उत्तर प्रदेश में क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए, तो बाजरा का स्थान गेहूं, धान और मक्का के बाद आता है. यह कम वर्षा वाले स्थानों के लिए एक बहुत अच्छी फसल मानी जाती है. इसकी खेती 40 से 50 सेमी० वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक हो सकती है.
इसकी खेती के लिए हल्की या दोमट बलुई मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, तो वहीं भूमि का जल निकास उत्तम होना चाहिए. खेती की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए और बाकी 2 से 3 जुताई देसी हल या कल्टीवेटर से कर सकते हैं. इसकी बुवाई जुलाई के मध्य से अगस्त से मध्य तक की जाती है, इसलिए इस वक्त किसानों ने इसकी बुवाई का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है. मगर किसानों को कई बार बाजरा की खेती में एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है. यह समस्या बाजरा की फसल में लगने वाले अरगट रोग की है, जिसको चेपा भी कहा जाता है. अगर बाजरा की फसल में अरगट रोग लग जाए, तो किसानों को समय रहते इसकी रोकथाम कर लेना चाहिए, क्योंकि यह रोग फसल की पैदावार को प्रभावित करता है.
अरगट रोग के लक्षण
अगर बाजरा की फसल अरगट रोग से ग्रस्त हो जाए, तो इसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है. यह रोग केवल भुट्टों के कुछ दानों पर ही दिखाई देता हैं. इसके लगने से बालों से हल्के गुलाबी रंग का चिपचपा गाढ़ा रस निकलने लगता है, जो कि बाद में गहरे भूरे रंग का दिखने लगता है.
कुछ दिनों बाद दानों के स्थान पर गहरे-भूरे रंग के पिंड बन जाते हैं. यह चिपचपा पदार्थ और पिंड, दोनों ही पशुओं और मनुष्य के लिए जहरीला होता हैं, इसलिए बाजरा की फसल में समय रहते इस रोग की रोकथान कर देनी चाहिए.
अरगट रोग की रोकथाम के लिए बीज उपचार
बाजरा की फसल को अरगट रोग से नुकसान न हो, इसलिए बुवाई से पहले बीज को 20 प्रतिशत नमकीन पानी में भिगोकर प्रक्रिया करनी चाहिए. इसके लिए 10 लीटर पानी में 2 किलो नमक घोल लें और उसमें करीब 8 से 10 घंटे के लिए बीज को भिगो कर रख दें.
अरगट रोग की रोकथाम
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इसकी रोकथाम के लिए सिंचाई का समुचित प्रबन्ध करना चाहिए.
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बीजशोधन के लिए थिरम 75 प्रतिशत डब्लूएस@ 2.5 ग्राम और कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी@ की 2.0 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए.
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अप्रमाणित बीजों को 20 प्रतिशत नमक के घोल लें. इसके बाद साफ पानी से 4 से 5 बार धोकर बुवाई के लिए प्रयोग करना चाहिए.
ऐसे बिठाएं बाजरा की गुणवत्ता
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अगर बाजरा वृद्धि और विकास की अवस्था में है, तो इसमें 25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 500 ग्राम ह्यूमिक एसिड जमीन के माध्यम से दें.
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अगर फसल सिट्टा अवस्था में है, तो NPK 0:52:34@ 75 ग्राम और चिलेटेड सूक्ष्म पोषक तत्व@ 15 ग्राम प्रति पंप के हिसाब से छिड़क दें.
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अगर छिड़काव नहीं कर सकते हैं, तो NPK 0:52:34@ 3 किलोग्राम एवं चिलेटेड सूक्ष्म पोषक तत्व@ 250 ग्राम प्रति एकड़ जमीन में भुरकाव के माध्यम से दें.
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इस तरह उर्वरक देने से बाजरा की फसल से अच्छा और गुणवत्ता वाला उत्पादन प्राप्त होता है.
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