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बिना मिट्टी के खेती करने में बंपर मुनाफा, जानिए - प्रकार, लाभ और ट्रेनिंग की जानकारी

दुनिया की आबादी हर रोज बढ़ रही है इसके साथ ही शहरीकरण भी तेजी से हो रहा है. नतीजतन म‍िट्टी की कमी होती जा रही है जिसकी वजह से खेती का दायरा स‍िकुड़ने और आने वाले समय में खाद्यान्न संकट गहराता जा रहा है. ऐसे में वैज्ञान‍िक म‍िट्टी रहि‍त खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. जिससे किसानों को फायदा भी हो रहा है ऐसे में आपको बिना मिट्टी के खेती से जुड़ी सभी जानकारी दे रहे हैं.

राशि श्रीवास्तव
मिट्टी रहित खेती: प्रकार, लाभ और ट्रेनिंग
मिट्टी रहित खेती: प्रकार, लाभ और ट्रेनिंग

बिना मिट्टी के खेती करना एक तकनीक है, ज‍िसमें वर्ट‍िकल खेती की जाती है ये तकनीक लोंगो को धूप की रोशनी वाले उपयोगी क्षेत्रों जैसे बालकनियों और छतों पर न केवल सब्जी उगाने में मदद करती है बल्कि वर्ट‍िकल फार्म‍िंग में औषधिय और सजावटी पौधे भी उगाए जा सकते हैं. बता दें मिट्टी रहित खेती अब समय की मांग बनती जा रही है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करती है साथ ही पानी की बर्बादी और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाती है इस तकनीक के उपयोग से बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद और उच्च उपज की ज्यादा संभावना है. 

मिट्टी रहित खेती के प्रकार

हाइड्रोपोनिक्स- हाइड्रोपोनिक्स एक मिट्टी रहित तकनीक है जो उचित मात्रा में पौधों के विकास के लिए ऑक्सीजन देती है यह शहरी क्षेत्रों में ताजी सब्जियों और फलों को उगाने के लिए एक उपयुक्त है  जहां संसाधनों की कम पहुंच हो और कृषि योग्य भूमि न हो वहां भी इस तकनीक से खेती कर सकते हैं मिट्टी रहित खेती की इस प्रणाली से पारंपरिक खेती की तुलना में 20-25 फीसदी अधिक उपज और लाभ मिलता है. 

ड्रिप सिस्टम- ड्रिप सिस्टम मिट्टी रहित खेती की एक तकनीक है जो कोको कॉयर, पीट मॉस जैसे बढ़ते माध्यमों वाले पौधे उगाती है. इस प्रणाली में टाइमर सेट करते हैं और पौधे पर पंप से पानी दिया जाता है. इस प्रणाली के खेती करने से बेहतर लाभ मिलता है.

एरोपोनिक्स- इस तकनीक में पौधों की जड़ें हवा में रहती हैं और पौधे बिना मिट्टी के नम वातावरण में बढ़ते हैं हालांकि पौधों की जड़ों पर नियमित अंतराल पर पानी और पोषक तत्वों के घोल का छिड़काव करते हैं इस विधि से पानी और उर्वरकों का कम इस्तेमाल होता है साथ ही किसी भी कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता, क्योंकि पौधे को नियमित वातावरण में उगाते हैं. 

मिट्टी रहित खेती से लाभ-  इस तकनीक के इस्तेमाल से अधिक पानी की खपत से बच सकते हैं, हाइड्रोपोनिक खेती में लगभग 90 प्रतिशत पानी की बचत होती है. परंपरागत खेती की तुलना में कम जगह में अधिक पौधों को उगा सकते हैं. इस विधि से बिना किसी हानि के आसानी से पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं. फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है. पौधे मौसम, जानवरों या किसी तरह के जैविक और अजैविक कारणों से प्रभावित नहीं होते.

मिट्टी रहित खेती के नुकसान-  इसका सेटअप लगाने में लागत ज्यादा आती है, एक छोटे  कमरे में हाइड्रोपोनिक फार्म स्थापित करना आसान नहीं है. रखरखाव का काम मुश्किल है. मशरूम की खेती की स्थापना की तुलना में अधिक समय लगता है.  हाइड्रोपोनिक खेती की व्यवस्था को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना कठिन है. हाइड्रोपोनिक प्रशिक्षण जरूरी है. प्रशिक्षण के बिना हाइड्रोपोनिक व्यवसाय को बनाए रखने या चलाने के बारे में नहीं सोच सकते.

ये भी पढ़ेंः बिना मिट्टी की खेती से कमाएं लाखों का मुनाफ़ा, जानें कैसे

यहां से बिना मिट्टी के खेती की ट्रेनिंग- हाइड्रॉपनिक्स तकनीक के सेटअप के लिए कई कंपनियां काम करती हैं जो शौकिया गार्डन से लेकर कमर्शियल फार्म सेट करने में मदद करती है. इसमें लेटसेक्ट्रा एग्रीटेक, बिटमाइंस इनोवेशंस, ट्राइटन फूडवर्क्स, फ्यूचर फार्म्स, जैसे कृषि स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं. इन कंपनियों से हाइड्रॉपनिक्स सेटअप को खरीद सकते हैं. ये कंपनियां ट्रेनिंग से लेकर सिस्टम लगाने की सुविधा देती हैं.

English Summary: Bumper profit in farming without soil, know - types, benefits and training information Published on: 13 March 2023, 10:54 AM IST

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