मक्का की फसल पर बुवाई से फसल की कटाई तक कई प्रकार के कीटों का प्रकोप होता है. लेकिन पिछले एक दशक से देश की कई हिस्सों में खरीफ मक्का में फॉल आर्मी वर्म का अधिक प्रकोप दिखाई दे रहा है.
इसका अधिक प्रकोप होने पर फसल को एक ही रात में भारी नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए ही इसका नाम सैनिक कीट है. इस कीट की व्यस्क मादा मोथ पौधों की पत्तियों और तनों पर अण्डे देती है. एक बार में मादा 50 से 200 अण्डे देती है. मादा अपने 20-21 दिनों के जीवन काल में 10 बार यानी 1700-2000 तक अण्डे दे सकती है.
ये अण्डे 3 से 4 दिन में फूट जाते हैं. इनसे जो लार्वा निकलते है वो 14 से 22 दिन तक इस अवस्था में रहते हैं. कीट के लार्वा के जीवन चक्र की तीसरी अवस्था तक इसकी पहचान करना मुश्किल है लेकिन लार्वा की चैथी अवस्था में इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है.
चौथी अवस्था में लार्वा के सिर पर अंग्रेजी के उल्टे ‘वाई’ आकार का सफेद निशान दिखाई देता है. इसके लार्वा (Larva) पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाता है जिससे पत्तियों पर सफेद धारियाँ दिखाई देती हैं. जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता है, पौधों की ऊपरी पत्तियों को खाता है और बाद में पौधों के भुट्टे में घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है.
पत्तियों पर बड़े गोल-गोल छिद्र नजर आते हैं. लार्वा द्वारा त्यागा मल भी पौधों की पत्तियों पर नजर आता है. लारवल पीरियड पूर्ण कर ये अपनी प्युपल अवस्था में आता है.
प्यूपा गहरे भूरे से काले रंग का होता है. यह अवस्था 7 से 13 दिन तक की होती है. इसके बाद पुनः नर व मादा मोथ बनते हैं. नर मोथ के पंखों पर सफेद निशान होते है जबकि ये निशान मादा मोथ के पंखों पर नहीं होते हैं. इस तरह इस कीट का पूर्ण जीवन चक्र 30-61 दिनों का होता है.
यह कीट बहु फसल भक्षी है जो 80 से अधिक फसलों को नुकसान पहुँचाता है. यह कीट एक वर्ष में अपने कई जीवन चक्र (Life cycle) पूर्ण करता है. अगर समय रहते फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान कर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले समय में मक्का एवं अन्य फसलों में भारी तबाही हो सकती है.
फसल के लिए लारवल अवस्था हानिकारक होती है. परन्तु कीट के सम्पूर्ण नियंत्रण हेतु इसके जीवन काल की हर अवस्था को नष्ट करना जरूरी है. इस कीट के सम्पूर्ण नियंत्रण हेतु निम्न प्रकार से करें-
भूमि में उपस्थित अन्य कीट एवं प्यूपा के नियंत्रण हेतु क्यूनोलफॉस 1.5% चूर्ण 10 किलो प्रति एकड़ की दर से फसल की बुवाई से पूर्व भूमि में मिलावें.
खेत को खरपतवार मुक्त रखें. इसके लिए एट्राजिन 5 कि.ग्रा./हे. की दर से अकुंरण पूर्व छिड़काव करें. 15-20 दिनों पश्चात् 80-120 ग्राम टेम्बोट्रीन/हे. की दर से फसल पर छिड़काव करें.
फसल की देरी से बुवाई न करें एवं पूर्व फसल के सभी प्रकार के अवशेषों को नष्ट करें या खेत से निकालें.
भूमि की गहरी जुताई करें ताकि कीट की लारवल अवस्था या प्यूपा भूमि में गहरा दब जाए.
संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें. नत्रजन का प्रयोग अधिक ना करें.
बीजों को सायनथे्रनिलीप्रोल 8 प्रतिशत या थायोमिथोक्साम 19.8 प्रतिशत 4 मि.ली./कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें.
कीट की लारवल अवस्था पर नियंत्रण हेतु इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG की 0.4 ग्राम या स्पीनोसेड़ 45 SC की 0.3 मिली या थायोमेथोक्सोम 12.6% + लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% ZC की 0.3 मिली या क्लोरेण्ट्रानिलिप्रोल 18.5% SC की 0.3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दे.
Share your comments