छत्तीसगढ़ के कवर्धा में रहने वाले निवासी राजू पटेल जन्म से ही दोनों पैरों से काफी निशक्त है. वह चलने में असहाय, हाथ, पैर के सहारे बेमुश्किल से कुछ ही कदम की दूरी को तय कर पाते है. लेकिन उनके हौसले और इरादे इतने मजबूत है कि वह निशक्त होने के बाद भी 12 एकड़ जमीन पर वैज्ञानिक पद्धति से केला फलों की उन्नत खेती कर रहे है. इस पर राजू पटेल बताते है कि पहले पढ़ाई पूरी करने के बाद रायपुर में थाली रेस्टोरेंट चलाने के बाद क्षेत्रीय आलू और चिप्स की एजेंसी और मोबाईल रिपेंयरिंग का काम भी किया है, लेकिन उनको यह काम रास न आया. बाद में उन्होंने उन्नत खेती करने का मन बनाया है. इसके लिए ग्राम ठाठापुर में लगभग 12 एकड़ भूमि को अधिया लिया. वैज्ञानिक पद्धति से 12 एकड़ के प्लॉट में केले की फसल पर ड्रिप इरीगेशन व टपक प्रणाली के जरिए पानी का समुचित उपयोग कर रहे है जिसमें फसले लहलहा रही है.
फसल चक्र का लाभ
पिछले साल ग्राम डोगरिया में इसी वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर करीब पांच एकड़ सिंचित भूमि पर पपीते की खेती की है. यहां पर फलों के पूरा उत्पादन लागत दो लाख 70 हजार रूपये तक आई है. वही पर कुल उत्पादन साढे सात लाख रूपये की हुई थी. इसी भूमि पर फसल चक्र का लाभ लेने के लिए अलग-अलग फसल का उत्पादन करके लाभ अर्जित करने में लगे हुए है. बिजली के बंद होने की स्थिति से निपटने के लिए सोलर पैनल का संयंत्र भी लगा है. वर्तमान में फसल पर दवाई और खरपतवार का भी छिड़काव कर रहे है. साथ ही किसान पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना हुआ है.
दूसरों को प्रेरणा दे रहे
राजू निशक्त होने के बाद भी उनके लगन और हौसले से लोग प्रेरणा ले रहे है, वही गांव के दर्जन भर के अधिक लोगों को काम भी दे रहे है. वो तो खुद केले की खेती को करके आर्थिक रूप से सुदृढ हो रहे है. वही खेतों की निदाई सहित अन्य काम करने लिए गांव के ही महिलाओं को काम दे रहे है. ऐसे में गाव के महिलाएं और पुरूषों को स्थानीय स्तर पर भी रोजगार मिल रहा है.
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