रबी सीजन में किसान कई मुख्य फसलों की खेती करते हैं. सरसों को रबी की मुख्य फसल (Mustard Cultivation) माना जाता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में सरसों की खेती (Mustard Cultivation) करने वाले किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.
दरअसल, इन दिनों सरसों की फसल में माहू कीट (Mahu pest) का प्रकोप शुरू हो गया है. इसे देखकर किसान भाई काफी परेशान हैं. उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में सरसों की फसल लहलहा रही है, लेकिन किसान अच्छी पैदावार को लेकर आशान्वित हैं, क्योंकि कीट ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया है. अगर समय रहते इस प्रकोप को खत्म नहीं किया गया, तो फसल के उत्पादन पर निश्चित रुप से प्रभाव पड़ सकता है.
क्या है माहू कीट (what is mahu insect)
यह कीट भूरे व काले रंग के होते हैं, जिनका आकार छोटा होता है. इन कीटों की लंबाई एक से डेढ़ मिलीमीटर होती है. ये कीट कोमल पत्तियों और फूलों का रस चूस लेते हैं. इससे प्रभावित फसल पर फली नहीं बनती है.
इस कारण फसल का उत्पादन भी घट जाता है और फसल को लगभग 25 से 40 प्रतिशत तक की हानि हो जाती है. इस कीट से तरल और चिपचिपा पदार्थ निकालता है, जिससे प्रभावित जगह पर काली रंग की फफूंदी आ जाती है. इसके साथ ही कालापन दिखाई देने लगता है और फूल कमजोर होने लगते हैं. इससे फसल का विकास सही से नहीं हो पाता है. इसके अलावा दाने छोटे हो जाते हैं. इस कारण तेल भी कम निकलता है.
माहू कीट से बचाव (Protection from Mahu insect)
अधिकतर किसान सरसों की फसल को माहू कीट से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं.
इसके चलते मधुमक्खियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसके साथ ही फूल से फली बनने की प्रक्रिया रुक जाती है, जिससे फसल के उत्पादन पर भी असर पड़ता है. ऐसे में किसानों को जैव कीटनाशी का प्रयोग करना चाहिए. यह सरसों के लिए अधिक फायदेमंद है. इससे न सिर्फ माहू कीट पर नियंत्र पाया जाएगा, बल्कि मित्र कीटों पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा.
अन्य बचाव (Other defense)
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माहू कीट पर नियंत्रण के लिए 2 प्रतिशत नीम का तेल स्प्रे कर सकते हैं.
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इसके अलावा वर्टिसीलियम लेकानी जैव कारक का छिड़काव कर सकते हैं.
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किसानों को छिड़काव हमेशा दोपहर 2 बजे के बाद ही करना चाहिए.
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प्रबंधन के लिए 1 मिलीलीटर पानी की दर से इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें.
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इसकी रोकथाम के लिए प्रति एकड़ खेत में 5 से 6 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएं.
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