जैविक का एक और फायदा यह है कि मिट्टी अधिक स्वस्थ रहने से पौधा मजबूत तैयार होता है. मरी हुई मिट्टी जो रेत या पत्थर के टुकड़े के समान है, इसमें स्वास्थ्य पौधे नहीं पनप सकते हैं. मिट्टी यदि स्वस्थ है तो ऊपर से भारी मात्रा में खाद डालने की आवश्यकता नहीं होती.
पानी की भी बहुत अधिक जरूरत नहीं होती है क्योंकि पौधा मीठी वातावरण के नमी और भूजल जो की जीवित नीति में बहुत अलग प्रक्रिया में काम करते हैं, इसे अपनी जरूरतों की पूर्ति कर लेता है. जबकि रासायनिक में ऊपर से अधिक जल देने की आवश्यकता होती है.
शोध कहता है रासायनिक कीटनाशकों एवं भारी मशीनों की वजह से मिट्टी की प्राकृतिक संरचना को नुकसान पहुंचाता है. उस में पाए जाने वाली बैक्टीरिया और फंगस खत्म होने लगते हैं, जो पौधे को स्वस्थ रखने का काम करते हैं. खेती में जब रसायनों का प्रयोग शुरू हुआ तब उनकी दूरगामी प्रभावों को देखने की जगह सिर्फ क्षणिक लाभ पर ध्यान दिया गया. जो था बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए तेजी से ज्यादा अनाज पैदा करना.
लेकिन दशकों तक किए गए इन रसायनों के प्रयोग ने मिट्टी से उसके प्राकृतिक पोषक तत्व छीन लिए. एक और भ्रम यह है कि कीटनाशकों के प्रयोग से बीमारियां दूर होती है. असल में कीटनाशक सिर्फ बीमारियों के लक्षणों को दबा देते हैं. वह बिल्कुल वैसा ही है जैसे एलोपैथिक दवा मनुष्य के शरीर से बीमारी को जड़ से खत्म करने की जगह उसके लक्षणों को दबा देती है, वहीं आयुर्वेद उसे जड़ से खत्म करता है.
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खेती में भी ऐसा ही पाया गया. जिन पौधों में सिंथेटिक खाद डालेगी वह बीमार होंगे ही, फिर उन्हें बीमारी से बचाने के लिए सिंथेटिक दवाइयां डालनी होगी और नतीजा क्या है इसकी वैज्ञानिकता से पहले कई बार चर्चा हो चुकी है. अब इस पर चर्चा जरूरी है कि इनके बिना पौधे को स्वस्थ कैसे रखा जाए?
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रबीन्द्रनाथ चौबे कृषि मीडिया बलिया उत्तरप्रदेश.
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