बीजीय मसालों के अंतर्गत वे फसलें आती है जिनके बीजों का प्रयोग मसालों के रूप में किया जाता है. बीजीय मसालों की फसलों का अंकुरण और शुरुआती वृद्धि बहुत धीरे होती है. जिससे इन मसाला फसलों को खरपतवार से जगह, प्रकाश, पानी, पोषक तत्व आदि के लिए कंपटीशन करना पड़ता है तथा मसाला फसलों की गुणवत्ता में काफी कमी आती है
और कीट- रोगों से भी फसल को नुकसान होता हैं. मसाला फसलों को बुवाई से लेकर कटाई तक खरपतवारों से मुक्त रखने से उपज भी अच्छी मिलती है और गुणवत्ता भी बढ़िया आती है, मगर खरपतवार को खेतों से हटाने में काफी खर्चा आता है अतः कांतिक अवस्था में ही खरपतवार को मुक्त रखने पर अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है. अधिकत्तर बीजीय मसाला फसलों में खरपतवार से होने वाले अधिक नुकसान बुवाई के 15-20 दिन से शुरू होते हैं जो 45-50 दिनों तक चलते है. यानी इस अवस्था में फसल को खरपतवार मुक्त रखना बहुत जरूरी हो जाता है. बीजीय मसाला फसलों में मुख्य रुप से सफेद सेंजी, पीली सेंजी, बथुआ, खरतूआ, प्याजी, जीरी, हिरणखुरी, कासनी, जंगली जाइ, पीपाड़ा, वनरी आदि खरपतवारों का प्रकोप होता है.
जीरा में खरपतवार नियंत्रण (Cumin Weed Control)
जीरा फसल की शुरुआती बढ़वार बहुत धीरे होती है और इसका पौधा भी बहुत छोटा होता है अतः खरपतवार से बहुत कंपटीशन करना पड़ता है. जीरा फसल को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिए दो बार निराई गुड़ाई करने की आवश्यकता होती है. पहली निराई गुड़ाई 20 से 25 दिन बाद तथा दूसरी निराई गुड़ाई 45 से 50 दिन बाद करनी चाहिए. रासायनिक विधि से भी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है, इसके लिए बुवाई के तुरंत बाद पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए. इस दवा का असर काफी समय तक रहता है अतः जहां पेंडिमेथलीन दवा का प्रयोग किया है वहाँ बाजरा की बुवाई नहीं करें, क्योंकि बाजरा में अंकुरण प्रभावित होता है. यदि अगले सीजन में बाजरा की बुवाई करनी ही है तो मिट्टी को अच्छी तरह से पलटकर की बुवाई करें ताकि इस दवा का असर खत्म हो सके.
जीरा की बुवाई के 15-20 दिन बाद ऑक्सीडाईजिरील 80 WP की 50 ग्राम मात्रा या ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5 EC की 200 मिली मात्रा प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से भी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है. इसका असर लंबे समय तक नहीं रहता जिससे उपयोग करना अधिक लाभदायक रहता है.
मेथी में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control in Fenugreek crop)
मेथी उगने के 25 दिन और 50 दिन बाद निराई गुड़ाई कर लेनी चाहिए. इसके अलावा फ्लूक्लोरेलीन 0.75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मेथी की बुवाई से पहले छिड़काव करें. या बुवाई के तुरंत बाद पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 1500 मिली हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दे. इसका इस्तेमाल करते समय खेत में नमी होना आवश्यक है.
सौंफ में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control in Fennel crop)
सौंफ की फसल में पौधे और पंक्तियों के बीच की दूरी अधिक होती है, अतः खरपतवार की समस्या भी अधिक हो जाती है. इसमें पहली निराई गुड़ाई 30 दिन बाद जब फसल 5 सेमी. की हो जाये, तब करें. रासायनिक दवा से बुवाई के तुरंत बाद और अंकुरण से पहले पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है.
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