अगर ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम की विशेषताओं (Features of Dhingri Mushroom) की बात की जाए तो इसमें निम्न विशेषताएं हैं:
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इसके उत्पादन की तकनीक आसान और सरल है.
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यह फसल अवशिष्टों जैसे धान, गेहूं के भूसे पर आसानी से उगाई जा सकती है.
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इसका फसल का चक्र बहुत कम होने की वजह से कई बार उत्पादन लिया जा सकता है इसका पूरा चक्र केवल 45 से 60 दिनों का होता है. जिसमें तीन बार ऑयस्टर मशरूम ली जा सकती है.
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दूसरी मशरूम के मुकाबले ऑयस्टर मशरूम की ये भी खासियत है कि इसका उत्पादन सालभर तक लिया जा सकता है.
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ऑयस्टर मशरूम को आसानी से सुखाकर इसका भंडारण किया जा सकता है.
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ऑयस्टर मशरूम में भी अन्य मशरूमों की तरह सभी प्रकार के भरपूर विटामिन, खनिज लवण तथा औषधीय तत्व होते हैं.
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ऑयस्टर मशरूम के उत्पादन में समय और मेहनत कम लगती है.
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बटन मशरूम की तरह इनमें खाद नहीं बनानी पड़ती है बल्कि फसल अवशेष का उपयोग कर मशरूम तैयार की जाती है.
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तैयार मशरूम के बाद जो भूसा बच जाता है उसको पशुओं को खिलाने से पशु अधिक दूध देता है क्योंकि इस भूसे में नाइट्रोजन और कुछ अन्य तत्व भी आ जाते है.
ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन करते समय क्या रखें सावधानियां? (Keep these precautions while producing oyster mushrooms)
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ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन करते समय उचित मात्रा में (4-6 घंटे) प्रकाश की व्यवस्था करनी चाहिए. जिसके लिए लाइट का प्रबंधन भी कर सकते है.
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गर्मी में उत्पादन करते समय दीवारों को पानी से समय-समय पर तर करते रहना चाहिए.
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कक्ष में हवा का आवागन होना जरूरी है इसके लिए खिड़की लगानी चाहिए. आपको बता दें कि हवा का उचित अवगमन नहीं होने से कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है और मशरूम का डंठल बड़ा लेकिन छतरी पतली पनपने लगती है.
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भूसे को सही तरीके से उपचारित करना चाहिए अन्यथा हानिकारक फंगस और जीवाणुओं से मशरूम खराब हो जाती है.
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भूसे को पोलिथीन बैग में दबाकर भरना चाहिए नहीं तो खाली जगह पर हानिकारक फंगस या बैक्टीरिया पनप जाते है और पूरा बैग खराब हो जाता है.
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गर्मियों के मौसम में ऑयस्टर मशरूम की प्लुरोटस साजोर काजू, प्लुरोटस फ्लेबिलेटस, प्लुरोटस सेपिडस, प्लुरोटस जामोर, प्लुरोटस साइट्रिनोंपिलिएटस प्रजातियों का चुनाव बीज के रूप में करना चाहिए जबकि सर्दी में जब ताप 20 डिग्री सेंटीग्रेट से कम हो जाये तो प्लुरोटस फ्लॉरिडा या प्लुरोटस कोर्नुकोपिया प्रजातियों का चुनाव सही रहता है.
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उत्पादन के समय किसी प्रकार का कीटनाशी या कवकनाशी का प्रयोग बिलकुल ना करें.
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सप्ताह में एक बार पोलिथीन के मशरूम बैग की निगरानी जरूर कर लें ताकि मालूम हो सके कि कोई हानिकारक फंगस या बेक्टीरिया तो नहीं पनप रहे. ऐसे पोलिथीन बैग में हरा, काला या नीले रंग की फंगस पैदा हो सकती है. अगर फंगस हो गई है तो संक्रमित बैग को तुरन्त उत्पादन कक्ष से हटाकर फैंक दें.
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अत्यधिक मात्रा में छोटे बीजाणु या स्पोर्स बनते हैं जिन्हें सुबह उत्पादन कक्ष में धुएं की तरह देखा जा सकता है इन बीजाणुओं से अक्सर काम करने वाले लोगों को एलर्जी हो सकती है अतः जब भी ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम तोड़ने उत्पादन कक्ष में जाएं तो खिड़की, दरवाजे इत्यादि दो घंटे पहले खोल देने चाहिए. इतना ही नहीं, नाक पर मास्क या कपड़ा लगाकर कमरों में जाना चाहिए.
बीज और प्रशिक्षण प्राप्त करने का स्थान (Seed and place of training)
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बीज और प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कोरपरेशन, मुथल पानीपत में सम्पर्क किया जा सकता है. इसके लिए 01264-82236 पर बात की जा सकती है.
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मशरूम अनुसंधान निदेशालय (Directorate of Mushroom Research), सोलन हिमाचल प्रदेश से बीज और प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है. इसके 91-1792-230767, 91-1792-230541 पर या वेबसाइट पर http://nrcmushroom.org/html/trainingcalender.html क्लिक किया जा सकता है.
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राजस्थान के उदयपुर में स्थित MPUAT विश्वविध्यालय से 9414160210, 0294-2470139, 0294-2470719 सम्पर्क किया जा सकता है.
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