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खेती में रासायनिक कीटनाशकों की भविष्य में चुनौतियां?

खेती में रासायनिक कीटनाशकों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें सबसे बड़ा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्वों से बचना है, लेकिन जब किसान की फसल पर रोग या कीट का आक्रमण होता है

हेमन्त वर्मा
Pesticide
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खेती में रासायनिक कीटनाशकों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें सबसे बड़ा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्वों से बचना है, लेकिन जब किसान की फसल पर रोग या कीट का आक्रमण होता है तो यही रासायनिक कीटनाशक ही फसल को प्रभावी तौर पर बचाने में सक्षम हैं. बस हमें ऐसे कीटनाशी का उपयोग करना होगा जो फसल को इन कीटों के बचाए भी और मानव शरीर को भी नुकसान न पहुंचाए. ये बात तो साफ है कि ये रासायनिक कीटनाशी साइड इफैक्ट डालती है. अतः हमें जरूरत होने पर ही इनका उपयोग करना चाहिए. अतः हम जानेंगे कि ये कुछ नई कीटनाशी किस प्रकार के कीटों से लड़ने में सक्षम है और किस मात्रा में फसल पर प्रयोग करना चाहिए.

नोवालूरॉन कीटनाशी (Novaluron Insecticide)

यह कीटनाशी बेन्जोयल यूरिया समूह में आती है. नोवालूरॉन नवीन कीट वृद्धि नियंत्रक है. यह लेपिडोप्टेरा गण के लार्वा के नियंत्रण के लिए शक्तिशाली कीटनाशी है. यह अन्तर्ग्रहण (Systemic) व सम्पर्क (Contact) दोनों तरह से कार्य करता है. यह ट्रांसलेमिनर प्रभाव वाला होता है, जिससे पत्ती के ऊपरी सतह छिड़काव के बाद नीचे की सतह पर भी इसका प्रभाव होता है, इसलिए यह छुपे कीट को भी नियंत्रण कर देता है. यह मित्र कीट, परजीवियों व शिकारी कीटों के प्रति कुछ हद तक सुरक्षित होता है. यह कीटनाशी दो फॉर्मूलेशन Novaluron 10 EC और Novaluron 8.8 SC के रूप में हो है तथा बाजार में Pedestal और Rimon के नाम से बाजार में उपलब्ध है. यह लगभग सभी प्रकार की लट्टे जैसे पिंक बॉल वर्म, चन्ने की इल्ली, टमाटर की लट्ट, बैगन की लट्ट को नुकसान पहुंचाती है.

मात्रा (Dose): Novaluron 10 EC की 150-400 मिली दवा को प्रति एकड़ छिड़काव के लिए उपयोग किया जाता है. जो नोवालूरॉन 10% ईसी टेक्निकल नाम रखता है.

ब्यूपरोफेजिन कीटनाशी (Buprofezin Insecticide)

यह थियाडायजिन ग्रुप का है जी काइटिन संश्लेषण निरोधक होता है. यह होमोप्टेरा गण के कीटों जैसे-फुदके (Jassid), मोयला (Aphid), तेला, सफेद मक्खी (White fly) के विरूद्ध प्रभावी होता है. बाजार में ब्यूपरोफेजिन Apple ब्रांड के रूप में मिलता है.

मात्रा (Dose): Buprofezin 25% SC की 2 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करने पर असरदायक परिणाम मिलता है.

बाइफेनाजेट (Bifenazate Insecticide)

यह मकड़ी व बरूथी को नियंत्रित करने वाला चयनात्मक एकेरीसाइड है. ये यौगिक न्यूरोएक्टिव है जिससे कीट को लकवाग्रस्त करता है और यह बरूथियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. बाजार में यह बाइफेनाजेट के रूप में Floramite के नाम से उपलब्ध है. मात्रा (Dose): Bifenazate 22.6% SC की 200 मिली मात्रा 200 लीटर पानी में उपयुक्त रहती है.    

