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खेसारी की वैज्ञानिक खेती करके कमाएं अच्छा मुनाफा!

खेसारी दाल की खेती और इसके खाने का चलन हमारे देश में प्राचीन समय से ही है. रबी सीजन में उगाई जाने वाली इस दलहनी फसल को गरीबों की दाल कहा जाता है. लेकिन एक हानिकारक तत्व के कारण खेसारी दाल की खेती पर 1961 में प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस हानिकारक रसायन का नाम है ओपैड एसिड. समय बीतने के साथ लोगों को आज भी खेसारी दाल और साग का स्वाद याद है. आम लोगों के बीच खेसारी की लोकप्रियता को देखते हुए देश कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी कुछ ऐसी किस्में विकसित की है जिसमें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक यह तत्व लगभग नगण्य है. तो आइए जानते हैं इसकी खेती की पूरी जानकारी और प्रमुख किस्में जिन पर प्रतिबंध नहीं है.

श्याम दांगी
Khesari Farming
Khesari Farming

खेसारी दाल की खेती और इसके खाने का चलन हमारे देश में प्राचीन समय से ही है. रबी सीजन में उगाई जाने वाली इस दलहनी फसल को गरीबों की दाल कहा जाता है. लेकिन एक हानिकारक तत्व के कारण खेसारी दाल की खेती पर 1961 में प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस हानिकारक रसायन का नाम है ओपैड एसिड. समय बीतने के साथ लोगों को आज भी खेसारी दाल और साग का स्वाद याद है. आम लोगों के बीच खेसारी की लोकप्रियता को देखते हुए देश कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी कुछ ऐसी किस्में विकसित की है जिसमें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक यह तत्व लगभग नगण्य है. तो आइए जानते हैं इसकी खेती की पूरी जानकारी और प्रमुख किस्में जिन पर प्रतिबंध नहीं है.

खेसारी की खेती लिए किस्में (Varieties for Khesari Cultivation )

खेसारी की रतन और प्रतीक दो ऐसी किस्में हैं जिसकी किसान खेती कर सकते हैं. इन दोनों किस्मों में न्यूरोटॉक्सीन की मात्रा नगण्य होती है. इन दोनों किस्मों की खेती और खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. वहीं कुछ योजनाओं के जरिए इन किस्मों को लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करने के साथ आर्थिक मदद भी दी जा रही है. खेसारी की खेती इस लिए फायदेमंद है कि इसे कम मेहनत और कम खर्च में ऊगा सकते हैं.

रतन- यह किस्म 105 से 115 दिनों में पक जाती है इसका दाना बड़ा और फूल नीला होता है. इससे प्रति हेक्टेयर 14 से 16 क्विंटल की पैदावार होती है.

प्रतीक- खेसारी की यह 110 से 115 दिनों में पक जाती है. इस किस्म का फूल छोटा होता है वहीं इससे प्रति हेक्टेयर 14 से 16 क्विंटल की पैदावार होती है.

खेसारी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of farm for Khesari farming)

सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई करें. जिसके बाद कल्टीवेटर से दो बार जुताई करके पाटा चला दें ताकि खेत समतल हो जाए और मिट्टी भुरभुरी हो जाए. इसकी बुआई का सही समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर है.

खेसारी की खेती के लिए बुआई (Sowing for Khesari farming)

कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखना चाहिए. एक हेक्टेयर में 40 से 45 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है. बीज जनित रोगों से बचाने के लिए बीज को बुआई के एक दिन पहले थीरम या कैप्टान या कार्बेन्डाजिम से उपचारित कर लेना चाहिए.

खेसारी की खेती के लिए खाद व उर्वरक (Fertilizer and fertilizer for Khesari farming)

अच्छे उत्पादन के लिए खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 20 किलोग्राम, पोटाश 40 किलोग्राम तथा डीएपी 40 ग्राम डालना चाहिए.

खेसारी की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Khesari farming)

इसमें सामान्यतौर पर सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन खेत में नमी की कमी पड़ जाए तो 60 से 70 दिनों बाद एक सिंचाई कर देना चाहिए.

खेसारी की खेती के लिए निराई-गुड़ाई (Weeding for Khesari farming)

25 से 30 दिनों बाद फसल की पहली निराई-गुड़ाई करना चाहिए.  

खेसारी की खेती के लिए कटाई (Harvesting for Khesari farming)

फलियां पकने के साथ ही पौधा सूखने लगता है उस समय इसकी कटाई करना उचित रहता है. इसके बाद फलियों को अच्छे से सूखाकर थ्रेशर की मदद से दाने को अलग कर दें. 

English Summary: Earn good profits by scientific farming of lathyrus Published on: 14 December 2020, 05:54 PM IST

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