देश में किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिये नये-नये बदलाव किये जा रहे हैं. इस बीच किसानों को भी महंगी, दुर्लभ और नकदी फसलों की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि बाजार में भी सबसे ज्यादा इन्हीं फसलों की मांग और कीमत होती है.
ऐसी ही दुर्लभ और महंगी फसल में शामिल है काला अमरूद. जो औषधीय गुण से भरपूर होने की वजह से सेहत के लिए लाभकारी है. अपनी विशेषताओं के कारण पिछले दिनों ये किस्म काफी लोकप्रिय हुई है. किसान चाहें को कम लागत में इसकी खेती करके अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. आइये जानते हैं कैसे कर सकते हैं काले अमरूद की खेती...
व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त
काले अमरूद में कई गुना पोषण लाभ और वाणिज्यिक उत्पादन और निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं. देशभर के बाजारों में अभी तक सिर्फ पीले अमरूद और हरे अमरूद का ही दबदबा रहा है, लेकिन काले अमरूद की व्यावसायिक खेती करके एक नया बाजार खड़ा कर सकते हैं. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यहां की जलवायु और मिट्टी इस अमरूद के लिए उपयुक्त है. उनका मानना है कि इस अमरूद के व्यवसायिक इस्तेमाल होने से मांग बढ़ेगी. उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि भविष्य में हरे अमरूद की तुलना में इसका व्यवसायिक मूल्य ज्यादा होगा, जिससे किसानों को कम मेहनत में अधिक फायदा मिल सकेगा.
औषधीय गुणों के लिए मशहूर
काला अमरूद अपने औषधीय गुणों की वजह से मशहूर है. इसमें जरूरी पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं. जो शरीर की रोगप्रतिरोधी को मजबूत बनाते हैं. काले अमरूद की खेती किसानों को कम वक्त में अच्छा-खासा मुनाफा दिला देती है.
लाल होता गूदे का रंग
हिमाचल प्रदेश में इस अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार के कई किसान भी प्रयोग के तौर पर इसकी खेती कर ठीक-ठाक मुनाफा हासिल कर रहे हैं. इसकी पत्तियां और अंदर गूदे का रंग लाल होता है. वहीं, वजन 100 ग्राम तक होता है. दिखने में ये सामान्य अमरूदों की तुलना में ज्यादा आकर्षक लगते हैं.
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उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
विशेषज्ञों के अनुसार काले अमरूद की खेती के लिये सर्द और शुष्क तापमान चाहिए. इस अमरूद की खेती में मुनाफे की अति संभावना है. क्योंकि इसकी खेती के लिए लिए ठंड मौसम ज्यादा मुफीद माना जाता है. वहीं जल निकासी वाली दोमट मिट्टी खेती के लिए सबसे उपयुक्त रहती है. कृषि विशेषज्ञ की मानें तो इसकी खेती करने से पहले मिट्टी की जांच और विशेषज्ञ से सलाह अवश्य करें, ताकि फसल में जोखिमों की संभावना भी कम रहे.
कब करें तुड़ाई
अन्य किस्मों के अमरूद के पौधों की तरह इसकी भी मजबूत और सही वृद्धि के लिए कटाई और छंटाई की जरूरत होती है. कटाई -छंटाई से इसके पौध के तने मजबूत होते हैं. अमरूद के पौधें की रोपाई के दो से तीन साल बाद पौधे में फल लगने शुरू हो जाते हैं. फलों की तुड़ाई पूरी तरह से पकने के बाद करें.
कीट-रोग की संभावना कम
विशेषज्ञों के अनुसार इस अमरूद की खेती में समान्य अमरूदों की तुलना में कम खर्च आता है. औषधीय गुणों की वजह से इसके फलों में कीट और रोग लगने की संभावनाएं भी काफी कम हो जाती हैं.
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