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एलोवेरा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई

एलोवेरा जिसे घृतकुमारी या ग्वारपाटा के नाम से भी जाना जाता है. यह एक औषधीय पौधा है जो सालभर हराभरा रहता है. एलोवेरा का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों के साथ-साथ दवा निर्माण किया जाता है. इसका उपयोग सब्जी तथा आचार के लिए भी किया जा सकता है. इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कर सकते हैं. तो आइये जानते हैं एलोवेरा की उन्नत खेती कैसे करें.

श्याम दांगी
Aloe Vera Farming
Aloe Vera Farming

एलोवेरा जिसे घृतकुमारी या ग्वारपाटा के नाम से भी जाना जाता है. यह एक औषधीय पौधा है जो सालभर हराभरा रहता है. एलोवेरा का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों के साथ-साथ दवा निर्माण किया जाता है. इसका उपयोग सब्जी तथा आचार के लिए भी किया जा सकता है. इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कर सकते हैं. तो आइये जानते हैं एलोवेरा की उन्नत खेती कैसे करें. 

एलोवेरा की खेती के लिए जलवायु (Climate for aloe Vera Cultivation)

एलोवेरा एक अत्यंत उपयोगी पौधा है जिसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है. इसकी खेती सुखे क्षेत्रों के अलावा मैदानी क्षेत्रों के सिंचित भाग में भी की जा सकती है. हालांकि इसे देश के विभिन्न हिस्सों में सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है. एलोवेरा बेहद कम पानी में आसानी से उगाया जा सकता है. इसकी ग्रोथ के लिए 20 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम माना जाता है. लेकिन यह पौधा किसी भी प्रकार की जलवायु में खुद को बचाए रखता है. यानी की इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में हो सकती है. हालांकि हल्की काली मिट्टी एलोवेरा का विकास अच्छा होता है.

एलोवेरा की खेती के लिए प्रमुख किस्में (Major varieties for Aloe vera cultivation)

आईसी-111271, आईसी-111280, आईसी-111269, आईसी-111273, एल-1, एल-2, एल-5 और एल-49 प्रमुख है. इन सभी किस्मों में एलोडीन की मात्रा 20 से 23 प्रतिशत तक होती है.

एलोवेरा के लिए खेत की तैयारी (Preparing the farm for Aloe Vera)

एलोवेरा के पौधे 20 से 30 सेंटीमीटर की गहराई तक ही विकास करते हैं. इसलिए खेत की सतही जुताई ही करना चाहिए. इसलिए एक से दो जुताई करके पाटा चलाते हैं. एलोवेरा के पौधे की रोपाई समतल, क्यारी या बेड विधि से कर सकते हैं. इनमें सबसे अच्छी विधि बेड और क्यारी विधि है. क्योंकि इन विधियों में पानी की निकासी की व्यवस्था अच्छी रहती है और पौधों को फैलाव भी ज्यादा होता है.

एलोवेरा की खेती के लिए रोपाई (Transplanting for Aloe Vera cultivation)

जून से जुलाई महीने में एलोवेरा के पौधों की रोपाई कर सकते हैं. इसके लिए चार से पांच पत्ती वाली चार से पांच महीने पुराने पौधे लगाना चाहिए. इसके लिए लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर रखना चाहिए. गड्ढे में पौधे की रोपाई के बाद मिट्टी को अच्छे से दबा दें और इसके तुरंत बाद सिंचाई करें. एक एकड़ में लगभग 11 हजार पौधे लगा सकते हैं.

एलोवेरा की खेती के लिए खाद और उर्वरक (Compost and fertilizer for aloe vera cultivation)

यह कम उपजाऊ मिट्टी में भी उगाई जा सकती है. कम खाद और उर्वरक से भी अच्छा उत्पादन हो सकता है. हालांकि ज्यादा उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद डालना चाहिए. वहीं गोबर की खाद का उपयोग करने से पौधे की बढ़वार तेजी से होती है. इससे किसान एक साल में एलोवेरा की एक से अधिक कटाई कर सकते हैं.

एलोवेरा की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for aloe vera cultivation)

एलोवेरा की फसल में सही समय पर सिंचाई करने से अच्छा उत्पादन मिलता है. पहली सिंचाई पौधे लगाने के बाद तुरंत कर देना चाहिए. वहीं दूसरी और तीसरी सिंचाई आवश्यकतानुसार करना चाहिए. वहीं प्रत्येक कटाई के बाद एक सिंचाई करना फायदेमंद होता है.

एलोवेरा की खेती के लिए कीट और रोग प्रबंधन (Pest and disease management for aloe vera cultivation)

इसमें कीट और रोग बेहद कम या न के बराबर लगते हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में दीमक एलोवेरा की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. जिसके नियंत्रण के लिए अनुशंसित कीटनाशक छिड़काव करना चाहिए.

एलोवेरा की खेती के लिए उपज (Yield for aloe vera cultivation)

एलोवेरा की एक कटाई में प्रति हेक्टेयर से 25 से 35 टन हरी पत्तियों की पैदावार ली जा सकती है.

English Summary: Aloe Vera Contract Farming Can Make Good Income Published on: 10 December 2020, 07:01 PM IST

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