
Livestock Animal News: भारत में गर्मियों के मौसम में किसानों और पशुपालकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन देखा जाए तो गर्मियों के दिनों में सबसे अधिक परेशानी हरे चारे को लेकर होती है. यह समस्या ना केवल पशुओं के स्वास्थ्य पर असर डालती है, बल्कि दुग्ध उत्पादन/ Dairy Production को भी प्रभावित करती है, जिससे किसानों की आमदनी में गिरावट आती है. लेकिन यदि समय रहते सही योजना बनाकर कुछ खास हरे चारे के लिए फसलों की खेती की जाए, तो इस समस्या से काफी हद तक निजात पाई जा सकती है.
हरे चारे की खेती से पशुओं को न केवल पोषण मिलता है, बल्कि यह उनके पाचन, स्वास्थ्य और दूध उत्पादन को भी बेहतर बनाता है. इसके साथ ही किसान इन फसलों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी अर्जित कर सकते हैं. आइए जानते हैं गर्मी के मौसम में बोई जाने वाली ऐसी फसलों जो हरे चारे के रूप में बेहद लाभकारी है.
लोबिया: पोषण से भरपूर दलहनी फसल
लोबिया को दलहनी फसलों की श्रेणी में रखा जाता है और यह गर्मी में बोई जाने वाली एक प्रमुख चारा फसल है. इसमें प्रोटीन, खनिज, विटामिन और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो पशुओं के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक होते हैं. यह फसल तेजी से बढ़ती है और 50-60 दिनों में काटने के लिए तैयार हो जाती है.लोबिया की खेती कम पानी में भी की जा सकती है और यह मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है. पशुपालक इसे अपने पशुओं को खिलाने के साथ-साथ बेचकर भी अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.यह फसल मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान के किसान बड़ी संख्या में उगाते हैं.
मक्का: दुधारू पशुओं के लिए श्रेष्ठ चारा
मक्का न केवल मनुष्यों के लिए उपयोगी है, बल्कि इसका हरा हिस्सा पशुओं के लिए बेहतरीन चारे का कार्य करता है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर जैसे तत्व मौजूद होते हैं, जो दुधारू पशुओं की जरूरतों को पूरा करते हैं. गर्मी के मौसम में मक्का की खेती 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान में की जा सकती है और इसे बोने के 60-70 दिनों के अंदर हरे चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है. इसकी खेती से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.
ज्वार: सूखा सहने वाली बहुपयोगी फसल
ज्वर एक ऐसी फसल है.जिसे गर्मी और पानी की स्थिति में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.यह फसल विशेष रूप से उन इलाकों में अधिक फायदेमंद होती है जहां सिंचाई की सुविधा सीमित होती है.ज्वार का पौधा कठोर होता है और इसके पत्तों में पर्याप्त पोषण होता है.यह फसल पशुओं के पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में सहायक है. इसके हरे चारे को काटकर सीधे खिलाया जा सकता है या फिर साइलो पद्धति से संरक्षित करके लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
बाजरा: दोहरा लाभ देने वाली फसल
बाजरा भी गर्मी में बोई जाने वाली महत्वपूर्ण फसलों में से एक है. यह एक तेजी से बढ़ने वाली और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली फसल है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह सूखा और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती है.बाजरे के हरे भाग को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, वहीं इसके बीज भी बाजार में अच्छे दामों में बिकते हैं.यह पशुओं के लिए ऊर्जा और फाइबर का एक अच्छा स्रोत है.इसके अलावा बाजरा मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है.
हरे चारे की खेती से आय में बढ़ोत्तरी
हरे चारे की इन फसलों को अपनाकर किसान गर्मी के मौसम में न केवल अपने पशुओं के लिए पोषण की पूर्ति कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त उत्पादन को बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं. सरकार और कृषि विभाग भी समय-समय पर किसानों को चारा बीज, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं, जिससे वे इन फसलों को वैज्ञानिक तरीके से उगाकर ज्यादा लाभ कमा सके.
लेखक: रवीना सिंह
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