टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए टमाटर की अर्का रक्षक प्रजाति किसी वरदान से कम नहीं है. एक तरफ तो इस किस्म से बंपर पैदावार मिलती है वहीं दूसरी तरफ इसमें टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोगों से लड़ने की क्षमता है. साथ अर्का रक्षक का फल काफी आकर्षक और बाजार की मांग के अनुकूल होता है इसलिए किसानों का रुझान इस किस्म ओर की बढ़ा है. आइए जानते हैं इस किस्म की खासियत
तीन रोगों से लड़ने में सक्षम
अर्का रक्षक को बेंगलुरु स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने साल 2010 में ईजाद किया था. संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक और सब्जी फसल डिवीजन के प्रमुख एटी सदाशिव का कहना है कि यह भारत की पहली ऐसी किस्म है जो त्रिगुणित रोग प्रतिरोधक होती है. इसमें पत्ती मोड़क विषाणु (Leaf Curl Virus), जीवाणुविक झुलसा (Bacterial Wilt) और अगेती अंगमारी (Early Blight) जैसे रोगों से लड़ने की क्षमता है. वहीं इसके फल आकार में गोल, बड़े, गहरे लाल और ठोस होते हैं. वहीं फलों का वजन 90 से 100 ग्राम तक होता है. जो बाजार की मांग के अनुकूल है.
एक एकड़ से 500 क्विंटल की पैदावार
डॉ सदाशिव का कहना है कि टमाटर की इस किस्म में अन्य किस्मों की तुलना में कम लागत आती है. जबकि मुनाफा जबरदस्त होता है. इसकी फसल 150 दिनों में तैयार. पैदावार के मामले में यह टमाटर की अन्य किस्मों से बेहद आगे हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 190 टन का उत्पादन लिया जा सकता है. वहीं प्रति एकड़ 45 से 50 टन का उत्पादन होता है. वहीं अन्य किस्मों से काफी कम पैदावार होती है.
अच्छी पैदावार के लिए क्या करें
बीज दर - एक एकड़ में बुवाई के लिए 25 से 30 ग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है. जिससे तक़रीबन 4 हजार पौधे तैयार होते हैं.
फल - इसकी फसल 140 से 150 दिनों में पक जाती है. वहीं इसके एक पौधे से 12 से 15 किलो फल देने की क्षमता है.
उर्वरक - अच्छी पैदावार के लिए एक एकड़ में 10 टन गोबर की खाद डालना चाहिए. वहीं नाइट्रोजन 70 किलो, फॉस्फोरस 60 किलो और पोटाश 70 किलो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है.
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