ब्रोकली की खेती ठंडे मौसम में की जाती है. यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है. इसमें मौजूद आयरन, कैल्शियम, विटामिन और अन्य पोषक तत्व हमारे शरीर को स्वस्थ बनाते हैं. बाज़ार में यह काफी महंगा बिकता है. किसान इसकी खेती कर काफी अच्छा लाभ कमाते हैं, लेकिन इन सब्जी उत्पादन में रोग भी लगने का डर लगता है. ऐसे में आज हम आप सभी किसानों को ब्रोकली में लगने वाले रोगों से बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं.
ब्रोकली की फसल पर लगने वाले निम्न रोग
काला विगलन
यह जीवाणु जनित रोग होता है, इस रोग से पौधे की पत्तियों के किनारों पर सड़न होने लगती है और ब्रोकली की शिराएं धीरे-धीरे काली और भूरी रंग की हो जाती हैं. पौधों को इस रोग से बचाने के लिए खेत में बीजों को बोने से पहले गर्म पानी में कुछ घंटे तक उपचारित कर लेना चाहिए. इसके अलावा रोगग्रस्त पौधे को उखाड़कर जला देना चाहिए.
पत्ती धब्बा रोग
यह फफूंद जनित रोग होता है. इसके प्रभाव से ब्रोकली की पत्तियों पर गोल धब्बे पड़ने लगते हैं. इस रोग पर नियंत्रण के लिए इंडोफिल M-45 का छिड़काव 1000 लीटर पानी में घोलकर करना चाहिए. इसके अलावा रोगी पौधों को उखाड़कर जला देना चाहिए.
लालामी रोग
बोरॉन की कमी से ब्रोकली में लालामी रोग होता है. यह ब्रोकली का रंग गाढ़ा कत्थई कर देता है. इस रोग का प्रकोप बढ़ने से फूलों और पौधों के डंठल में काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं और पौधा धीरे-धीरे अविकसित होने लगता हैं. इस रोग से बचाव के लिए ब्रोकली के पौधों पर बोरेक्स के घोल का छिड़काव करना चाहिए.
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काली मेखला
काली मेखला भी एक प्रकार कवक रोग होता है. यह रोग पौधे के शुरुआती अवस्था में होता है. इस दौरान ब्रोकली की पत्तियां सूख जाती है और उन पर राख जैसा धूसर रंग चढ़ जाता है. इस रोग के उपचार के लिए आप मिट्टी में दलहनी पौधों की खेती के बाद ही ब्रोकली की खेती करें.
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