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Crop Management: खेती करते हैं तो इन तरीकों को ज़रूर आजमाएं, कम लागत में मिलेगा ज़्यादा मुनाफ़ा

कृषि कार्यों में अक्सर किसान भारी मात्रा में कीटनाशक और रासायनिक खाद बीज का प्रयोग करते हैं, लेकिन फिर भी उत्पादन उतना नहीं होता है, जितना होना चाहिए. ऐसे में आज के इस लेख में हम क्रॉप मैनेजमेंट के बारे में बात करने जा रहे हैं, ताकि किसानों को आसानी से क्रॉप मैनेजमेंट के बारे में पता चल सके.

देवेश शर्मा
These methods of farming will give the best result
These methods of farming will give the best result

भारत में आधे से ज़्यादा आबादी अभी भी गांव में रहती है और खेती-किसानी से अपना जीवन यापन करती है. इसके साथ ही भारत में खेती करना दूसरे देशों की अपेक्षा काफी आसान है, क्योंकि यहां पर दुनिया की सबसे ज़्यादा उपजाऊ और विविध प्रकार की मिटटी पाई जाती है.

मौजूदा वक़्त में खेती-किसानी के मायने बदल गए हैं. आज के समय में वही सही खेती है, जिसमें लागत कम और उत्पादन ज़्यादा हो और इस मुकाम को हासिल करने के लिए नर्सरी में पौध संरक्षण  से लेकर, खाद-उर्वरक और बेहतर सिंचाई व्यवस्था का ठीक प्रकार से इंतजाम करना बहुत जरुरी होता है.   

क्रॉप मैनेजमेंट अपनाने के लिए करने होंगे ये निम्न उपाय

उत्तम किस्म के बीजों का उपयोग करें

अक्सर किसान समय की कमी होने की वजह से या फिर आलस की वजह से बाज़ार से ही बीज खरीदकर खेती करते हैं और कई बार जल्दबाजी में ऐसे बीजों को खरीद लेते हैं जो प्रमाणित नहीं होते हैं. इस कारण उत्पादन कम मिलता है और लागत भी बढ़ जाती है, लेकिन किसान भाईयों को वैज्ञानिकों  द्वारा तैयार किए प्रमाणित बीजों को ही खरीदना चाहिए. ये बीज अन्य बीजों की अपेक्षा ज़्यादा उत्पादन क्षमता रखते हैं.

जरुरत के मुताबिक ही खाद का इस्तेमाल करें

भारत में ज़्यादातर किसान अभी भी पारंपरिक रूप से खेती करते हैं, जिस कारण उन्हें नहीं पता होता है खाद का कितना इस्तेमाल करना चाहिए. मगर विशेषज्ञों का खाद इस्तेमाल करने के संबंध में कहना है कि फसल में डलने वाले खाद का सिर्फ 38 प्रतिशत  पोषण ही पौधों को मिलता है और बाकी का सब सिंचाई के दौरान बह जाता है और कुछ नमी की कमी के कारण वातावरण में समा जाता है. ऐसे में किसानों को सही मात्रा में खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. इस सही मात्रा का पता लगाने के लिए मिट्टी की जांच आवश्यक होती है.

जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए

भारत में हरित क्रांति के दौरान यूरिया और अन्य रासायनिक खादों की शुरुआत होती है, जिसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में किसानों के द्वारा रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाने लगता है और खेती रासायनिक युक्त बन जाती है. मगर आज के समय में वैज्ञानिक रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों को समझ चुके हैं और किसानों को रासायनिक खाद को छोड़ जैविक खाद इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. इसके अलावा जैविक खाद के इस्तेमाल को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि खेत की तैयारी के समय से ही मिट्टी में जीवांश खाद जैसे-कंपोस्ट केंचुआ खाद और गोबर की खाद को मिला देना चाहिए, ताकि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ सके  और उत्पादन अच्छा सके.

कीटों और रोगों का नियंत्रण करना है जरुरी

खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए फसल को तमाम तरीके के कीटों और रोगों से बचाना बहुत जरूरी है, इसलिए कीटनाशक और रोगनाशक की दवाओं का छिड़काव करना जरुरी होता है. ध्यान रहे कि कीटनाशक की मात्रा जरूरत के मुताबिक ही होनी चाहिए, क्योंकि ये अधिक मात्रा में होने पर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके साथ ही वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि छिड़काव की दवाएं जैविक हों, क्योंकि खतरनाक रसायन ज्यादा असरकारी नहीं होते और फसल को काफी नुकसान भी पहुंचाते हैं.

कटाई के बाद प्रबंधन होना है जरुरी

आज के समय में फसल की कटाई अक्सर मशीनों द्वारा की जाती है. ऐसे में खेत में कटाई के बाद उसके अवशेष का बचना लाज़मी है और किसान खेत को जल्दी खाली करने के इन अवशेषों में आग लगा देते हैं, जिसके कारण वायु प्रदुषण होता है. उदहारण के तौर पर दिल्ली हमारे सामने है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस अवशेष का निपटारा करने के लिए कटाई के बाद जो कुछ भी बचता है, उसको जुताई के दौरान ही खेत की मिट्टी में मिला देना चाहिए या फिर इसे खेत से बाहर निकालकर खाद बनाने में उपयोग करना चाहिए.   

English Summary: These methods of farming will give the best result Published on: 05 July 2022, 12:42 PM IST

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