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चीकू की खेती की जानकारी, इन किस्मों से मिलेगा 8.0 टन/एकड़ उत्पादन

चीकू की खेती किसानों के लिए मुनाफेदार साबित हो सकती है. किसान मात्र एक हेक्टेयर जमीन से 4 से 5 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. जानें चीकू की खेती की जानकारी....

निशा थापा
चीकू की खेती
चीकू की खेती

चीकू स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है. चूंकि चीकू में भरपूर मात्रा में पोषण पाया जाता है. इसलिए बाजार में इसकी मांग काफी अधिक रहती है. चिकित्सक भी बीमारी में चीकू खाने की सलाह देते हैं. इसी को देखते हुए यदि किसान चीकू की खेती करें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आज हम इस लेख के माध्यम से चीकू की खेती की जानकारी देने जा रहे हैं.

चीकू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

चीकू की खेती के लिए रेतीली काली मिट्टी और जलोढ़ मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. चीकू की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 8.0 होना चाहिए. इसी के साथ चीकू की खेती के लिए तापमान 10 से 38 डिग्री के बीच होना चाहिए. तापमान अधिक होने से फसल जूझ सकती है और कम तापमान में फसल खराब हो सकती है.

भारत के विभिन्न राज्यों में उगाई जाने वाली किस्में

  • आंध्र प्रदेश- क्रिकेट बॉल, कालीपट्टी, कलकत्ता राउंड, कीर्तिभारती, द्वारापुडी, पाला, पीकेएम-1, जोन्नावलसा I और II, बैंगलोर, वावी वलसा

  • बिहार- बारामसी

  • गुजरात - कालीपट्टी, पिलीपट्टी, क्रिकेट बॉल, PKM-1

  • कर्नाटक- क्रिकेट बॉल, कालीपट्टी, कलकत्ता राउंड, डीएचएस-1, डीएचएस-2

  • महाराष्ट्र - कालीपट्टी, ढोला दीवानी, क्रिकेट गेंद, मुरब्बा

  • ओडिशा - क्रिकेट बॉल, कालीपट्टी

  • तमिलनाडु - पाला, क्रिकेट बॉल, गुथी, सीओ 1, सीओ 2, पीकेएम-1 बारामासी

  • उत्तर प्रदेश – बारामासी

  • पश्चिम बंगाल – क्रिकेट बॉल, कलकत्ता राउंड, बारामसी, बहारू, गंधेवी बराड़ा

चीकू की बुवाई का समय

चीकू की बुवाई के लिए वर्षा आधारित क्षेत्र में सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक समय उपयुक्त रहता है.

तो वहीं सिंचित क्षेत्र में अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर के पहले सप्ताह तक बुवाई पूर्ण कर लेनी चाहिए.

पौधों के बीच अंतर

चीकू की बुवाई के वक्त पौधे से पौधे की दूरी 30 x 10 सेमी  होनी चाहिए, ध्यान रहे की बुवाई पंक्तिबद्ध तरीके से की जानी चाहिए.

चीकू का बीज उपचार

सीड प्राइमिंग के लिए सबसे पहले बीज को 4-5 घंटे पानी में भिगो दें. इसके बाद 6 ग्राम/किग्रा ट्राइकोडर्मा और 1 ग्राम/किग्रा वीटावैक्स (कार्बोक्सिन) से बीज उपचार कर सकते हैं. इसके अलावा राइजोबियम कल्चर से बीज उपचार एक पैकेट (200 ग्राम)/10 किग्रा बीज में उपयोग कर सकते हैं.

चीकू के फसल में निराई

चीकू की फसल में हाथ से निराई और गुड़ाई करना उपयुक्त माना जाता है.

चीकू की फसल में सिंचाई

चीकू के फली बनने की अवस्था में एक सिंचाई जरूर करें. इसके अलावा सर्दियों में 30 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए साथ ही गर्मियों में 15 दिनों के अंतराल में चीकू की फसल की सिंचाई करनी चाहिए.

चीकू के साथ इंटरक्रॉपिंग

चीकू की खेती के साथ अन्य फसल जैसे कि केला, पपीता, कोको, अन्नास, पपीता की खेती कर सकते हैं. इसके अलावा आप सब्जी के तौर पर मटर, बीन्स, फूलगोभी, बैंगन और टमाटर आदि का उत्पादन कर सकते हैं.

