जब किसान भाई अपने खेतों में फसल की बुवाई करते है, तो उसकी अच्छी पैदावार के लिए खेत में तरह-तरह के रासायनिक खादों, उर्वरकों कीटनाशकों और पोषक तत्वों का इस्तेमाल करते है, जिससे फसल का उत्पादन बढ़ता है, लेकिन उससे खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति कम हो जाती है. जिससे किसान की अगली फसल पर असर पड़ता है. खेत में ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना खराब होने लगती है, जबकि फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का उपजाऊ और स्वस्थ रहना बहुत जरुरी होता है.
आपको बता दें कि किसान के खेत की मिट्टी प्राकृतिक रुप से स्वस्थ हो, तो किसान की फसल के लिए लाभदायक होता है, लेकिन अगर मिट्टी स्वस्थ नहीं है, तो उसको कई तरह से उपजाऊ बनाना पड़ता है, इसके लिए फसल की बुवाई से पहले मिट्टी को जांच लें कि खेत की मिट्टी में उर्वरता शक्ति की कमी न हो. वैसे हम अपने इस लेख हम आपको जानकारी देने वाले है कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें, जिससे फसल की उपज पर असर न पड़े.
मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढाएं
खेती की मिट्टी में उर्वरता घटने के कई कारण हो सकते है, इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है.
संतुलित पोषक तत्व
किसान भाई अपने खेत में फसल की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरुर करें. इसके बाद पोषक तत्वों का प्रयोग करें. इससे फसल के उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी, साथ ही मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों के भंडार भी बढ़ेंगे. मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बनाए रखने के लिए संतुलित पोषण की मुख्य भूमिका है. पोषक तत्वों जैसे, लौह, जिंक, कापर की उचित मात्रा के प्रयोग से फसल को फायदा होता है. यह पोषक तत्व की अत्यधिक मात्रा में उपस्थित अन्य तत्त्व के अवशोषण को प्रभावित करते हैं. मान लें कि फास्फोरस एवं पोटेशियम उर्वरक न हो, तो पौधों में नाइट्रोजन की प्रति अनुक्रिया कम होती रहती है, तो वहीं अगर नाइट्रोजन के साथ फलस्फोरस एवं पोटेशियम को उचित मात्रा में प्रयोग किया जाए, तो फसल की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा पोटाश, गंधक समेत सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी आवश्यकतानुसार प्रयोग कर सकते हैं.
निम्न बातों का भी रखें ख्याल
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किसान अपने खेत में दलहनी फसलों को भी उगाएं.
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खेत में गहरी जड़ों वाली फसल के बाद उथली जड़ों वाली फसल की खेती करना चाहिए.
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किसान भाई खेत में अधिक पानी वाली फसल करने के बाद कम पानी वाली फसलों को लगाएं. जैसे, धान के बाद मटर, मसूर, सरसों और चना आदि.
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खेत में लंबी अवधि की फसल की पैदावार लेने के बाद कम समय वाली फसल की खेती करें, जैसे, गेहूं के बाद दलहनी फसलों की खेती करें.
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मिट्टी में उर्वरता शक्ति को बने रखने के लिए लंबी और जल्दी से बढ़ने वाली फसलों के बाद बौनी फसलों को लगाएं, क्योंकि गन्ने के बाद चारा फसलों को उगाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है, इसलिए गन्ने के बाद दलहनी फसलों की खेती करें. इससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है.
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