Eucalyptus Cultivation: किसानों की आय बढ़ाने के लिए यूकलिप्टस की खेती काफी फायदे का सौदा साबित हो रही है. क्योंकि यह खेती कम समय में ही तेजी से साथ लाभ देना शुरू कर देती है. बता दें कि यूकलिप्टस की खेती ज्यादातर व्यापारिक इस्तेमाल में की जाती है. यूकलिप्टस के पेड़ से पेटियां, ईंधन, फर्नीचर आदि चीजों को बनाया जाता है. इसकी खेती (Eucalyptus Crop) के लिए किसी विशेष जलवायु की जरूरत नहीं होती. साथ ही यूकलिप्टस खेती पर गर्मी, बारिश, ठंड का भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है. वहीं, लागत की बात करें, तो यूकलिप्टस के पेड़ को अच्छे से विकसित करने के लिए न तो खाद की जरूरत पड़ती है और न ही इसमें किसी तरह का कोई खतरनाक रोग लगता है. यानी की इसकी खेती में लागत न के मात्र और मुनाफा हजारों-लाखों का है.
यूकेलिप्टस पेड़ों की खेती मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गोवा, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य कई राज्यों में की जाती है. यूकेलिप्टस के पेड़ों (Eucalyptus Trees) की ऊंचाई लगभग 30 से 90 मीटर होती है. ऐसे में आइए यूकलिप्टस की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
यूकेलिप्टस के पेड़ों की खेती
यूकेलिप्टस की खेती से अच्छा लाभ पाने के लिए किसानों को इसकी उचित जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. साथ ही इसकी मिट्टी क्षारीय नहीं होनी चाहिए. ध्यान रहे कि इसकी मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
देखा जाए तो यूकेलिप्टस के पौधे कम पानी में अच्छे से विकसित हो जाते हैं. बारिश के मौसम में इसकी खेती में किसानों को पानी देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. वहीं. सामान्य मौसम में 50 दिन के अंतराल में ही इसकी खेती में पानी देना चाहिए.
लेकिन किसानों को यूकेलिप्टस के पौधों (Eucalyptus Plants) को खरपतवार से बचाना (Weed Protection) बेहद जरुरी होता है. इसके बचाव के लिए किसान को बरसात के मौसम में तीन से चार बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए.
भारत में बोई जाने वाली यूकेलिप्टस की टॉप 6 किस्में
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यूकलिप्टस निटेंस
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यूकलिप्टस ऑब्लिक्वा
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यूकलिप्टस विमिनैलिस
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यूकलिप्टस डेलीगेटेंसिस
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यूकलिप्टस ग्लोब्युल्स
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यूकलिप्टस डायवर्सीकलर
यूकेलिप्टस की बुवाई और रोपाई का समय
किसानों को यूकेलिप्टस के पौधे से अच्छी पैदावार पाने के लिए खेत में बुवाई से पहले ही गहरी जुताई करनी चाहिए और फिर खेत को समतल बनाएं. इसके बाद खेत में गड्ढे बनाए. ध्यान रहे कि रोपाई से पहले गड्ढों को सिंचित किया जाना चाहिए. ताकि खेत में नमी बनी रहे. यूकेलिप्टस के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं. फिर उनकी खेत में रोपाई होती है. रोपाई के लिए बारिश का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. क्योंकि इस दौरान बार-बार सिंचाई की जरूरत नहीं होती. ध्यान रहे कि एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 3 से 5 फीट होनी चाहिए. ताकि यह सही तरीके से विकसित हो सके.
यूकेलिप्टस की खेती में लागत और मुनाफा
देश के किसानों के लिए यूकेलिप्टस की खेती कम बजट वाली खेती (Low Budget Farming) है. हिसाब लगाया जाए तो किसान एक हेक्टेयर जमीन में 3000 तक यूकेलिप्टस के पौधे लगा सकते हैं. वहीं, नर्सरी (Plant Nursery) में यूकेलिप्टस के एक पौधे की कीमत लगभग 7 से 8 रुपए होती है. इस तरह 3 हजार पौधे खरीदने के लिए आपको 20 से 25 हजार रुपये खर्च करने होंगे. यूकेलिप्टस का पेड़ 5 से 7 साल में पूरी तरह से विकसित हो जाता है. इसमें न तो खाद का खर्चा आता है और न ही किसी तरह के रोग के लिए किसान को खर्च करना पड़ता है.
ऐसे में देखा जए तो इसके हर एक पेड़ से करीब 400 से 500 किलो तक लकड़ी प्राप्त होती है. जिसकी बाजार में अच्छी कीमत होती है. कुल मिलाकर आप 4 से 5 सालों में 50-60 लाख रुपये तक की कमाई सरलता से कर सकते हैं.
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