2050 तक अनुमानित 10 बिलियन लोगों में से लगभग 70 प्रतिशत लोग शहरों में रहने का अनुमान किया जा सकता है। एक चैका देने वाला विषय और एक स्थायी खाद्य भविष्य की कल्पना करते समय इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बेहतर एंथ्रोपोसीन को आकार देने की दिशा में खाद्य उत्पादन को शहरी वातावरण के ढांचे में सीधे एकीकृत करना महत्वपूर्ण घटक है। ऐसे में शहरी बागवानी की भूमिका पर विचार करना महत्वपूर्ण है। आधुनिकीकरण और शहरीकरण के चलते आधिकारिक तौर पर विकास होता जा रहा है और शहरी क्षेत्र बढ़ते हुए जनसंख्या की मांगों को पूरा करने के लिए बेहद आवश्यक है। बढ़ती हुई जनसंख्या और रोजगार के लिए लोग शहरों की और जा रहे हैं लेकिन शहरों में उनको ताजे फल और सब्जी ली मांग पूरी नहीं हो पा रही है जनसंख्या के सामने भोजन और पोषक तत्त्वों की समस्या बढ़ती जा रही है इस समस्या से निपटने के लिए शहरी बागवानी एक समाधान प्रदान कर सकती है जो खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी संभावनाओं को सुधारने में सहायता करती है।
हाल के वर्षों में, जलवायु परिवर्तन और शहरी इलाकों में स्थायी खाद्य आपूर्ति की इच्छा के कारण शहरी कृषि में रुचि बढ़ी है। शहरी बागवानी ने कोविड-19 जैसी महामारी संबंधी बीमारियों के दौरान अपना महत्व बढ़ा दिया है, जिसने विश्व स्तर पर खाद्य असुरक्षा को जन्म दिया है। इसके अलावा, उच्च गरीबी दर, कुपोषण, अवरुद्ध विकास और दुनिया भर में बढ़ती आबादी ने शहरी बागवानी के महत्व को बढ़ा दिया है। लोगों की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, शहरी क्षेत्रों में खाली स्थान एक प्रमुख प्राथमिकता होगी ताकि भूमि को बंजर छोड़ दिए जाने पर भोजन की कमी और शहरी पारिस्थितिक नुकसान की भरपाई की जा सके। शहरी परिदृश्यों और खुले स्थानों में बागवानी खाद्य फसलें उगाने से भोजन और पर्यावरण की स्थिरता में सुधार होगा। शहरी बागवानी, मूलत सामाजिक सामाजिक चुनौतियों को कम करने का एक तरीका है इस लेख में हम शहरी बागवानी के महत्व को देखेंगे और खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए इसके संभावना को समझेंगे।
शहरी बागवानी का महत्वः
शहरी बागवानी शहरी इलाकों में खेती का एक रूप है जिसमें वनस्पति पौधों, फूलों और सब्जियों की खेती की जाती है। यह एक शहरी क्षेत्र के नागरिकों को स्वदेशी और स्वयंनिर्भर बनाने में मदद करता है। निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण कारणों से शहरी बागवानी खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए महत्वपूर्ण हैः
स्वयं की खाद्य सुरक्षाः शहरी बागवानी नगरीय क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा को सुधारती है। लोग अपने खुद के बगीचे में सब्जियां और फल उगा सकते हैं, जिससे खाद्य संसाधनों का संरक्षण होता है और नागरिकों को भोजन की सुरक्षा मिलती है। इसके साथ ये ताजा सब्जिया और फल की पूर्ति भी हो जाती है।
पोषण संभावनाएं सुधारनाः शहरी बागवानी विभिन्न प्रकार के स्वस्थ और पोषण से भरपूर पौधे उगाने में मदद करती है। बहुत सारी सब्जिया विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होती है जिनमे पाई जाने पोषक पदार्थो का नीचे विवरण दिया गया है.
