Crop Diversification Farming: किसान इन दिनों परंपरागत खेती से अलग ‘फसल विविधीकरण खेती’ की ओर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं, क्योंकि किसानों का मानना है कि फसल विविधीकरण खेती को अपनाकर वो अपनी आय बढ़ा सकते हैं.
यही वजह है कि केंद्र सरकार से लेकर अलग-अलग राज्य सरकारें भी फसल विविधीकरण खेती (Crop Diversification Farming) को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं, लेकिन इससे कई बार फसल के खराब होने पर किसान को नुकसान उठाना पड़ता है, इसलिए हम किसान भाईयों के लिए इस लेख में फसल विविधीकरण खेती के फसल प्रबंधन (Crop Management) की जानकारी साझा कर रहे हैं.
क्या होती है फसल विविधीकरण खेती?
फसल विविधीकरण, विभिन्न प्रकार की फसल अथवा एक ही फसल की अनेक किस्में लगाकर खेती करने की एक पद्धति है, जिसमें किसान कुछ अंतराल के बाद एक फसल को किसी अन्य फसल से बदलकर फसल विविधता के आयाम को बनाये रखने का काम करते हैं. आसान शब्दों में कहें, तो खेती की इस खास विधि से किसान एक ही खेते में अलग-अलग फसलों की खेती कर सकते हैं.
फसल विविधीकरण से किसानों की बढ़ती है आय
एक साथ कई फसलों को बोने से पानी, श्रम और पैसों की बचत होती है.फसल विविधीकरण खेती से किसानों की आय बढ़ सकती है. एक ही खेत में कम जगह में ही अलग-अलग फसलों का उत्पादन भी मिल जाता है, जिससे किसानों को डबल-ट्रीपल फायदा मिलता है.
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में कारगर
फसल विविधीकरण मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी कारगर है. फसल विविधीकरण से तात्पर्य फसल को बदलकर बोने से हैं. जैसा की लगातार खेत में हर साल एक ही फसल बोने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति नष्ट हो जाती है, जिससे फसल की पैदावार भी घटती है और किसानों को मुनाफा भी कम होता है. ऐसे में मिट्टी की सेहत को सुधारने के लिए फसल विविधीकरण अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. अगर मिट्टी की सेहत सुधरती है, तो इससे खेत जल्दी बंजर नहीं होंगे और उस भूमि पर लंबे समय तक खेती किया जा सकेगा.
फसल विविधीकरण पर्यावरण अनुकूल
इससे पर्यावरण में भी सुधार होगा और पानी की बचत भी होगी. फसल विविधीकरण को अपनाने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी होता है, जैसे कि चावल-गेहूँ की फसलों के साथ फलियाँ लगाना, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के साथ ही वायुमंडलीय नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ाने में मदद करता है.
मौसमी सब्जियों की खेती से मिलेगा ज्यादा मुनाफा
फसल विविधीकरण में मिश्रित मौसमी सब्जियों की खेती विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है.
सरकार कर रही इन किसानों को प्रोत्साहित
फसल विविधीकरण के इन्हीं फायदों को देखते हुए सरकार 2 हेक्टेयर या उससे कम जमीन वाले छोटे किसानों को इसे अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर रही है, ताकि किसान भाई कम जमीन में ही अलग-अलग फसल लगाकर अधिक पैदावार लेकर अपनी आमदनी बढ़ाने का काम कर सकें.
‘फसल विविधिकरण खेती’ में किसान कैसे करें फसल प्रबंधन? (crop management in 'Crop Diversification Farming'?)
आज के समय में किसानों के लिए फसल विविधिकरण खेती बेहतर कृषि प्रणाली साबित हो रही है, लेकिन कई बार किसानों की फसलें मौसम संबंधी जोखिम, कीट और रोगों की वजह से खराब हो जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है. ऐसे में आइये इन जोखिम को कम करने का आसान तरीका जानते हैं...
अपने क्षेत्र की जलवायु को देखते हुए फसलों का चयन करें.
फसलों की उन्नत किस्मों का चयन करें और प्रमाणित सेंटर से ही बीज खरीदें.
फसलों का चयन मिट्टी की जांच के आधार पर ही करें.
फसल विविधिकरण खेती करने वक्त ये जरूर ध्यान रखें कि एक फसल की समस्य़ा दूसरे फसल तक ना पहुंचे. इसके लिए इस विधि से खेती करने वक्त मेड़ या फेंसिंग के जरिये अलग-अलग फसलों में पार्टिशन कर सकते हैं. इससे एक फसल की समस्या हवा या पानी के जरिये दूसरे फसलों तक नहीं पहुंच पाएगी.
इस विधि से खेती कर अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसान कम मूल्य की अपेक्षा अधिक मूल्य वाली फसलों जैसे- सब्जियां, फल, पुष्प आदि की खेती करें.
इसके तहत किसान कम पानी की समस्या से निजात पाने के लिए अधिक पानी चाहने वाली फसलों की अपेक्षा कम पानी चाहने वाली प्रतिरोधी फसलों एवं किस्मों को बोयें.
खेती में नये तरीकों की तरफ रुख करने से पहले किसान कृषि वैज्ञानिकों से सलाह जरूर कर लें.
फसल विविधिकरण के जोखिमों को कम करने के लिए किसान समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों से सलाह-मशवरा जरूर कर लें. इससे खेती की जरूरतें और चुनौतियों की जानकारी मिलती रहेगी.
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