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ककड़ी की खेती उन्नत खेती कैसे करें, आइये जानते हैं पूरी जानकारी

भारत में ककड़ी की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है. इसकी खेती के लिए जायद का मौसम उत्तम माना जाता है. जनवरी मध्य और फरवरी के पहले सप्ताह में इसकी रोपाई कर देना चाहिए जिससे गर्मी के मौसम में फल आने लग जाते हैं. बता दें कि गर्मी के मौसम में ककड़ी जबरदस्त मांग रहती है. यही वजह है कि किसान इसकी खेती करके अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. तो आइये जानते हैं ककड़ी की उन्नत खेती कैसे करें.

श्याम दांगी
ककड़ी की खेती
ककड़ी की खेती

भारत में ककड़ी की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है. इसकी खेती के लिए जायद का मौसम उत्तम माना जाता है. जनवरी मध्य और फरवरी के पहले सप्ताह में इसकी रोपाई कर देना चाहिए जिससे गर्मी के मौसम में फल आने लग जाते हैं. बता दें कि गर्मी के मौसम में ककड़ी जबरदस्त मांग रहती है. यही वजह है कि किसान इसकी खेती करके अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. तो आइये जानते हैं ककड़ी की उन्नत खेती कैसे करें.

ककड़ी की खेती के लिए मिट्टी

ककड़ी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी जीवांश तत्व उचित मात्रा में होना चाहिए. वहीं पानी निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.

ककड़ी की खेती के लिए जलवायु और तापमान

इसके बीजों के अंकुरण के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है. इसका पौधा 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी अच्छी ग्रोथ कर लेता है. इससे अधिक तापमान में इसके फूल झड़ने लगते हैं. समशीतोष्ण मौसम में इसका पौधा अच्छी बढ़वार करता है.

ककड़ी की खेती के लिए उन्नत किस्में

किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए सही बीज का चुनाव जरूरी है. ककड़ी की खेती के लिए भी उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए. इसकी उन्नत किस्में इस प्रकार है-

जैनपुरी ककड़ी-ककड़ी यह उन्नत किस्म है जिससे प्रति हेक्टेयर 150 से 180 क्विंटल की पैदावार ली जा सकती है. इसका फल सामान्य लंबाई का होता है.

अर्का शीतल-इस किस्म की ककड़ी हल्की पीली और एक फिट लंबी होती है. इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल की पैदावार ली जा सकती है.

पंजाब स्पेशल-उत्तरी भारत के राज्यों के लिए यह किस्म अच्छी मानी जाती है. इसका फल हल्का पीला होता है तथा यह किस्म जल्दी पकने वाली होती है. इससे प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल से अधिक पैदावार ली जा सकती है.

दुर्गापुरी ककड़ी-इसके फल हल्के पीले जिनपर नालीनुमा धारियां होती है. यह राजस्थान के आसपास के क्षेत्रों में उगाई जाती है. जल्दी पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल से अधिक पैदावार ली जा सकती है.

लखनउ अर्ली-यह काफी स्वादिष्ट और मुलायम होती है. इसकी खेती उत्तरी भारत के राज्यों में की जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल पैदावार ली जा सकती है.

ककड़ी की खेती के लिए खेत की तैयारी

सबसे पहले खेत से घासफूस और अनावश्यक खरपतवार हटाकर कल्टीवेटर से अच्छी तरह जुताई कर लें. इसके बाद मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए रोटावेटर चलाए और फिर पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें. इसके बाद खेत में मेड़ तैयार कर लें.

ककड़ी की खेती के लिए पौधों की तैयारी

रोपाई से पहले नर्सरी में पौधे तैयार कर लें. एक हेक्टेयर के लिए ढाई से 3 किलो बीज की जरूरत पड़ती है. इसके पौधे 20 से 25 दिनों में तैयार हो जाते हैं. इन तैयार पौधों को खेत में तैयार की गई मेड़ पर रोपाई कर दें.

 

ककड़ी की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक

अंतिम जुताई से पहले खेत में प्रति हेक्टेयर 10 से 15 ट्राॅली गोबर की खाद तथा 150 किलो एनपीके खाद पौधे की रोपाई से पहले डालना चाहिए. वहीं फूल खिलने से पहले 25 किलो यूरिया खाद डालें जिससे पैदावार में इजाफा होता है.

ककड़ी की खेती के लिए सिंचाई

ककड़ी के पौधों की रोपाई पलेवा करके की जाती है इसलिए पौधे रोपने के तुरंत बाद सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. गर्मी के मौसम में ककड़ी में सप्ताह में दो बार सिंचाई करना चाहिए. वहीं फल और फूल आने के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करना चाहिए.

ककड़ी की खेती के लिए तुड़ाई और कमाई

80 से 90 दिनों बाद ककड़ी की तुड़ाई शुरू हो जाती है. बता दें ककड़ी के फलों की सही समय पर तुड़ाई करना चाहिए क्योंकि इसके नरम फलों की बाजार में अधिक मांग होती है. प्रति हेक्टेयर ककड़ी की 200 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है. मंडी में 30 रूपये किलो तक ककड़ी के भाव मिल जाते हैं.

 

English Summary: How to do advanced cultivation of cucumber Let's know the complete information Published on: 23 January 2021, 06:13 PM IST

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