रिंग-पिट विधि से गन्ना बुवाई किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. रिंग-पिट गन्ना बुवाई पद्धति को गड्ढा विधि भी कहा जाता है. देश में गन्ने की खेती से लाभ कमाने वाले किसानों को फसल से जुड़ी हर तकनीक का अगर पता होगा तो उन्हें उत्पादन भी अधिक मिलेगा.
कई शोध में पाया गया है कि भारत में गन्ना बुवाई बड़े पैमाने पर की जाती है लेकिन इसके बाद भी गन्ने की पैदावार अधिक नहीं है. इसकी एक वजह यह भी है कि कई क्षेत्रों में गन्ना की खेती करने वाले किसान गन्ना बुवाई की नयी तकनीक से परे हैं जिससे उन्हें गन्ना उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं मिलती है. ऐसे में आज हम गन्ना किसानों को रिंग-पिट गन्ना उत्पादन एडवांस तकनीक से गन्ने की बुवाई कैसे करें, इसकी पूरी जानकारी देंगे. यह Ring-pit technology for sugarcane farming अपनाने से गन्ना उत्पादक गन्ने की पैदावार को चार गुना अधिक बढ़ा सकते हैं.
खेत में गड्ढे तैयार करना
इस रिंग-पिट विधि में किसानों को खेत की जुताई करने की भी आवश्यकता नहीं होती है. जी हाँ, इसमें सबसे पहले रिंग-पिट डिगर मशीन से खेत में गड्ढे तैयार किये जाते है. इस दौरान एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे की केन्द्र से केन्द्र की दूरी लगभग 120 सेंटीमीटर होती है. साथ ही हर एक गड्ढ़ा 90 सेंटीमीटर व्यास का होता है. एक हेक्टेयर में 6 हज़ार से भी ज़्यादा गड्ढे तैयार किये जा सकते हैं. गड्ढों की गहराई लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
गड्ढों में बुवाई से पहले की तैयारी
गड्ढों में गन्ना की बुवाई से पहले लगभग 5 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद या गोबर की खाद को 60 ग्राम एन पी के, 40 ग्राम यूरिया और 5 ग्राम फोरेट या फुराडॉन डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला लें. इसके बाद प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल गोबर की खाद, 150 किलोग्राम एन पी के, 104 किलोग्राम यूरिया और 12 किलोग्राम फुराडॉन का छिड़काव करें.
गन्ने में सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
इस विधि में गन्ना फसल बारिश से पहले 7 से 8 सिंचाई दें. गणना फसल में निराई एवं गुड़ाई आवश्यकतानुसार करें. विकास के साथ ही फसल से सूखी पत्तियों को निकाल दें. इससे सामयिक कीट जैसे- स्टॉक बोरर से आप निश्चिन्त रहेंगे. पत्तियों को खेत में ही बिछाया जा सकता है जो सड़कर खाद बन सके.
फसल गिरने से ऐसे बचाएं (गन्ना बंधायी )
गन्ने को गिरने से बचाने के लिए हर एक गड्ढे को पहले चार हिस्सों में बांधना होगा. बाद में दूसरी बंधाई में दो हिस्सों को आपस में बांधे और तीसरी बंधाई में हर एक गड्ढे को एक गन्ने के साथ बांध लें. इस तरह गन्ना गिरने की संभावना खत्म हो जाती है. याद रखें कि चौथी बंधाई के दौरान पहली बंधाई खोल दें.
रिंग-पिट में गन्ना फसल की कटाई एवं पेड़ी
गन्ना की कटाई जमीन की सतह के नीचे से करें जिससे पेड़ी की अच्छी फसल मिले और कटाई के तुरन्त बाद ही सिंचाई कर दें.
गन्ने के बीज और उपचार
किसान केवल स्वस्थ गन्ने के बीज का ही इस्तेमाल करें और शोधन के बाद ही बुवाई करें. ध्यान रखें कि इस्तेमाल किये जाने वाले सभी गन्ना बीज की आँखें स्वस्थ हों. उपचार के लिए किसान गन्ने की दो या तीन आँख वाले टुकड़े काटकर 0.2 प्रतिशत बावस्टिन के घोल में लगभग आधे घंटे तक डुबो दें.
गन्ना बुवाई विधि
उपचार बाद प्रत्येक गड्ढे में 35 से 40 गन्ने की आँख की बुवाई की जाती है. गन्ने के टुकड़ों को गड्ढों के किनारे साईकिल के पहिये की तिलियों की तरह केन्द्र की तरफ जाते हुए बोवा जाता है. प्रति एकड़ किसान लगभग 60 कुन्तल गन्ना बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं. बोये हुए गन्ने के बीज के टुकड़ों पर लगभग 6 सेंटीमीटर मिट्टी की हल्की परत डाल दें. ध्यान देने वाली बात यह है कि मिट्टी दो गड्ढों के बीच से ऐसे चढ़ाएं कि दो गड्ढों के बाच नाली बन जाए जिसका इस्तेमाल बाद में किसान सिंचाई के लिए भी कर सकते हैं. बुवाई के समय गड्ढों में नमी रखें.
गड्ढों में ऐसे डालें मिट्टी
गन्ने के पौधे जमीन की सतह से लगभग 8 से 9 इंच ऊपर जब आ जाएं, उस समय लगभग आधी मिट्टी गड्ढे में गिरा दें लेकिन उससे ठीक पहले हर एक गड्ढे में 40 ग्राम NPK और इसकी आधी यूरिया डाल दें. 15 दिन के बाद पर बाकी मिट्टी को भी हर एक गड्ढे में 40 ग्राम यूरिया और 5 ग्राम फुराडॉन के साथ डालकर गड्ढों को समतल कर दें. इसके एक महीने बाद गड्ढों पर चारों तरफ से मिट्टी चढ़ा दें.
गन्ने की अच्छी पेड़ी की उपज लेने के लिए प्रति गड्ढा 100 ग्राम एनपीके तथा 50 ग्राम यूरिया देकर गुड़ाई कर दें. इससे कल्ले भी तेजी से बढ़ते हैं.
रिंग-पिट विधि में पैदावार
रिंग-पिट विधि से गन्ना बुवाई में पैदावार की बात करें तो किसान लगभग 900 से 1000 क्विंटल या इससे अधिक प्रति एकड़ की पैदावार ले सकते हैं.
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