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गाजर की खेती में गजब का मुनाफा, सिर्फ 90 दिनों में बंपर पैदावार!

भारत में कृषि क्षेत्र में लगातार विस्तार देखने को मिल रहा है. किसान अब सिर्फ पारंपरिक खेती पर निर्भर नहीं हैं बल्कि फल, सब्जी और औषधीय पौधों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे में आपको गाजर की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं, देश में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार में गाजर की खेती बड़े स्तर पर की जाती है, जो किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है.

राशि श्रीवास्तव
गाजर की खेती
गाजर की खेती

गाजर एक बहुत ही लोकप्रिय सब्जी फसल है. गाजर विटामिन ए और विटामिन बी का अच्छा स्रोत होता है,  नियमित रूप से गाजर खाने से जठर में होने वाला अल्सर और पाचन संबंधी विकार दूर हो जाते हैं साथ ही पीलिया की समस्या को दूर करने, इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने व आंखों की रोशनी भी गाजर से बढ़ती है. इसमें पाए जाने वाला कैरोटिन बालों के लिए काफी अच्छी साबित होता है. गाजर में मौजूद इन सभी गुणों और स्वाद की वजह से इसकी  बाजार में काफी मांग भी रहती है इसलिए गाजर की खेती काफी मुनाफेमंद भी है. 

उपयुक्त जलवायु- गाजर ठंडी जलवायु वाली फसल है, उन्नत खेती के लिए 8 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान सही माना जाता है, ज्यादा गर्म इलाके में खेती नहीं करनी चाहिए. 

उपयुक्त मिट्टी- गाजर के लिए दोमट मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है. खेत में जल निकासी की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए, पानी के भराव से जड़ों के गलने के साथ फसल खराब होने का खतरा ज्यादा होता है.

खेती का सही समय- गाजर की बुवाई का सही समय अगस्त से अक्टूबर के बीच का होता है, लेकिन कुछ खास किस्म की बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय अच्छा होता है. इसकी खेती रबी के मौसम में करने से ज्यादा उत्पादन मिलता है. 

खेत की तैयारी- सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई करें, इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं. फिर खेत में पानी लगाकर पलेव कर देना चाहिए, इससे खेत की मिट्टी नम हो जाती है. नम भूमि में रोटावेटर लगाकर 2-3 तिरछी जुताई करें, इससे खेत की मिट्टी में मौजूद मिट्टी के ढेले टूट जाते हैं और मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें

बुवाई का तरीका- समतल भूमि में बीजों का छिड़काव किया जाता है, एक हेक्टेयर खेत में करीब 6 से 8 किलो बीजों की जरुरत होती है, इन बीजों को खेत में लगाने से पहले उपचारित करें, बीजों के छिड़काव के बाद खेत की हल्की जुताई करनी चाहिए. इससे बीज भूमि में कुछ गहराई में चले जाते हैं फिर हल के माध्यम से क्यारियों के रूप में मेड़ों को तैयार करें, इसके बाद फसल में पानी लगा दें. 

सिंचाई- फसल की पहली सिंचाई बीज रोपाई के बाद करना चाहिए, फिर सप्ताह में दो बार सिंचाई करें और जब बीज भूमि से बाहर निकल आये तब सप्ताह में एक बार पानी दें, एक महीने बाद जब बीज पौधा बनने लगे उस दौरान पौधों को कम पानी देना चाहिए और जब पौधे की जड़ें पूरी तरह से लम्बी हो जायें तो पानी की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए. 

ये भी पढ़ेंः जानिए गाजर की खेती की पूरी जानकारी

फसल की खुदाई- गाजर की फसल  3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है, जिससे किसान एक साल में गाजर की खेती से 3 से 4 बार तक उत्पादन ले सकते हैं. जब गाजर की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है, उस दौरान फसल की खुदाई कर लेनी चाहिए. खुदाई से पहले खेत में पानी लगाना चाहिए, इससे गाजर आसानी से मिट्टी से बाहर आ जाती है.

English Summary: Amazing profit in carrot farming, crop gives bumper yield in just 90 days! Published on: 09 March 2023, 02:38 PM IST

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