कृषि मीडिया बलिया उत्तरप्रदेश: खेतों और सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं से हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है. ऐसे में शासन द्वारा पशु आश्रय स्थल में आवारा पशुओं को रखने की कवायद की गई. जिले में यह योजना फेल होती दिखाई दे रही है. जिले में छुट्टे पशुओं को पशु आश्रय स्थल में संरक्षित करने में लापरवाही जारी है. छुट्टे पशु फसलों को बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन इसको लेकर जिम्मेदार कौन है. सरकारी आंकड़ों में ही 491 छूट्टे पशु घूम रहे हैं, जबकि कई गौशालाओं में मानक से कम पशु संरक्षित है. इस पर हर महीने लाखों का बजट भी खर्च हो रहा है.
वर्ष 2019 में प्रदेश सरकार ने छूट्टा मवेशियों को रखने के लिए पशु आश्रय स्थल बनाने की कवायद शुरू की थी. हालांकि शुरुआती दौर में अस्थाई केंद्र खोलकर उसमें छोटे मवेशियों को रखा जाने लगा. जनपद में अलग-अलग वर्षों में दो वृहद पशु आश्रय स्थल संचालित है, जबकि एक वृहद पशु आश्रय स्थल निर्माणाधीन है. इसके अलावा छुट्टे मवेशियों को पकड़कर रखने के लिए जिले में 26 अस्थाई पशु आश्रय स्थल बनाए हैं. इस में ग्रामीण क्षेत्रों के 16 ब्लाकों में से एक -एक व नगर पालिका व आठ नगर पंचायतों में कुल एक-एक हैं. समय-समय पर शासन की ओर से अभियान चलाकर छुट्टे पशुओं को पशु आश्रय स्थलों में रखने का निर्देश दिया जाता है.
ये भी पढ़ेंः छुट्टा जानवरों से किसानों को मिलेगा छुटकारा, जानिए कैसे?
इसके बावजूद भी सड़क से लेकर खेतों तक छुट्टे पशु को धूमते हुए देखा जा सकता है. सबसे अधिक छुट्टा पशुओं से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिले के पशु आश्रय स्थलों में कुल 2928 पशुओं को संरक्षित किया गया है. इसके अलावा सौभाग्य योजना के तहत 407 पशु संरक्षित है.
Share your comments