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लहसुन खुदाई के लिए किसान लहसुन हार्वेस्टर का करें उपयोग, लागत के साथ समय की भी होगी बचत

इस समय खेतों में लहसुन की खुदाई की जा रही है. मजदूर ना मिल पाने के कारण लहसुन की खुदाई में काफी कठिनाई होती है. इसलिए किसानों को चाहिए कि वह खुदाई के लिए लहसुन हार्वेस्टर का प्रयोग करें तो कम लागत में उनके खेत से खुदाई खुदाई हो सकती है.लहसुन भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण बल्ब फसल है. इसका रसोई में तथा चिकित्सा लाभ के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. भारत के कई हिस्सों में लहसुन की खुदाई नवंबर एवं दिसंबर माह में होती है. इसकी खेती के लिए उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा पंजाब और मध्य प्रदेश का मौसम बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. लहसुन की कटाई अप्रैल व मई महीने में भी की जाती है. उत्तर प्रदेश में इसकी कटाई प्रमुखता से अप्रैल और मई में ही की जाती है.

विवेक कुमार राय

इस समय खेतों में लहसुन की खुदाई की जा रही है. मजदूर ना मिल पाने के कारण लहसुन की खुदाई में काफी कठिनाई होती है. इसलिए किसानों को चाहिए कि वह खुदाई के लिए लहसुन हार्वेस्टर का प्रयोग करें तो कम लागत में उनके खेत से खुदाई खुदाई हो सकती है.लहसुन भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण बल्ब फसल है. इसका रसोई में तथा चिकित्सा लाभ के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. भारत के कई हिस्सों में लहसुन की खुदाई नवंबर एवं दिसंबर माह में होती है. इसकी खेती के लिए उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा पंजाब और मध्य प्रदेश का मौसम बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. लहसुन की कटाई अप्रैल व मई महीने में भी की जाती है. उत्तर प्रदेश में इसकी कटाई प्रमुखता से अप्रैल और मई में ही की जाती है.

मजदूरों की उपलब्धता ना होने के कारण एवं संसाधनों के अभाव में लहसुन की खेती बड़े पैमाने पर नहीं की जा रही है. कई तकनीक उपलब्ध हैं, परंतु किसानों को उनकी जानकारी ना हो होना भी इसका एक मुख्य कारण है, लहसुन को प्रायः किसानों द्वारा मिट्टी को खोदकर या इसके तने को हाथों से खींच कर निकाला जाता है इस प्रकार में बहुत समय लगता है. इसके लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 30 से 35 मजदूरों की आवश्यकता होती है. कई जगहों पर किसानों द्वारा कल्टीवेटर द्वारा खुद कर भी लहसुन को निकाला जाता है. इससे नुकसान अधिक होता है एवं लहसुन को इकट्ठा करने में मजबूर लागत भी अधिक आती है. ट्रैक्टर 40 लहसुन खोदने वाले यंत्र से यह काम बड़ी आसानी से किया जा सकता है.

इस मशीन में एक 1.5 मीटर चौड़ी ब्लेड लगी होती है जो मिट्टी को खोदने का काम करती है. इसके बाद लहसुन को चैन टाइप की प्रणाली में गुजारा जाता है. पृथक्करण जाली में लोहे की छड़ ए समान दूरी पर लगी होती हैं. मशीन के संचालन के दौरान प्रथक्करण जाली से पौधों में लगी मिट्टी अलग हो जाती है. इस जाली के पिछले हिस्से से लहसुन गिरकर एक पंक्ति में जमा हो जाती है. इसके बाद लहसुन की गानों को तीन से चार दिनों तक खेत में सुखाया जाता है. इस मशीन को ट्रैक्टर की वीडियो द्वारा संचालित किया जाता है. मशीन की कार्य क्षमता .25 से पॉइंट 30 हेक्टेयर प्रति घंटा है.

इसकी परिचालन लागत लगभग 3 से ₹4000 प्रति हेक्टेयर आती है. काली मिट्टी में यह मशीन चलाने के लिए थोड़ी नवी होना अति आवश्यक है. लाल मिट्टी से भी इसे बड़ी सुगमता में चलाया जा सकता है और भंवरी मिट्टी में तो इस मशीन का उपयोग बहुत आसानी से और बहुत अच्छी प्रकार से किया जा सकता है. इसलिए इस समय लहसुन क्यों पढ़ाई के लिए लहसुन हार्वेस्टर का प्रयोग किसानों को करना चाहिए, जिससे कम लागत में उसकी खुदाई आसानी से की जा सके.

लेखक: प्रोफेसर एच एस भदौरिया

कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर

English Summary: Farmers should use garlic harvester for digging garlic, time will also be saved along with cost Published on: 12 May 2020, 01:52 PM IST

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