फेनपाइरोक्सीमेट (Fenpyroximate Insecticide)

यह पाइरीडाजिनोन एकेरिसाइड श्रेणी की रेड स्पाइडर माइट और दो धब्बेयुक्त घुन के विरूद्ध बहुत प्रभावी है. यह माइटोकान्ड्रियल इलेक्ट्रान ट्रांसपोर्ट को बाधित करता है. यह श्वसन क्रिया को भी प्रभावित करता है. बाजार में यह फेनपाइरोक्सीमेट सक्रिय तत्व के रूप में Mitiget के नाम से मिलती है.

मात्रा (Dose): Fenpyroximate 5% EC की 150-200 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में छिड़काव किया जा सकता है.

एमामेक्टिन बेन्जोएट (Emamectin Benzoate Insecticide)

इसका उपयोग रस चूसक कीट, डिप्टेरा, साइलिडी वंश के कीट और लीफ माइनर और मकड़ी के विरूद्ध किया जाता है. एमामेक्टिन बेन्जोएट भी एक अर्द्धसंश्लेषित एवरमेक्टिन से उत्पन्न है जो प्रोक्लेम, Mahamectin, EM-1 के नाम से उपलब्ध है और लेपिडोप्टेरा गण के कीटों के विरूद्ध प्रभावी है. Emamectin Benzoate 5 SG की 80 ग्राम डोज़ प्रति एकड़ खेत में स्प्रे के लिए पर्याप्त रहती है.

स्पिनोसेड (Spinosad Insecticide)

यह स्पिनोसाइन ग्रुप का तत्व है जो इस नये वर्ग का प्रस्तावित प्रथम सक्रिय तत्व है. स्पिनोसेड प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले जीवाणु सेकेरोपोलिस्पोरा स्पिनोसा के चयापचयों (Metabolism) से उत्पन्न होता है. यह 45 SC के फॉर्मूलेशन में होता है और चावल में तना बेधक, पत्ती मोड़क, पत्तागोभी की लट्ट, कपास में हेलिकोवरपा आर्मीजेरा, स्पोडोप्टेरा लिटुरा, गन्ने में दीमक, पूर्व प्ररोह बेधक, शीर्ष बेधक और चावल में पीले तना बेधक को नियंत्रित करता है. यह Tracer, Oneup, Tafin के नाम से बेचा जाता है.

मात्रा (Dose): Spinosad 45 SC की 60 मिली मात्रा और Spinosad 2.5 SC (Success) की 75 मिली मात्रा प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करनी चाहिए.

रसायनिक कीटनाशी की भविष्य में चुनौतियाँ

रसायनिक कीटनाशी अधिकाधिक ऐसे अणुओं का विकास होना चाहिए जिसमें निम्न गुण होने चाहिए जैसे- कम मात्रा में उपयोग होने वाले हो, उच्च क्षमता और लक्षित कीट को शीघ्रता से कम करने वाला हो, स्तनधारियों के लिए कम विषाक्त हो, अपेक्षाकृत सुरक्षित फॉर्मूलेशन में हो जैसे SC या WG, नयी कैमिस्ट्री हो एवं लाभकारी कीटों जैसे मधुमक्खियों और प्राकृतिक शत्रुओं के लिए कम हानिकारक हो, पर्यावरण पर प्रभाव कम हो, पौधे में अधिक समय तक कीटों से सुरक्षा कर सके. ये ऐसे गुण है जो रसायनिक कीटनाशी में मौजूद होना आने वाले समय में जरूरी हो गया है.

इसके साथ ही मेक्रोमोलिकुलर कीटनाशकों की अधिक खोज करना, नये नियो-निकाटिनायड्स में और नवाचारों की आवश्यकता है. ट्रांसजेनिक पौधों में और अधिक जैव अभियांत्रिकीय नवाचार (Innovation) करने की आवश्यकता है. कीटनाशकों के उपयोग के लिए अधिक नयी प्रौद्योगिकी का विकास करना, लक्षित कीट (Targeted insect) के लिए प्रयुक्त होने वाले कीटनाशी हानि को कम करने के लिए नोजल व स्प्रेयर पर विशेष सावधानियाँ दी जानी चाहिए.

English Summary: Challenges in the future of chemical pesticides in farming Published on: 23 January 2021, 12:30 PM IST

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