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खीरे की खेती में अपनाएं ये आधुनिक तकनीक, मिलेगी बेहतर गुणवक्ता और पैदावार!

Cucumbers Cultivation: खीरे की खेती एक कम लागत वाला और ज्यादा मुनाफा देने वाला कृषि व्यवसाय है. उचित देखभाल, आधुनिक तकनीकों का उपयोग और बाजार की मांग को ध्यान में रखकर किसान इसे एक सफल व्यवसाय बना सकते हैं.

मोहित नागर
Cucumber Cultivation
खीरे की खेती में अपनाएं ये आधुनिक तकनीक (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Best Tips For Cucumbers Cultivation: खीरे की खेती भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि यह एक लाभदायक और स्वास्थ्यवर्धक फसल है. कम लागत, उच्च मांग और बेहतर मुनाफा इसे किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं. खीरे का उपयोग सलाद, सब्जी, और अचार में व्यापक रूप से होता है, जिससे इसकी बाजार में स्थिर मांग बनी रहती है. विटामिन और मिनरल्स से भरपूर यह फसल न केवल पोषण प्रदान करती है बल्कि किसानों के लिए आय का अच्छा स्रोत भी है. सही तकनीक और जानकारी के साथ खीरे की खेती करके किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं.

खीरे की खेती के लिए आदर्श जलवायु

खीरे की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसके लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान आदर्श होता है. ठंडे मौसम में या पाले की स्थिति में खीरे की फसल को नुकसान हो सकता है.

भूमि और मिट्टी का चुनाव

खीरे की खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए. पानी की अच्छी निकासी वाली मिट्टी में खीरे की पैदावार बेहतर होती है. खेत की जुताई से पहले मिट्टी में जैविक खाद मिलाना फायदेमंद होता है.

बीज का चयन और बुवाई का समय

खीरे की उन्नत खेती के लिए हाईब्रिड और उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. भारत में खीरे की कई प्रमुख किस्में हैं, जैसे पूसा उत्कर्ष, पूसा सफेद, और जापानी ग्रीन. बुवाई का सही समय फरवरी से मार्च या जून से जुलाई तक होता है. बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोना चाहिए, और पंक्तियों के बीच 1.5-2 फीट का अंतर रखना चाहिए.

सिंचाई और देखभाल

खीरे की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. खासकर गर्मी के मौसम में हर 3-4 दिन में सिंचाई करना जरूरी होता है. ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. फसल की देखभाल में निराई-गुड़ाई, खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं. पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, और सफेद मक्खी जैसी समस्याओं से बचने के लिए जैविक और रासायनिक उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

फसल की कटाई और उपज

खीरे की फसल को बुवाई के 50-60 दिनों बाद काटा जा सकता है. खीरे को उस समय तोड़ना चाहिए जब वह मध्यम आकार का और चमकदार हरा हो. अधिक पकने पर इसका स्वाद और गुणवत्ता खराब हो सकती है. प्रति हेक्टेयर 15-20 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है.

लाभ और बाजार

खीरे की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है. इसकी कीमत मौसम और गुणवत्ता के आधार पर बदलती रहती है. ताजा खीरे के अलावा, प्रोसेसिंग के लिए खीरे की मांग भी बढ़ रही है. किसान इसे स्थानीय बाजार, सब्जी मंडियों, और सुपरमार्केट में बेच सकते हैं.

खीरे की खेती में नई तकनीकों का उपयोग

खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग खीरे की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है. पॉलीहाउस और नेट हाउस में खीरे की खेती करके किसान हर मौसम में उत्पादन कर सकते हैं. साथ ही, ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग तकनीक से पानी और पोषक तत्वों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है.

English Summary: best modern techniques for cucumber cultivation get better quality and production Published on: 17 January 2025, 11:59 AM IST

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