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गेहूं की करण श्रिया किस्म 130 दिनों में पककर होगी तैयार, उपज प्रति हेक्टेयर 55.6 क्विटंल

रबी मौसम में गेहूं की बुवाई सबसे अधिक की जाती है, इसलिए खरीफ फसलों की कटाई के बाद से किसान गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं. गेहूं की फसल रबी की प्रमुख फसलों से एक है. अगर भारत में गेहूं उत्पादन की बात करें, तो पिछले चार दशकों में उपलब्धि हासिल की है.

कंचन मौर्य
Wheat Variety
Wheat Variety

रबी मौसम में गेहूं की बुवाई सबसे अधिक की जाती है, इसलिए खरीफ फसलों की कटाई के बाद से किसान गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं. गेहूं की फसल रबी की प्रमुख फसलों से एक है. अगर भारत में गेहूं उत्पादन की बात करें, तो पिछले चार दशकों में उपलब्धि हासिल की है.

यहां साल 1964-65 में सिर्फ 12.26 मिलियन टन उत्पादन था, लेकिन साल 2019-20 में 107.18 मिलियन टन के एक ऐतिहासिक उत्पादन शिखर पर पहुंच गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने में नई तकनीक और किस्मों का विशेष योगदान रहा है. नई किस्मों का विकास तथा उनका उच्च उर्वरता की दशा में परीक्षण से अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

जी हां, अन्य फसलों की तरह गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) में अगर गेहूं की सर्वोत्तम किस्मों का चुनाव किया जाए, तो किसान अधिक लाभ के साथ-साथ अधिक उत्पादन भी कर सकते हैं. गेहूं की एक ऐसी ही किस्म करण श्रिया (डी.बी.डब्लू - 252) है, जो गेहूं का अधिक उत्पादन देने के लिए जानी जाती है. आइए किसान भाईयों को गेहूं की करण श्रिया (डी.बी.डब्लू - 252) किस्म की जानकारी देते हैं.

करण श्रिया (डी.बी.डब्लू – 252) की बुवाई

किसान भाई सीमित सिंचाई अवस्था में समय से बुवाई के लिए करण श्रिया (डी.बी.डब्लू - 252) का इस्माल कर सकते हैं. यानि गेहूं की इस किस्म की बुवाई 25 अक्टूबर से 05 नवंबर तक कर सकते हैं. बता दें कि इस किस्म की बुवाई पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, असम और पूर्वोत्तर राज्यों के किसान कर सकते हैं.

करण श्रिया (डी.बी.डब्लू – 252) की विशेषताएं

गेहूं की करण श्रिया (डी.बी.डब्लू – 252) किस्म में कई विशेषताएं पाई जाती हैं. इस किस्म की बुवाई से बाली निकले की अवधि 79 से 83 दिन की होती है, तो वहीं फसल पकने की अवधि 125 से 130 दिन की होती है. इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 97 से 99 सें.मी होती है. इसके साथ ही 100 दानों का भार 44 से 46 ग्राम तक होता है. इसकी बड़ी खासियत यह है कि इसमें लौह तत्व की मात्रा 43.1 पी.पी.एम होती है. इसके अलावा गेंहू की यह किस्म ब्लास्ट रोग के लिए प्रतिरोधी मानी गई है.  

करण श्रिया (डी.बी.डब्लू – 252) से उत्पादन

अगर किसान भाई गेहूं की इस किस्म की बुवाई करते हैं, साथ ही खेती से जुड़ी सभी बातों का खास ध्यान रखते हैं, तो इससे प्रति हेक्टेयर 55.6 क्विटंल तक फसल का उत्पादन प्राप्त हो सकता है.  इस तरह गेहूं की करण श्रिया (डी.बी.डब्लू – 252) किस्म की बुवाई मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है.

English Summary: aran Shriya (DBW-252) new variety of wheat Published on: 05 October 2021, 04:25 PM IST

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