खेती को मुनाफे का धंधा तभी बनाया जा सकता है जब अधिक और गुणवत्तापूर्ण पैदावार की जाए. अधिक पैदावार के लिए मिट्टी में पौषक तत्वों को होना बेहद आवश्यक है. मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे तत्वों की पूर्ति के लिए हरियाणा के सुकेराखड़ा के प्रोग्रेसिव फार्मर आशीष मेहता ने जैविक और बिल्कुल देसी तरीका खोजा है. इतना ही नहीं फसलों में इस तरह के जैविक खाद का इस्तेमाल से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है तो आइए जानते हैं उनका जमीन की इम्युनिटी को बूस्ट करने का देसी तरीका.
कैसे फसल में होगी 40 फीसदी की बढ़ोती? (Increase the crop up to 40 percent)
प्रोगेसिव फार्मर आशीष मेहता ने बताया कि वे पिछले 5 सालों से दही, आंवला, लहसुन, निबोली, किन्नू, गुड़ समेत कई चीजों का उपयोग मिट्टी की इम्युनिटी को बूस्ट करने के लिए कर रहे हैं. इनकी खास बात ये है कि वे जैविक फर्टिलाइजर बनाने के लिए केवल ऑर्गेनिक यानी देसी चीजों का ही उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरकता तो बढ़ाने के साथ-साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे तत्वों की आसानी से पूर्ति हो जाती है. इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी (information technology) में बीटेक कर चुके मेहता का कहना है कि वे गेहूं, धान, कपास, ग्वार और सब्जियों की खेती आर्गेनिक तरीके से ही करते हैं. देसी तरीके से बनाए गए फर्टिलाइजर की बदौलत उन्हें एक एकड़ से 22 से 23 क्विंटल गेहूं कि उपज मिल रही है. वहीं कपास 11 क्विंटल प्रति एकड़ और ग्वार 6 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज मिल रही है. जैविक खेती करने के बावजूद पैदावार में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
कैसे बनाते हैं देसी स्प्रे? (Making of organic Spray)
प्रोगेसिव फार्मर मेहता का कहना है कि बड़ी आसानी से मिलने वाली देसी जीचों से बनने वाले इस स्प्रे को बड़ी आसानी से बनाया जा सकता है. जो फसलों और मिट्टी की इंयूनिटी पावर (immunity power) को इतना बढ़ा देता है कि आप अचंभित रह जाएंगे. किसान ने बताया कि देसी स्प्रे बनाने के लिए वह पूसा एवं आइसीएसआर द्वारा तैयार जीवाणु का उपयोग करते है. सबसे पहले बेसन, गुड़ और सरसों की खल में पानी डालकर एक सप्ताह के लिए रख देते हैं. जिसमें जीवाणुओं को डालकर अच्छे से मिलाया जाता है. एक सप्ताह में घोल तैयार हो जाता है जिसका प्रयोग फसल में कर सकते हैं.
पहले बर्बाद हो जाती थी फसल
आशीष मेहता की माने तो पहले उनकी कपास की फसल उखेड़ा रोग की वजह से 70 प्रतिशत तक चौपट हो जाती थी. लेकिन अब वे देसी स्प्रे करते हैं, जो कीटों की शक्तियों को कमजोर कर फसल खराब नहीं होने देते है. उखेड़ा रोग के लिए भी स्प्रे कारगर है. वहीं आशीष का ये भी कहना है कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया और बांग्लादेश जैसे दुनिया के कई देश प्राकृतिक खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं. भारत में भी धीरे-धीरे लोगों का जैविक खेती की और रूझान बढ़ रहा है.
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