देश के किसान भाइयों के लिए गन्ना मुख्य नकदी फसल में से एक है. इसकी खेती से किसानों को डबल मुनाफा होता है, क्योंकि यह देश में चीनी का एक मात्र मुख्य स्त्रोत है. इसी कारण से किसान गन्ने के सीजन (अक्टूबर–नवम्बर) में इसकी खेती सबसे अधिक करते हैं.
अगर आप भी अपने खेत से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए गन्ने की खेती (sugarcane field) करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुनियाभर में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत है. एक रिपोर्ट से पता चला है कि अकेले भारत में गन्ने की फसल (sugarcane crop) की अनुमानित उत्पादकता 77.6 टन प्रति हेक्टेयर और वहीं उत्पादन क्षमता लगभग 306 मिलियन टन होती है.
संभवतः गन्ने की खेती हर एक किसान करता है, लेकिन अच्छा मुनाफा उसे ही प्राप्त होता है, जो इसकी खेती की अच्छी और उन्नत तरीके की विधि से खेती करता है. आप भी गन्ने की उन्नत विधि (Advanced method of sugarcane) को अपनाकर अपने खेत में गन्ने की बिजाई करें जिससे आपको भी डबल लाभ प्राप्त हो सके.
ट्रेंच विधि या फिर गड्ढा विधि (trench method or pit method)
अगर आप गन्ने की फसल से अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप इस तरीके को अपनाकर लगभग 30 प्रतिशत से अधिक गन्ने की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. इस विधि के लिए आपको अधिक कुछ करने की भी जरूरत नहीं होती है.
यह एक परम्परागत विधि (traditional method) है, जिसमें पानी की मात्रा बेहद कम लगती है.
इस विधि के द्वारा खरपतवार कम और खाद का सही इस्तेमाल होता है.
इसमें आपको खेत में गन्ने की बिजाई करने के लिए लगभग 1 फीट गहरी 1 फीट चौड़ी नालियों को तैयार करना होता है.
इसके बाद इन नालियों में कम से कम 25cm लंबे 2 से 3 आंख वाले गन्ने लगाए जाते हैं.
इस विधि में गन्ने से गन्ने की दूरी 10cm और नालियों की दूरी 4 फीट तक होनी चाहिए.
इस विधि की सबसे अच्छी खासियत यह है कि आप एक साथ दो फसल की खेती कर सकते हैं. किसान खेत में गन्ने के साथ दूसरी दलहनी फसल भी लगा सकते हैं. ऐसा करने से किसान को डबल मुनाफा तो होगा ही साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोतरी होगी.
ट्रेंच विधि या गड्ढा विधि में खाद की मात्रा
अगर आप अपने खेत में ट्रेंच विधि या फिर गड्ढा विधि से गन्ने की खेती करते हैं, तो आपको एक एकड़ खेत के लिए लगभग 80kg नाइट्रोजन, 30kg फास्फोरस और 25kg पोटाश डालना चाहिए.
ध्यान रहे कि बुवाई के समय आपको फसल में नाइट्रोजन का तीसरा हिस्सा डालना है. ताकि फसल अच्छे से तैयार हो सके.
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