जैविक कृषि को फ्रेंडली व कम लागत प्रौद्योगिकी अपनाते हुए रासायनिक तथा कीटनाशक अवशेश से मुक्त कृषि उपज का उत्पादन है. परम्परागत कृषि विकास योजना (पी0क0वी0वाइ0) के अधीन, जैविक कृषि को किसानों के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए समूह तथा भागीदारी गारण्टी प्रणाली (पी0जी0एस0) प्रमाणन द्वारा जैविक गांव को अपनाते हुए उन्नत करना है.
जैविक खाद्य उत्पादों के लाभ
उत्तम आहार - जैविक खेती मृदा की पौष्टिकता को बढाती है जोकि पौधों तथा पशुओं में जाती है तथा इस प्रकार जैविक खाद्य पदार्थ पौष्टिकता को बढाता है.
जहर से मुक्त - जैविक खेती में जहरीले रासायनो, कीटनाशकों तथा खरपतवारों का प्रयोग नहीं किया जाता, जैविक खाद्य जीव - विश से मुक्त है तथा बीमारीयों को कम करने में सहायता करता है.
स्वाद में बढोतरी - जैविक रूप से पैदा किए गए खाद्य पदार्थ तथा सब्जियों में अतिरिक्त सवाल सहित शक्कर अंश मुहैया करता है.
लम्बे समय तक गोल्फ जीवन- जैविक पौधों में परम्परागत फसलों की अपेक्षा में सेलुलर संरचना में अधिक से अधिक कायापलट तथा संरचनात्मक संपूर्णता है जोकि जैविक खाद्य पदार्थ को लम्बे समय तक रखने के लायक बनाता है.
उच्च क्षतिपूर्ति - जैविक उत्पाद बाजार में बहुत उच्च मूल्य पर बिकते है. क्योंकि ऐसे उत्पदों की मांग आपूर्ति की तुलना में बहुत अधिक हैं.
चयन मापदण्ड:
-जैविक समूह का क्षेत्र - 50 एकड
-अधिकतम 1 हैक्टेयर प्रति किसान
-65 प्रतिशत किसान छाटे तथा मध्यम किसान होने चाहिए
-50 एकड तक की प्रति समूह अधिकतम आर्थिक सहायता - 10 लाख रूपये
किसान समूह की रचना - प्रशिक्षण तथा प्रदर्शन दौरा
जैविक खेती पहल समूह आधार पर स्थानीय किसानों (कम से कम 50) की भागीदारी से गुरूकुल गौशाला के आसपास 100 एकड़ कृषि भूमि (दो समूह) में की जानी है. प्रारम्भिक चरण में, बैठक तथा जागरूकता शिविर जैविक खेती के लाभों व तरीकों के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए आयोजित किए जाने है. प्रत्येक समूह के किसानों को जैविक खेती तरीकों के विभिन्न पहलुओं पर व्यावाहरिक प्रदर्शन देने के लिए विद्यामन सफल जैविक खेती /बागवानी क्षेत्र में भेजा जायेगा. एक नेतृत्व साधन व्यक्ति को किसानों में से चुना जायेगा जो समय-समय पर जैविक खेती पर किसानों के साथ समन्वय करेगा तथा आगामी प्रशिक्षण देगा. चुने गए समूह के किसानों के प्रशिक्षण तथा प्रदर्शन के लिए चै0 चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय/ भारतीय कृषि अनुसंधान परिशद/क्षेत्रीय केन्द्र जैविक खेती (आर0सी0ओ0एफ0) तथा जैविक खेती क्षेत्र में प्रसिद्ध विशेशज्ञो तथा सफल जैविक खेती करने वाले किसानों की सहायता ली जायेगी तथा उपयुक्त प्रशिक्षण कलैण्डर जारी किया जायेगा. किसानों तथा नेतृत्व साधन व्यक्ति को निम्नलिखित प्रक्रियाओं पर प्रषिक्षण दिया जायेगा.
1.जैविक बीज उत्पादन के तरीके.
2.जैविक खाद तथा केंचुओ खाद बनाने की विधि.
3. जैव उर्वरक तथा जैव कीटनाशक तैयार करने का तरीका.
भागीदारी गारण्टी प्रणाली (पी.जी.एस.) रजिस्ट्रेशन/प्रमाणन
समूह के किसानों का पी.जी.एस. रजिस्ट्रेशन उप कृषि निदेशक द्वारा किसा जाएगा जैसे कि जैविक खेती के क्षेत्रीय केन्द्र (आर.सी.आ.एफ.) पंचकूला के परामर्ष से जैविक खेती राष्ट्रीय केन्द्र (एन.सी.ओ.एफ.) कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय, भारत के अधीन क्षेत्रीय परिषद है. इस में वर्तमान फसल अभ्यास के ब्यौरों सहित समूह के प्रत्येक किसान का ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन शामिल है. नेतृत्व संसाधन व्यक्ति (एल0आर0पी0) किसानों के रजिस्ट्रेशन तथा उप कृषि निदेशक, कुरूक्षेत्र तथा जैविक खेती के क्षेत्रीय केन्द्र (आर0सी0ओ0एफ0) से प्रषिक्षण, जैविक उत्पादन प्रक्रिया प्रलेखन, मृदा नमूना जांच से सम्बन्धित विभिन्न आंकडों के प्रलेखन तथा सम्पर्क के लिए जिम्मेवार होगा. नेतृत्व संसाधन व्यक्ति (एल0आर0.पी0) को जैविक उपज के प्रलेखन, मृदा नमूना सग्रहण, पैकेजिंग, ब्रान्डिंग तथा मार्किटिंग तथा जैव कीटनाशक तथा जैव उर्वरकों की तैयारी के लिए अपेक्षित सामुदायिका अवसंरचना का गहन प्रशिक्षण दिया जाएग.
