सीताफल को शरीफा या कस्टर्ड एप्पल के नाम से भी जाना जाता है. ये एक स्वादिष्ट मीठा पल्प युक्त फल होता है, जिसका खाने के अलावा व्यापारिक तौर पर भी बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इसके बीजों को सुखाकर उनका तेल निकाला जाता है और इस तेल का इस्तेमाल साबुन और पेंट बनाने में किया जाता है. इसका फल ठंडी तासीर का होता है, जिससे यह शरीर के तापमान को संतुलित बनाता है. सीताफल के इस्तेमाल से पेट संबंधित, हृदय संबंधित (Heart disease), कैंसर, कमजोरी और जोड़ों में दर्द (Joint pain) जैसी कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है. इन गुणों के कारण लोग इसको खाना काफी ज्यादा पसंद करते हैं. इसके गूदे को दूध में मिलाकर आइसक्रीम तैयार की जाती है. तो आइये जानते हैं कैसे कस्टर्ड एप्पल का वैल्यू एडिसन कर फल के मुक़ाबले अधिक आमदनी ली जा सकती है.
सीताफल का उपयोग (Benefits of Custard Apple)
सीताफल (शरीफा) की प्रोसेसिंग कर गुद्दे से कई खाध पदार्थ व उत्पाद बनाये जा रहे हैं जिनमें आईसक्रीम, पाउडर, शरबत, जेम (Jam), रबड़ी, बासुन्दी, शेक इत्यादि बनाएं जा सकते हैं. फल का गुदा (Pulp) निकालने के बाद छिलके और बीजों का भी उपयोग किया जा सकता है. सीता फल के बीजों से निकाले गए तेल का उपयोग दाल के भंडारण के दौरान लगने वाले कीटों की रोकथाम के लिए किया जा सकता है और साथ ही साथ फसलों में में लगने वाले कीटों के नियंत्रण हेतु ऑर्गैनिक कीटनाशक (Organic pesticide) के रूप में भी प्रयोग में लिए जा रहा है. सीताफल के छिलकों से बनाई गई खाद फसलों के लिए काफी उपयोगी साबित हुई है.
कस्टर्ड एप्पल की प्रोसेसिंग क्यों करें? (Why do Custard Apple processing?)
सीताफल की सुगंध (Fragrance) एवं स्वाद सबसे ज्यादा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसकी खेती में सबसे बड़ी बढ़ा यह है कि फल बहुत जल्दी गलने लगता है, जिसके कारण किसानों को उसे जल्दी से बेचना पड़ता है और जाहीर बात है दाम भी कम मिलते हैं. ज्यादातर किसान इस फल को बेचते हैं जिससे इसकी कीमत कम मिलती है. अगर इस फल का प्रोसेसिंग कर के बेचा जाए तो अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है. सीताफल के गुद्दे की बाजार में बहुत मांग है. अतः किसान को ऐसे तकनीक मिले जिसके द्वारा किसान उसका अच्छा फायदा ले सके. अधिक दाम लेने के लिए फल की प्रोसेसिंग कर दी जाती है, जिससे उस फल को अधिक समय तक स्टोर किया जा सकता है और दाम कई गुना मिल जाते हैं.
सीताफल के गूदे को निकालने वाली तकनीक (Sitaphal pulp extract technique)
इसके गुदे को निकालने के लिए ऐसी तकनीक विकसित की गई है जिससे बिना नुकसान के कम समय में अधिक गुदा प्राप्त किया जा सकता है. इस तकनीक द्वारा एक दिन में 700 – 800 किलो गुदा फलों से प्राप्त किया जा सकता है. उदयपुर के महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (MPUAT) के वैज्ञानिकों ने पहली बार एक तकनीक विकसित करने के साथ-साथ कस्टर्ड एप्पल ("सीताफल") से ब्राउनिंग मुक्त मैकेनाइज्ड पल्प के लिए मशीन विकसित की है. ब्राउनिंग एंजाइम के ऑक्सीकरण के कारण पल्प के रंग में भूरापन नहीं आता, जिससे बाजार में इसकी कोई कीमत नहीं मिल पाती है. कस्टर्ड एप्पल पल्प का इस्तेमाल आइसक्रीम, रबड़ी और पेय पदार्थ तैयार करने के लिए किया जाता है.
प्रोसेसिंग तकनीक से लाभ (Benefit from processing technology)
फल से गुदा निकालने की लागत में काफी कमी आती है और अच्छी गुणवत्ता वाले गुदा/ पल्प प्राप्त किए जा सकते हैं. तुडाई उपरान्त (after harvesting) होने वाली बर्बादी में कमी को रोकने के लिए यह तकनीक अच्छी भूमिका निभाती है.
कस्टर्ड एप्पल से पल्प निकालने की मशीन और संभावनाए (Pulp extract machine and possibilities from Custard Cpple)
इस मशीन की तकनीक से व्यवसायीकरण संभावनाएँ बढ़ गई है. एक किलोग्राम फलों के प्रसंस्करण (Processing) से लगभग 20 रूपये की बचत हो जाती है. मशीन लगभग 1 टन प्रतिदिन गुदा निकाल सकती है. लगभग 5,000 टन पल्प प्राप्त करने के लिए लगभग 20,000 टन शरीफा फलों की आवश्यकता होती है. राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तेलगाना, महाराष्ट्र, गुजरात और छतीसगढ़ राज्यों में इसकी यूनिट लगाई जा सकती है.
शरीफा (Custard apple) की खेती राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में बड़े स्तर पर की जाती है. यहां के किसानों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान (Socio-economic regeneration) में इसका काफी योगदान है. लेकिन शरीफा के प्रसंस्करण के लिए इसका गूदा निकालना एक बड़ी बाध्यता है. गूदा निकालने के एक घंटे के अंदर इसमें एंजाइमी भूरापन आ जाने, 65 डिग्री सेल्सियस से ऊपर गर्म करने पर कड़वापन, रूखा स्वाद और महीन दानेदार पल्प हो जाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. इसलिए ही शरीफा से गूदा निकालने की ऐसी तकनीक और मशीन (Machine) विकसित की है जिससे इसमें भूरापन नहीं आएगा.
संपर्क सूत्र (For contact)
अधिक जानकारी और मशीन के बारे में जानकारी के लिए महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (MPUAT) से सम्पर्क किया जा सकता है या 09887281595, 9414160210, 0294-2470139, 2470719 के वैज्ञानिकों से भी बात की जा सकती है.
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