मानव जाति की स्थापना के बाद से हीं पानी प्रकृती का एक अनमोल वरदान रहा है. यही वजह है कि मानव जाति चांद और मंगल ग्रह पर पहुंचकर पानी की तलाश में जुटी है ताकि यहां भी जीवन संभव हो सके. लेकिन धरता पर मौजूद पानी का स्तर लगातार कम होना बहुत बड़ी चिंता का विषय है. जिसके बिना जीवन असंभव है.गौरतलब है कि हमारे शरीर में 70% पानी होता है. यह एक ऐसा संसाधन है, जो अधिकतर पृथ्वी का निर्माण करता है, लेकिन फिर भी इसके कम होने का डर बना हुआ है. पानी हमारे लिए जितना जरूरी है उतनी ही आज इसकी बर्बादी हो रही है. बढ़ती आबादी और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के चलते धरती पर पानी की कमी होती जा रही है. और ये कमी भविष्य में बहुत बड़ी समस्य बन सकती है.
सबसे बड़ी बात यह है कि इसका असर फसलों से लेकर सभी जीव जंतुओं तक पर पड़ रहा है. पानी की कमी की वजह से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है जिसके चलते मानसून की चाल से लेकर बारिश का पैटर्न तक लगातार बदल रहा है. कई जगह अचानक सूखा और फिर बाढ़ आम होती जा रही है. जब ऐसा होता है तो अधिकांश पानी बह जाता है और जिसकी वजह से जल का संग्रह नहीं हो पाता है. इतना ही नहीं लगातार भूमिगत जल का स्तर भी कम हो रहा है. ऐसा देखा गया है कि कई जगह बारिश जरूरत से ज्यादा हो जाती है तो कई जगह बहुत कम होती है. इस साल भी ऐसा ही देखने को मिला. जिसके चलते अगस्त / सितंबर में फसल का काफी नुकसान हुआ. इसलिए जब तक किसान बारिश के पानी का संरक्षण नहीं करेंगे, तब तक वे इस तरह की समस्य से जूझते रहेंगे.
पानी का कमी न केवल जीवन को प्रभावित कर रही है बल्कि पर्यावरण और देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है. इसका मतलब साफ है कि अगर धरती पर पानी की कमी होगी तो फसलों से ठीक उत्पादन नहीं लिया जा सकता जिससे हमारे कृषि प्रधान देश की अर्थव्यवस्था सीधे-सीधे प्रभावित होगी. आपको बता दें कि पानी का जो सरप्लस है उस पर कब्जा करके पानी का संरक्षण करना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. खेतों में तालाब बनाकर भी पानी को संरक्षित किया जा सकता है. उदाहरण के लिए टाटा स्टील एंड रूरल डेवलपमेंट सोसायटी (एक गैर-लाभकारी संगठन) ने झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में 800 तालाबों का निर्माण किया है, जिससे न केवल सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी मिल रहा है. बल्कि मछली पालन के जरिए कमाई के नए विकल्प भी खुले हैं. इसी तरह यहां विशेषीकृत लाइनिंग भी उपलब्ध हैं जो कि एल्गी के विकास में मदद करते हैं और बेहतर मछली पालन के लिए एक प्राकृतिक वातावरण बनाते हैं.
अगर थोड़ी समझदारी दिखाई जाए तो जल संरक्षण के लिए कई तरीखों को अपनाया जा सकता है. इनमें से कुछ बहुत है अहम है. इनमें से ड्रिप सिंचाई एक अच्छा विकल्प है. ड्रिप सिंचाई का रुख करना और आधुनिक उपाय जैसे कि आईओटी सेंसर और कम्प्यूटरीकृत सिस्टम को अपनाकर जल संरक्षण किया जा सकता है. लेकिन ऐसे उत्पादों को अधिक सुलभ और सस्ता बनाने की जरूरत है.
चूंकि ग्रामीण भारत फसल की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है. ऐसे में जल प्रबंधन सिर्फ लोगों की प्यास बुझाने के लिए नहीं है, बल्कि कृषि, अर्थव्यवस्था और सभी के जीवन के लिए बहुत जरूरी है. यह दुनिया के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने और किसानों को पानी की कमी के विनाशकारी प्रभावों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है.
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