अधिक मात्रा में प्रोटीन, विटामिन डी (vitamin D) जैसे पोषक तत्वों (nutrients) वाले मशरूम की खेती (mushroom farming) किसानों को काफी आकर्षित कर रही है. इस खेती में आपको न खेत की ज़रूरत है और न ही सिंचाई के लिए पानी की. ऐसे में कोई भी आसानी से कम जगह में भी मशरूम उत्पादन (Mushroom production) कर सकता है. इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे देश के कई राज्यों में किया जा रहा है. इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे ठंडे राज्यों में भी मशरूम की खेती की जाने लगी है. आप भी मशरूम की खेती कर मालामाल हो सकते हैं.
ऐसे करें मशरूम की खेती (mushroom farming)
आप अगर किसी कमरे में ही, जो कि सबसे आसान है, मशरूम की खेती करने का सोच रहे हैं तो आप इसके लिए धान और गेहूं के भूसे की मदद ले सकते हैं. आप कॉम्पोस्ट खाद (compost) बनाकर इसका उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए भूसे को कीटाणु रहित होना चाहिए. इससे मशरूम का उत्पादन अच्छा और स्वस्थ होता है. इसके लिए आपको लगभग 1500 लीटर पानी में 1.5 किलोग्राम फार्मलीन एवं 150 ग्राम बेबिस्टीन मिलाना है. इसमें दोनों केमिकल को एक साथ मिलाना होता है. इसके बाद इस पानी में लगभग 1 क्विंटल गेहूं का भूसा डालकर अच्छे से मिलाना है. कुछ समय तक इसे ढंककर छोड़ दें.
कुछ समय बाद भूसे की नमी को 50 प्रतिशत तक कम कर दें. इसमें आपको कई बार इस भूसे को उलटना-पलटना पड़ेगा. ऐसा करने के बाद ही यह पूरी तरह से बुवाई के लिए तैयार होगा. अब आप 16/18 के पॉलीबैग में इसकी परत दर परत लेयर बिछाकर बुवाई कर सकते हैं. भूसे की एक लेयर के बाद बीज, फिर दूसरी लेयर के बाद बीज और फिर इसी क्रम में लगभग 3 परत बिछाकर बीज डालकर बुवाई कर दें.
ध्यान देने वाली बात यह है कि बैग के नीचे की तरफ दोनों कोनों पर छेद ज़रूर करें जिससे नमी न रहे. आपको इस बैग को टाइट बांधना है जिससे हवा न जा सके. वहीं बुवाई के बाद पॉलीबैग में कई छोटे छेद किए जाते हैं जिससे मशरूम बाहर निकल सकें.
इसके बाद लगभग 15 दिन तक इस फसल को हवा से बचाएं और फिर कमरे को खुला छोड़ दें. आपको बता दें कि इसमें नमी पर नियंत्रण करना बहुत ज़रूरी है. नमी लगभग 70-75 डिग्री तक की होनी चाहिए. कमरे का तापमान लगभग 30 डिग्री तक हो.
बाजार में है अच्छी मांग
मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है. इसमें आपको विटामिन, प्रोटीन आदि पोषक तत्व अच्छी मात्रा में मिलते हैं. यही वजह है कि लोग इसे काफी पसंद कर इसका सेवन कर रहे हैं. अगर आप स्वस्थ खान-पान पर ध्यान देने वाले लोगों में से एक हैं, तो आपको निश्चित तौर से इसका उपयोग करना चाहिए. इसके सेवन से आपको कई तरह की बीमारियों से राहत भी मिल सकती है, जो अक्सर पोषक तत्व की कमी से हमारे शरीर में घर कर जाती हैं. आपको बता दें कि पूरे विश्व में एशिया एवं अफ़्रीका के क्षेत्रों में इसकी मांग काफी अधिक देखने को मिलती है.
मशरूम प्रसंस्करण के तरीके (mushroom processing)
अगर आप मशरूम का प्रसंस्करण कर उसे लम्बे समय तक इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आप अचार के रूप में उसे रख सकते हैं. इसके साथ ही धूप में मशरूम को सुखाकर उसका पाउडर या फिर ऐसे ही रखा जा सकता है. आप पोटेशियम मेटाबाई सल्फाईड का इस्तेमाल भी मशरूम प्रसंस्करण के लिए कर सकते हैं जिसके तहत लगभग 3 महीने तक उसे संरक्षित किया जा सकता है.
महिलाओं के लिए घर बैठे मुनाफ़े का सौदा (self employment)
मशरूम की खेती से महिलाएं घर बैठे ही आसानी से इसका व्यवसाय शुरू कर सकती हैं और कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा कमा सकती हैं. चूंकि इस कारोबार को एक कमरे में भी किया जा सकता है, इसमें किसी की ज़रूरत भी नहीं होती.
यहां से ले सकते हैं अधिक जानकारी
अगर खेती के दौरान किसान को किसी भी तरह की अतिरिक्त जानकारी चाहिए तो वह अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) जाकर विशेषज्ञों से बात कर सकता है. किसान मशरूम के बीज की भी सलाह ले सकते हैं. इसके साथ ही ध्यन देने वाली बात यह है कि सभी मशरूम खाने योग्य नहीं होते हैं. ऐसे में किसान इस संबंध में भी जानकारी ले सकते हैं कि किस तरह के मशरूम खेती के लिए बेहतर होते हैं.
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