रबी की फसल में आलू की बुआई नवंबर माह से शुरू हो जाती है. आज हम आपको आलू की कुछ ख़ास उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. इन उन्नत किस्मों में ज्योति कुफरी, सिन्दुरी कुफरी, कुफ़री बहार 3797, कुफरी अलंकार, चिप्सोना कुफरी हैं. आलू की ये किस्में 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार देती हैं. भारत में किसान इन किस्मों की खेती ज्यादा पैदावार और जल्दी उपज को पाने के लिए करते हैं. आलू की ये किस्में 90 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं. भारत में ये किस्में लगभग पूरे उत्तर भारत में बहुतायत में उपजाई जाने वाली किस्में हैं.
इन किस्मों में सबसे ख़ास बात यह है कि इनमें बहुत से फसली रोग नहीं हो पाते हैं. यह पूरी तरह से रोग प्रतिरोधी होते हैं. जिससे किसानों को कई तरह के कीटनाशकों के छिड़काव से छुटकारा मिल जाता है. तो चलिए आलू कि इन उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
ज्योति कुफरी-
- पकने का समय- 80-150 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 150-250 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- बंगाल, बिहार और झारखंड
सिन्दुरी कुफरी-
- पकने का समय- 120-125 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 300-400 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- उत्तर में बिहार, मध्य प्रदेश का बाघेलखंड क्षेत्र और पश्चिम में उत्तर प्रदेश का अवध क्षेत्र
कुफ़री बहार 3797-
- पकने का समय- 90-110 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 200-250 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल
नीलकंठ कुफरी-
- पकने का समय- 90-100 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 350-400 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- उत्तर भारतीय मैदानी क्षेत्र
कुफरी अलंकार-
- पकने का समय- 70-80 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 200-250 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- राजस्थान और छत्तीसगढ़
चिप्सोना कुफरी-
- पकने का समय- 90-100 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 300-350 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक
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लेडी रोसेटा (एलआर आलू)-
- पकने का समय- 80-100 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 250-300 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- गुजरात और पंजाब
देवा कुफरी-
- पकने का समय- 80-100 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 300-400 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- उत्तर प्रदेश की निचली भूमि और मध्यवर्ती मैदानी क्षेत्र
जेएच 222 कुफरी जवाहर-
- पकने का समय- 90-110 दिन
- प्रति हेक्टेयर पैदावार- 250-300 क्विंटल
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- उत्तर भारतीय मैदानी क्षेत्र
किसान इन उन्नत किस्मों के माध्यम से अपनी पैदावार को तो बढाते ही हैं. साथ ही अपनी कमाई को भी बढ़ाते हैं. आलू की ये किस्में झुलसा रोग प्रतिरोधी हैं.
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