
Top 3 Oats varieties: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के वैज्ञानिकों ने जई (ओट्स) की तीन नई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो पशुपालकों और किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं. ये किस्में न केवल अधिक मात्रा में हरा चारा उपलब्ध कराएंगी, बल्कि बीज उत्पादन में भी कारगर हैं. इन किस्मों को देश के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में उगाया जा सकेगा, जिससे पशुओं को साल भर उच्च गुणवत्ता वाला चारा मिल सकेगा.
क्या हैं ये नई किस्में?
विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग द्वारा विकसित की गई जई की तीन किस्में हैं:
- HFO 917 – बीज और चारा दोनों के लिए उपयुक्त
- HFO 1014 – दोहरे उपयोग वाली किस्म (बीज व चारा)
- HFO 915 – एक से अधिक कटाई की सुविधा वाली किस्म
इन किस्मों को भारत सरकार द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है और अब ये किसानों के लिए उपलब्ध हैं.
क्यों हैं खास?
HFO 917
- हरा चारा: 192 क्विंटल/हेक्टेयर
- सूखा चारा: 28 क्विंटल/हेक्टेयर
- बीज उत्पादन: 8 क्विंटल/हेक्टेयर
- प्रोटीन: 4% (उत्तर-पश्चिम भारत में)
HFO 1014
- हरा चारा: 185 क्विंटल/हेक्टेयर
- सूखा चारा: 28 क्विंटल/हेक्टेयर
- बीज उत्पादन: 3 क्विंटल/हेक्टेयर
- प्रोटीन: 5% (उत्तर-पश्चिम भारत में)
HFO 915
- हरा चारा: 234 क्विंटल/हेक्टेयर
- सूखा चारा: 50 क्विंटल/हेक्टेयर
- बीज उत्पादन: 7 क्विंटल/हेक्टेयर
- प्रोटीन: 10%
किन राज्यों के लिए उपयुक्त?
- HFO 917 और HFO 1014: हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और असम.
- HFO 915: हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे पर्वतीय क्षेत्रों के लिए बेहतर.
पशुपालकों को क्या फायदा?
देश में हरे चारे की 11.24% और सूखे चारे की 23.4% कमी को दूर करने में मदद. पशुओं के लिए पौष्टिक चारा उपलब्ध होगा, जिससे दूध उत्पादन और पशु स्वास्थ्य में सुधार होगा. इसके अलावा, किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे.
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