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Cauliflower Cultivation: फूलगोभी अपनी आकर्षक उपस्थिति, अच्छे स्वाद और पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-बी, विटामिन सी और मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विभिन्न खनिज पाए जाते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम ब्रासिका ओलैरासिया वार बोट्राइटिस है.
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इन राज्यों में सबसे ज्यादा होती है फूलगोभी की खेती
भारत के ज्यादातर राज्यों में इसकी खेती होती है, लेकिन सबसे ज्यादा बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, असम, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में इसकी खेती की जाती है. बाजारों में इसकी डिमांड सबसे ज्यादा सर्दियों के मौसम में रहती है, लेकिन आज के समय में इसकी डिमांड सालभर रहने लगी है. ऐसे में इसकी खेती अब पूरे सालभर की जाती है. इसके लिए मौसम के आधार पर अगेती, मध्यम और पछेती खेती के लिए फूलगोभी की कई उन्नत किस्में बाजारों में उपलब्ध हैं.
फूलगोभी की खेती के तीन आयाम
जैसा की हमने आपको ऊपर बताया कि फूलगोभी की किस्मों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है.
पहला- अगेती यानी की शुरुआती मौसम में बुवाई की जाने वाली फूलगोभी की किस्में. इन किस्मों को मई से अगस्त के अंतिम तक बोया जाता है और ये सितंबर से दिसंबर तक कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं.
दूसरा- मध्यम यानी की मुख्य मौसम में बुवाई की जाने वाली फूलगोभी की किस्में. इन किस्मों को सितंबर से अक्टूबर तक बोया जाता है और ये दिसंबर से जनवरी तक कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं.
तीसरा- पछेती यानी की देर से मौसम में बुवाई की जाने वाली फूलगोभी की किस्में. इन किस्मों को अक्टूबर से दिसंबर तक बोया जाता है और इसे जनवरी के मध्य से लेकर अप्रैल के अंत तक काट दिया जाता है. ये देर से पकने वाली किस्में होती हैं. इन फूलगोभी की किस्मों को लोग गर्मियों के दिनों में खाते हैं.
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फूलगोभी की ये हैं उन्नत किस्में
वैज्ञानिकों ने फूलगोभी की कई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जिसको मौसम के आधार पर तीन श्रेणियों में अलग-अलग बांटा गया है.
अगेती किस्में - कुंआरी, अर्ली, पूसा कार्तिक, समर किंग, पूसा दीपाली, पूसा मेघना, पूसा अश्विनी,
पछेती - पूसा स्नोबाल-2, पूसा स्नोबाल-16, पूसा स्नोबाल-1
मध्यम किस्में - पूसा स्नोबाल, पंत सुभ्रा, पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा अगहनी
अगेती किस्मों की नर्सरी अभी से ही करें तैयार
ऐसे में देखा जाए, तो फूलगोभी की अगेती किस्मों के लिए नर्सरी की तैयारी अभी से ही शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि अगस्त के अंतिम तक इसकी खेती के लिए बुवाई होती है. ऐसे मे अगर आप अभी इसकी नर्सरी तैयार करते हैं, तो इस महीने के अंत तक पौधा तैयार हो जाएगा, जिसे आप अपने खेत में बुवाई कर अच्छा मुनाफा ले सकेंगे. ध्यान रहे कि आप नर्सरी के लिए उन्नत किस्मों का ही चयन करें.
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फूलगोभी की नर्सरी कैसे करें तैयार
नर्सरी को तैयार करने के लिए इसके बेड को एक मीटर चौड़ा और पंद्रह सेंटीमीटर ऊंचा बनाएं.
बीजों को 5-2 सेमी की दूरी पर बोएं. इसके साथ ही बीजों की पंक्तियों के बीच में 8-10 सेमी की दूरी रखें. वहीं अगर गहराई की बात करें, तो इसे 1.5-2 सेमी की गहराई पर ही बोना उचित माना जाता है.
रोपाई से पहले खेतों में गहरी जुताई अवश्य करवा लें. इसके साथ ही खरपतवार नाशी दवा का छिड़काव भी करवा लें. वहीं मिट्टी को उपचारित करने के लिए इसमें 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद डालें और इसे मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें.
एक बात का और ध्यान रखें कि फूलगोभी की नर्सरी में कीट ना लगें, इसके लिए कवक रोगों को रोकने के लिए कैप्टन या थिरम जैसे कवकनाशी को 2 ग्राम की दर से प्रति लीटर पानी से भिगोकर छिड़काव करें.
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नर्सरी बनाने के लिए ध्यान देने योग्य बातें-
शुरुआती मौसम के लिए नर्सरी के पौधे से पौधे के बीच की दूरी 45 सेमी X 45 सेमी होनी चाहिए. वहीं मुख्य मौसम और देर से मौसम की फसलों के लिए 60 सेमी X 60 सेमी की दूरी बनाए रखनी चाहिए.
फूलगोभी की खेती के लिए ये मिट्टी सबसे उपयुक्त
इसकी खेती में अगर मिट्टी की बात करें, तो इसके लिए सबसे उपयुक्त दोमट मिट्टी है. इसके साथ ही मिट्टी में अगर उच्च नमी धारण क्षमता हो तो इसे भी फूलगोभी की खेती में प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि फूलगोभी के लिए ज्यादा मात्रा में पानी की जरूरत नहीं होती है. वहीं बारिश के मौसम में, ऐसी मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है, जो तेजी से पानी को सोखने में सक्षम हों. मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए. फूलगोभी की फसल बुवाई के 90-120 दिनों के बाद कटाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है.
किसान कैसे लें फूलगोभी से ज्यादा मुनाफा ?
फूलगोभी की फसलों की पैदावार मौसम, जलवायु और इसके किस्मों पर आधारित है. एक अनुमान के मुताबिक, अगेती किस्मों से लगभग 6-10 टन प्रति हेक्टेयर फूलगोभी का पैदावार प्राप्त किया जा सकता है. जबकि मध्यम किस्मों से लगभग 12-20 टन प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त किया जा सकता है और पछेती किस्मों से करीब-करीब 20-30 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त किया जा सकता है.
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इसके साथ ही किसान ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए रोपण दूरी को कम करके अधिक फूलगोभी प्राप्त कर सकते हैं. इससे फूलगोभी का आकार छोटा होगा, लेकिन इससे ज्यादा उत्पादन भी होगा. जैसा की इन दिनों बाजारों में छोटे और मध्यम आकार के फूलगोभी की मांग ज्यादा देखने को मिल रही है. ऐसे में इसके छोटे आकार से किसानों को नुकसान की कोई गुंजाइश नहीं है.
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