आर0सी0ओ0एफ0 के सहयोग के माध्यम से एल0आर0पी0 किसानों के खेतो से जैविक मृदा /नमूनें इकट्ठे करेगा जिसे कीटनाशकों तथा रासानिक अवशेषों के विश्लेषण के लिए एन0ए0बी0एल0 प्रयोगशाला में जांच जाएगा जोकि पी0जी0एस0 प्रमाणन के लिए आवश्यक है. मृदा परिणाम पर आधारित जैविक खैती के उपयुक्त पैकेज तथा प्रक्रिया किसानों के समूह को भेजी जाएगी . पी0जी0एस0स0 प्रमाणन किसानों के समूह के कृषि क्षेत्र, प्रलेखन तथा नमूना जांच के निरीक्षण के आधार पर दिया जाएगा.
पी.जी.एस. रजिस्ट्रेशन/प्रमाणन
जैविक खाद उत्पादन (समेकित खाद प्रबंधन)
समूह के किसानों की फसल उत्पादन बढाने के लिए मृदा/ बीज के एप्लीकेशन के लिए प्रयुक्त की जाने वाली तरल जैव -उर्वरक (नाईटोजन निर्धारण/ घुलनषील/पोटाषियम तैयार करने) की प्राप्ति के लिए सहायता की जाएगी. प्रत्येक किसान की मृदा में फास्फोरस/ जिंक कमी को पूरा करने के लिए मिट्टी में फास्फेट सहित जैविक खाद / दानेदार जाईम के प्रयोग तथा केंचुआ खाद इकाई के निर्माण के लिए अपेक्षित कीडों, गड्ढों की तैयारी, ईंठ की दीवार का निर्माण, श्रम प्रभार तथा कच्ची सामग्री की भी प्राप्ति के लिए सहायता की जाएगी. नोडल पशु आश्रय/ गौशाला द्वारा उत्पन्न पशु खाद कृषि के प्रयोजन के लिए जैविक खाद के रूप में प्रयोग की जाएगी जिसके लिए नीतियों का परिवर्तन गोकुल मिशन के अन्तर्गत किया जाएगा.
समूह के प्रत्येक किसान सदस्य की कीटों के नियंत्रण के लिए तरल जैविक कीटनाशक (ट्राइकोड्रामा वीरीडी, शुडोमोनास, फलोरोसीन मैट्रीजियम, बवैरिया बसीनिआ, एसोलिमाईसिस, वर्टिसीलियम) की प्राप्ति, प्रयोग तथा दूसरे वर्ष के दौरान फसल/ पाघों में बीमारी को रोकने के लिए प्राकृतिक कीट नियंत्रण को अपनाने तथा दूसरे वर्ष के दौरान कीटों व बीमारी के नियंत्रण के लिए नीम केक/नीम तेल प्रयोग के लिए भी सहायता की जाएगी.
जैविक खाद उत्पादन के लिए सहायता की पद्धति
जैविक उत्पाद लेबलिंग ब्रान्डिग तथा मार्किटिंग
पैकेजिंग, लेबलिंग, ब्रान्डिंग:- जैविक समूह द्वारा उत्पन्न जैविक उपज (सब्जियां, फल तथा अनाज) की उचित पैकेजिंग, ब्रान्डिग / लेबलिंग करने की आवश्यकता है जिसके लिए नेतृत्व संसाधन व्यक्ति तथा कृषि तथा किसान कल्याण विभाग आर0सी0ओ0एफ0 के साथ मिलकर काम करेंगे. लेबलिंग जैविक उपज ब्रान्डिंग के लिए प्रयुक्त समूह, जिला तथा अनूठी उपज पैकिंग का नाम शामिल करते हुए बनाई जाएगी. जैविक समूह की जैविक उपज की ब्रान्डिंग के लिए पी0जी0एस0 इण्डिया ग्रीन लोगो तथा पी0जी.0एस0 इण्डिया जैविक लोगो का प्रयोग किया जाएगा. बाजार स्थलों में जैविक उपज के संग्रहण तथा परिवहन के लिए परिवहन वाहन खरीदने हेतु वित्तीय सहायता दी जाएगी. जैविक उपज के विक्रय के लिए विस्तृत प्रचार करने के उद्देश्य से समूह स्तर पर जैविक मेलों का आयोजन किया जाएगा.
मार्किटंग सुविधाएं के लिए सहायता की पद्धति
अधिक जानकारी के लिए कृषि तथा किसान कल्याण विभाग हरियाणा पंचकुला टेलीफोन न0 172-2570662 पर संपर्क करें
डॉ़. सुभाष चन्द्र कृषि विकास अधिकारी (गन्ना)
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, करनाल (हरियाणा)
डॉ़. जोगेन्द्र सिंह, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत
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