसान ककड़ी की खेती के लिए कर सकतें हैं.
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