देश के अधिकतर राज्यों के किसान आलू की खेती करते हैं. आलू की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त हो, इसके लिए आलू की खेती करते समय सभी ज़रूरी प्रबंध भी करते हैं. मगर फिर भी कई बार आलू की फसल खराब होने की आशंका बनी रहती है.
ऐसा ही एक निमोटोड है, जो कि आलू की फसल का उत्पादन कम कर देता है. इसके बचाव के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (Central Potato Research Institute/CPRI) शिमला के वैज्ञानिकों की तरफ से एक खास सुझाव दिया गया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान आलू की फसल को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो उनके लिए फसल चक्र अपनाना जरूरी है. जब किसान फसल चक्र अपनाएंगे, तभी मिट्टी से निमेटोड को निपटा सकते हैं.
क्या है निमेटोड ? (What is Nematode?)
सीपीआरआई के वैज्ञानिक बताते हैं कि निमेटोड का मिट्टी पर 7 साल तक असर रहता है. अगर किसान अपने खेतों में लगातार आलू की बुवाई करते हैं, तो इसके फैलने की आशंका बढ़ जाती है. यह आलू विदेशों खासकर यूरोप और अमेरिका में भी खाया जाता है. हालाकिं, ऐसे आलू को खाने से कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक...
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला के वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर किसान अपने खेतों में सालों तक लगातार आलू की ही बुवाई करेंगे, तो यह उनके लिए बीजना घातक हो सकता है. यह वायरस आलू के उत्पादन को तेजी से घटाता है. इससे आलू की पैदावार लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक घट सकती है.
आलू उत्पादन पर असर (Impact on potato production)
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में निमेटोड आलू उत्पादन पर भारी डाल रहा है. इतना ही नहीं, हर साल केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के कुफरी और फागू फार्म में आलू बीज पैदा किया जाता रहा है. मगर पिछले 3 साल से उत्पादन ठप हो चुका है.
फिलहाल, आलू के खेतों की मिट्टी से निमेटोड खत्म करने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है. सीपीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि जो किसान लगातार आलू की पैदावार लेते हैं, उनके खेतों की मिट्टी में निमेटोड रहता है. इसके लिए किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए. इसका मतलब है कि एक साल आलू और दूसरे साल सरसों फिर तीसरे साल राजमाह आदि फसलों की खेती करना चाहिए. इस तरह निमेटोड से छुटकारा पाया जा सकता है.
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