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मुश्कदाना या कस्तूरी भिन्डी की खेती करने का तरीका

कस्तूरी भिण्डी एक जंगली प्रजाति के रूप में पाई जाने वाली फसल है. इसके औषधिय गुण तथा सुगंधित होने के कारण बाजार में इसकी बहुत ज्यादा मांग है

रवींद्र यादव
कस्तूरी भिन्डी की खेती
कस्तूरी भिन्डी की खेती

कस्तूरी का उपयोग प्राचीन काल से औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता आ रहा है. इसके अलावा इससे इत्र भी बनाया जाता है. सारी दुनिया इसकी खुशबू की दिवानी है. भिण्डी को हम सब्जी की फसल के रूप में अच्छे से जानते हैं, लेकिन भारतीय वनों में कस्तूरी भिण्डी भी जंगली प्रजाति के रूप में पाई जाती है. कस्तूरी भिण्डी की बढ़ती मांग और वनों में इसकी घटती उपलब्धता ने विशेषज्ञों को इसे एक उपयोगी औषधि एवं सुगंध फसल के रूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया. इसके प्राप्ति के लिए वैज्ञानिकों द्वारा व्यापक अनुसंधान किये गये और इसकी कृषि की उन्नत तकनीके विकसित की गई.

जलवायु

इसकी खेती भारत के उष्ण क्षेत्रों में की जाती है. इसके लिए जलभराव व पालामुक्त क्षेत्र उपयुक्त माना जाता है.  यह व्यावसायिक स्तर पर बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान व गुजरात राज्यों में उगाई जाती है.

मृदा

इसको सभी प्रकार की मृदा में आसानी से उगाया जा सकता है. इसका पौधा 4-5 फीट ऊंचा बहुवर्षीय झाड़ीनुमा आकार का होता है. इसकी पत्तियों और तने पर रोयें होते है. पत्तियां 8-10 से.मी. चौड़ी होती हैं. इसके फूल पीले रंग के होते है

प्रबंधन

फसल की बोआई बीज द्वारा की जाती है, इसमें लाभकारी सूक्ष्म जीवों को चूर्ण के रूप में मिश्रित भी किया जा सकता है. कस्तूरी भिण्डी की फसल में समय-समय पर अनावश्यक खरपतवारों को उखाड़ने की आवश्यकता होती है, इसमें खरपतवार नाशी औषधियों का उपयोग नहीं किया जाता है. आम तौर पर हर 10 से 15 दिनों के अंतराल में खरपतवारों को उखाड़ने की आवश्यकता होती है.

खाद

भिण्डी उत्पादक तो आधुनिक कृषि रसायनों का प्रयोग कर इन पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं. लेकिन कस्तूरी भिण्डी की खेत में यह संभव नहीं हो पाता है. आधुनिक रसायनों के प्रयोग से कीट और रोग नियंत्रित तो हो जाते हैं पर कस्तूरी भिण्डी के बीज अपनी स्वभाविक गंध खो बैठते हैं, जिसके कारण इनका बाजार मूल्य कम हो जाता है. वर्षा ऋतु में भूमि में 25 क्विंटल गोबर की खाद, 2 किलो ग्राम  नीम की खल और 2 किलो ग्राम अरण्डी की खल मिला देनी चाहिए. इसमें रासायनिक खाद की आवश्यकता नही होती है

कीट प्रबंधन

तना काटने वाले कीटो के लिए नीम  का  काढ़ा पांच लीटर और दस लीटर गौ के मूत्र को दो सौ लीटर  पानी में मिलाकर पौधों पर  छिड़काव करना चाहिए

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कटाई

बोआई के 5 से 7 महिने में भिन्डी पर पके हुये 'कैप्सूल' को तोड़कर सुखाते रहते हैं और अन्त में इसे पीटकर बीज को निकाल लें और फिर इसे सुखा लें. कस्तुरी भिंडी की खेती से प्रति हैक्टर 18 से 20 क्विंटल तक के सूखे बीज का उत्पादन किया जा सकता है.

English Summary: Cultivation of Kasturi Bhindi Published on: 01 February 2023, 12:03 PM IST

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