यह अक्सर होता है कि हम अपने छत पर ही बागवानी करते हैं. गमलों की मदद से अपने पसंदीदा फूल, या सब्जियां लगाने के साथ और भी कई पौधे लगाते हैं. इसमें हमें गमलों और पौधों के साथ पर्याप्त मात्रा में मिट्टी भी चाहिए होती है. आप भी अगर किचन गार्डनिंग (kitchen gardening) का शौक रखते हैं या बाकी लोगों से प्रेरित होकर कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए कारगर साबित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह की बागवानी में यह दिक्कत जरूर आती है कि हम पर्याप्त मिट्टी की व्यवस्था कहां से करेंगे. तो ऐसे में, आज हम आपकी इसी समस्या को दूर करने के लिए आपको कुछ ख़ास जानकारी देने जा रहे हैं. हम आपको यह बताएंगे कि आपको अगर अपने गमलों के लिए मिट्टी नहीं मिल पा रही या कम मिल रही है, तो भी आप किस तरह कोकोपीट (Cocopeat) के ज़रिए अपने बागवानी के शौक को बखूबी पूरा कर सकते हैं.
क्या है कोकोपीट तकनीक? (What is cocopit technique?)
नारियल के फल में हम ज्यादातर उसके अंदर के भाग को ही महत्व देते हैं और उसे इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. नारियल का फल जितना उपयोगी है, उतना ही उसका रेशेदार छिलका भी जिसे हम अक्सर कचरे के रूप में फेंक देते हैं. पके हुए नारियल के बाहरी रेशेदार छिल्के में कई तरह के जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो पौधों के लिए उनके विकास में काफी सहायक होते हैं. ये ठीक उसी तरह से पौधों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं, जैसे मिट्टी में मौजूद जरूरी पोषक तत्व. जी हां, मिट्टी वाले पोषक तत्व इनमें भी मौजूद होते हैं. अगर आप छोटे स्तर पर खेती या बागवानी, जैसे टेरेस फार्मिंग या किचन गार्डनिंग करते हैं, तो इन सूखे नारियल के छिल्कों को कोकोपीट के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. कोकोपीट तकनीक (cocopeat farming) नारियल की भूसी और खाद से तैयार की गई कृत्रिम मिट्टी (artificial soil) होती है.
कोकोपीट तकनीक का इस्तेमाल विदेशों में भी है प्रचलित
आपको बता दें कि नारियल में मौजूद रेशों में भारी गैस को खींचकर पर्यावरण को शुद्ध करने की क्षमता होती है. यह न केवल आपके पौधों के लिए बल्कि वातावरण के लिए भी फायदेमंद है. इस कोकोपीट फार्मिंग तकनीक का इस्तेमाल विदेशों में बहुत किया जाता है और अब हमारे देश में भी किया जा रहा है.
ये है कोकोपीट तैयार करने की विधि (This is the method of preparing cocopit)
वैसे तो कोकोपीट बाजार में भी आपको आसानी से मिल सकता है लेकिन अगर आप घर पर ही कोकोपीट बनाना चाहते हैं, तो हम आपको इसकी भी जानकारी देने जा रहे हैं. आप नीचे दिए गए कुछ स्टेप्स को फॉलो करके बड़ी ही आसानी से और बहुत ही कम समय में अपने पौधों के लिए कोकोपीट तैयार कर सकते हैं.
आपको इसके लिए चाहिए-
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नारियल का छिल्का
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कोई भी टब या बर्तन
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पानी
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मिक्सी
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कैंची
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छानने के लिए छलनी
ये है बनाने की विधि
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पहले स्टेप के तहत आपको कुछ नारियल के छिल्कों को लेना है. हम इन्हीं छिल्कों की ही मदद से कोकोपीट बनाने वाले हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि आप ऐसे छिल्के इकठ्ठा करें जो मुलायम हों. इसके साथ ही आसानी से मुड़ भी जाएं. अब अगर आप यह सोच रहे हैं कि नारियल के छिल्के मुलायम कैसे हो सकते हैं, तो आपको बता दें कि नरियल के छिलकों के बीच का भाग बहुत ही नरम होता है, हमें उसी की जरूरत भी है.
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दूसरे स्टेप के तहत आपको नारियल के इन मुलायम छिल्कों को कैंची की सहायता से बारीक टुकड़ों में काटना है. यहां भी ध्यान रहे कि छिल्के का कठोर भाग न आने पाए. ऐसा इसलिए क्योंकि कठोर रेशे आपकी मिक्सी को भी खराब कर सकते हैं.
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अब अगले स्टेप में आप नारियल के छोटे किए हुए टुकड़ों को मिक्सी की सहायता से पीस लें. आप इन्हें पीस तो रहे हैं, लेकिन यह जरूर ध्यान दें कि इनका बुरादा या फिर इनका पाउडर नहीं बनाना है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें रेशे होते हैं जिन्हें पाउडर बनाना मुमकिन ही नहीं होता है, इसलिए फालतू की मेहनत न करें.
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अब आप इस मिक्सी वाले मिश्रण को छलनी की सहायता से छान लें. छानने के बाद जो हमें बारीक मिश्रण मिलता है, वही आपका तैयार किया गया कोकोपीट कहलाता है.
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आप अब कोकोपीट मिश्रण में पानी मिला दें और बाद में उसमें से पानी पूरी तरह निचोड़ दें. इसके बाद आप इसे कहीं भी ऐसी जगह रख सकते हैं जहां नमी न हो, बाद में अपनी आवश्यकता के अनुसार इसे पौधों में इस्तेमाल कर सकते हैं.
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आपको जब भी पौधों में इस कोकोपीट का इस्तेमाल करना हो, इसमें अच्छी तरह से खाद मिला लें, उसके बाद गमलों को तैयार कर अपनी बागवानी करें.
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