चीकू की फसल के लिए उर्वरक

चीकू की फसल के लिए 15-20 किग्रा एन, 40 किग्रा पी2ओ5, 20 किग्रा एस, 1.0 किग्रा अमोनियम मॉलीबडेट और 5 टन एफवाईएम/हेक्टेयर का छिड़काव जरूर करवाना चाहिए.

इसी के साथ फूल आने की अवस्था (70 DAS) और उसके 10 दिन बाद 2% यूरिया/DAP का छिड़काव करना चाहिए.

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार को नियमित रूप से बेसिन से हटा देना चाहिए. बागानों में ब्रोमासिल 2 किग्रा एआई/हेक्टेयर या यूरोन 2 किग्रा एआई / हे का छिड़काव 10-12 महीनों के लिए खरपतवारों की आबादी को नियंत्रित करने में प्रभावी पाया गया है .

चीकू के पौधों की छंटाई

छंटाई आमतौर पर सर्दियों के दौरान आकार देने के लिए की जाती है. छंटाई महत्वपूर्ण है क्योंकि फूल और फल उन शाखाओं पर पैदा होते हैं, जो अधिकतम हवा की धूप प्राप्त करते हैं.

स्पॉटा पौधों के लिए खाद और उर्वरक

चीकू को पोषक तत्वों की आवश्यकता बहुत अधिक होती है, क्योंकि यह निरंतर वृद्धि और फलने के साथ सदाबहार पेड़ों की श्रेणी में आते हैं. चीकू की उर्वरक आवश्यकता पेड़ की उम्र और मिट्टी की पोषक स्थिति से भिन्न होती है. बारिश की स्थिति में, पोषक तत्वों का प्रयोग मानसून की शुरुआत पर किया जाना चाहिए.

इसके अलावा जैविक खाद की कुल मात्रा तथा रासायनिक खाद की आधी मात्रा मानसून के प्रारम्भ में तथा शेष आधी मात्रा मानसून के बाद (सितम्बर-अक्टूबर) में देनी चाहिए.

चीकू की उत्पादन क्षमता

आपको बता दें कि चीकू की खेती से 400-600 किग्रा/हेक्टेयर फल का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. बता दें कि चीकू रोपण के तीसरे वर्ष से फल देना शुरू कर देता है लेकिन आर्थिक उपज 5 वें वर्ष से प्राप्त की जा सकती है. फूलों के दो मुख्य मौसम अक्टूबर-नवंबर और फरवरी-मार्च हैं और दो संबंधित कटाई के मौसम जनवरी-फरवरी और मई-जून हैं. चीकू को फूल आने से लेकर फल बनने तक चार महीने लगते हैं. फलों को विशेष हारवेस्टर के साथ हाथ से तोड़ा या काटा जाता है, जिसमें एक लंबे बांस पर जालीदार बैग के साथ एक गोल रिंग होता है.

जैसा कि चीकू से पांचवें वर्ष से उपज प्राप्त होनी शुरू होती है, अत: परियोजना के पहले चार वर्षों में सब्जियों जैसी अंतःफसल को लिया जा सकता है जिससे यह व्यवहार्य हो सके. उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण में, उत्पादन पांचवें वर्ष में 4.0 टन/एकड़ से बढ़कर 7 वें वर्ष में 6.0 टन/एकड़ हो जाता है. इसके बाद, उपज 8 से 15 वें वर्ष तक 8.0 टन/एकड़ पर स्थिर हो जाती है.

ग्रेडिंग

ग्रेडिंग मुख्य रूप से फलों के आकार पर आधारित होती है. फलों को उनके आकार के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है. बड़ा, मध्यम और छोटा.

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भंडारण

फल जल्दी खराब होने वाले होते हैं और कटाई के बाद 7-8 दिनों की अवधि के लिए सामान्य स्थिति में संग्रहीत किए जा सकते हैं. 20 डिग्री सेल्सियस के भंडारण तापमान पर एथिलीन को हटाकर और भंडारण वातावरण में 5 से 10% CO2 जोड़कर भंडारण काल की अवधि को 21-25 दिनों की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है.

English Summary: Chiku cultivation information, these varieties will give 8.0 ton/acre production Published on: 18 January 2023, 05:04 PM IST

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