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अरबी की उन्नत खेती कैसे करें, आइए जानते हैं

अरबी स्टार्च का प्रमुख तत्व है जिसे आम बोलचाल की भाषा में घुईया या कोचई कहा जाता है. इसमें प्रोटीन, लोहा, पोटेशियम, थियामिन, रेशा, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट समेत कई खनिज तत्व पाए जाते हैं. मध्य प्रदेश के कई जिलों में इसकी खेती होती है. यहां के खरगोन जिले के किसान अरबी की खेती बड़ी संख्या में करते हैं. यहां के प्रोग्रेसिव फार्मर कपिल यादव भी अरबी की खेती (Colocasia Farming) काफी समय से कर रहे हैं. तो आइए जानते हैं उनसे कि अरबी की अच्छी पैदावार के लिए खेती कैसे करें.

श्याम दांगी

अरबी स्टार्च का प्रमुख तत्व है जिसे आम बोलचाल की भाषा में घुईया या कोचई कहा जाता है. इसमें प्रोटीन, लोहा, पोटेशियम, थियामिन, रेशा, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट समेत कई खनिज तत्व पाए जाते हैं. मध्य प्रदेश के कई जिलों में इसकी खेती होती है. यहां के खरगोन जिले के किसान अरबी की खेती बड़ी संख्या में करते हैं. यहां के प्रोग्रेसिव फार्मर कपिल यादव भी अरबी की खेती (Colocasia Farming) काफी समय से कर रहे हैं. तो आइए जानते हैं उनसे कि अरबी की अच्छी पैदावार के लिए खेती कैसे करें.

अरबी की खेती के लिए उचित समय (Time to cultivate Arabic)-

कपिल यादव का कहना है कि क्षेत्र में अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है. खरीफ की फसल की बुवाई 10 से 15 जुलाई तक की जाती है. जो दिसंबर और जनवरी महीने तक पक जाती है. वहीं रबी सीजन की फसल 10 से 15 अक्टूबर को लगाई जाती है. जो अप्रैल और मई माह में पक जाती है.

अरबी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of farm for Arabic Cultivation)-

अच्छी पैदावार के लिए गर्मी में खेत की एक गहरी जुताई की जाती है. इसके कल्टीवेटर से 1-2 जुताई की जाती है. इसके बाद रोटावेटर से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लिया जाता है. इसके बाद खेत में क्यारियां तैयार की जाती है जिसमें अरबी के कंदों की बुवाई की जाती है.

अरबी की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing time for Arabic Cultivation)-

कंदों की बुवाई को लेकर कपिल का कहना है, कि तैयार क्यारियों या पालियों पर अरबी का कंद हाथ से लगाया जाता है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर, पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है. कंद को 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोया जाता है जिससे अच्छा अंकुरण होता है.

अरबी की खेती के लिए उर्वरक (Fertilizer for Arabic Cultivation)-

एक एकड़ में नाइट्रोजन 100 किलो, डीएपी 100 किलो, सिंगल सुपर फास्फेट 3 बोरी और गोबर खाद 4 से 5 ट्राली तक डाली जाती है. बुवाई के दौरान पहले खेत में डीएपी खाद डाली जाती है. कपिल का कहना है, की बीज खरीदी के बाद तुरंत बुवाई करना चाहिए.

अरबी खेती के लिए बीज की मात्रा (Quantity of seed for Arabic Farming)-

कपिल बताते हैं कि पिछले साल बीज के लिए अरबी का कंद 2500 रूपए क्विंटल मिला था. जिसके लागत काफी बढ़ गई थी. वहीं इस साल 800 रूपए क्विंटल ही यह मिल रहा है. एक एकड़ में लगभग 6 से 7 क्विंटल बीज लगता है.

अरबी की खेती से मुनाफा (Profits from Arabic Cultivation)

यदि अच्छी पैदावार हो जाती है, तो एक एकड़ से 100 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है. अच्छी आमदानी अरबी के भाव पर डिपेंड करती है. कपिल का कहना है कि अरबी कभी 20 से 22 रूपए किलो तक बिक जाती है तो कभी 6 से 7 रूपए प्रति किलो ही इसके भाव मिल पाते हैं. ऐसे में यदि फसल का अच्छा भाव मिल जाता है तो प्रति एकड़ 1.5 से 2 लाख रूपए की कमाई हो जाती है.

अरबी की खेती संबंधित अधिक जानकारी के लिए-

किसान- कपिल यादव

पता- रायपुरा, तहसील खरगोन, जिला खरगोन, मध्य प्रदेश

मोबाइल नंबर- 9770837186

English Summary: earn huge profits by cultivating colocasia in the field Published on: 10 November 2020, 06:33 PM IST

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