उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में मौसम के बदलाव के कारण गेहूं की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है. तेज हवा, बारिश और भारी ओलवृष्टि ने गेहूं समेत कई फसलों को खराब कर दिया . इससे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बेमौसम बारिश ने रबी की खड़ी फसलों पर बहुत ही बुरा असर डाला है. इस सबके बीच किसानों के सामने एक और समस्या आकर खड़ी हो गई है.
दरअसल, गेहूं की फसल पीला रतुआ रोग की चपेट में आ गई है. अचानक गेहूं की फसल में यह रोग लग जाने से किसान काफी परेशान हैं. एक तरफ किसान मौसम की मार झेल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उनका कहना है कि गेहूं की फसल में इस रोग की रोकथाम करने के लिए कृषि विभाग उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है.
क्या है पीला रतुआ रोग
गेहूं की फसल पर पीला रतुआ रोग बहुत बुरा असर डालता है. यह एक ऐसा रोग है जो फसल की पैदावार को घटा देता है. अगर गेहूं की फसल में यह रोग लग जाए तो यह पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है, क्योंकि यह रोग फसल की पत्तियों को पीला कर देता है. इस रोग के लक्षण गेहूं की फसल में लगभग 7 से 8 दिन पहले से दिखाई देने लगते हैं.
पीला रतुआ रोग की रोकथाम
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं की फसल को पीला रतुआ रोग से बचाकर रखना बहुत आवश्यक है. इसके लिए किसान दवाई का प्रयोग कर सकता है. किसान बुवाई से पहले बीज का उपचार कर सकता है. ध्यान दें कि गेहूं की फसल में पीले रंग के निशान कपड़ों से भी लग जाते हैं. इस रोग की शुरुआत पीली धारियों से होती है, लेकिन यह रोग जल्द ही पूरा पौधे को पीला कर देता है. इस तरह पौधों का विकास रुक जाता है. अगर एक बार फसल में यह रोग लग जाए तो फसल की उपज को करीब 30 प्रतिशत तक कम कर देता है.
अन्य जरूरी जानकारी
• गेहूं की फसल में फंफूदनाशक दवाई पेबूकोना जोल और प्रोपीकोना जोल के स्प्रे का प्रयोग कर सकते हैं. .
• अगर गेहूं की फसल में पीला पाउडरनुमा पदार्थ दिखाई दे तो करीब 0.1 प्रतिशत घोल 200 एमएल दवा 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर स्प्रे कर दें.
• अगर जरूरत पड़े, तो इस स्प्रे को दोबारा से छिड़क सकते हैं.
• अधिक समस्या होने पर किसान तुरंत कृषि विभाग से संर्पक कर सकता है.
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