|
ऊर्जा (किलो कैलोरी) |
आद्रता (ग्राम) |
प्रोटीन (ग्राम) |
वसा (ग्राम) |
मिनरल्स (ग्राम) |
कार्बोहाइड्रेट (ग्राम) |
रेशे (ग्राम) |
कैल्शियम (मिलीग्राम) |
फास्फोरस (मिलीग्राम) |
लौह (मिलीग्राम) |
पेठा |
10 |
96 |
0 |
0 |
0 |
2 |
1 |
30 |
20 |
1 |
सेम |
158 |
58 |
7 |
1 |
2 |
30 |
2 |
50 |
160 |
3 |
रेला |
25 |
92 |
2 |
0 |
1 |
4 |
1 |
20 |
70 |
1 |
लौकी |
12 |
96 |
0 |
0 |
0 |
2 |
1 |
20 |
10 |
0 |
बैंगन |
24 |
93 |
1 |
9 |
9 |
4 |
1 |
18 |
47 |
0 |
बाकला बीन |
48 |
85 |
4 |
0 |
1 |
7 |
2 |
50 |
64 |
1 |
गोभी |
30 |
91 |
3 |
0 |
1 |
4 |
1 |
33 |
57 |
1 |
चाउ चाउ |
27 |
92 |
1 |
0 |
0 |
6 |
1 |
140 |
30 |
1 |
ग्वार |
16 |
81 |
3 |
0 |
1 |
11 |
3 |
130 |
57 |
1 |
आलुकी |
18 |
94 |
0 |
0 |
1 |
4 |
1 |
60 |
20 |
0 |
लोबिया |
48 |
85 |
3 |
0 |
1 |
8 |
2 |
72 |
59 |
2 |
खीरा |
13 |
96 |
0 |
0 |
0 |
2 |
0 |
10 |
25 |
1 |
मोरिंगा |
26 |
87 |
3 |
0 |
2 |
4 |
5 |
30 |
110 |
0 |
स्रोत: गोपाल सी. राम शास्त्री बी. वी. और बालासुब्रमण्यम एस.सी. (2004) भारतीय खाद्य पदार्थों का पोषक मूल्य राष्ट्रीय पोषण संस्थान आईसीएमआरए हैदराबाद
पर्यावरण का संरक्षणः शहरी बागवानी शहर की हरियाली को बढ़ावा देने में मदद करती है और शहर के वातावरण को स्वच्छ और शुद्ध रखने में मदद करती है। पौधों के सँक्षेप में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने से पर्यावरण के लिए फायदेमंद होता है। इसके साथ वाहनों से निकलने वाले धुए को अवशोषित करने में सहायता करता ह लेकिन पादपो का चयन ध्यान में रखना चहिये।
खाद्य संसाधनों के जलवायु पर प्रभावः शहरी बागवानी शहरों में वन्य भूखंडों की अवस्था को बेहतर बनाने में मदद करती है जिससे खाद्य संसाधनों के जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्राकृतिक वायुमंडल को बढ़ावा देती है जो वन्य प्राणियों और पौधों के लिए अनिवार्य है।
गरीबों को रोजगार का अवसरः शहरी बागवानी गरीब और निम्न-आय वाले लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करती है। वे अपने छोटे भूखंडों में फल और सब्जियां उत्पादित करके उन्हें बेचकर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। इससे उन्हें खाने के लिए स्वदेशी और स्वदेशी उत्पादों का उचित उपयोग करने में सक्षम बनाने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष:
शहरी बागवानी खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी समस्याओं को समाधान करने के लिए एक प्रोमिनेंट समाधान है। यह खुद की खेती का अवसर प्रदान करती है और लोगों को स्वदेशी खाद्य स्रोतों का उपयोग करने में मदद करती है। इसके माध्यम से, लोग अपने खुद के उत्पाद का उपभोग कर सकते हैं, जो उन्हें स्वयंनिर्भर बनाता है। इसके अलावा, शहरी बागवानी पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है और वनस्पति के संचय के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करती है। इसलिए, हमें शहरी बागवानी के महत्व को समझते हुए, इसे बढ़ावा देना और इसके पोटेंशियल को समझना चाहिए। इससे हम खाद्य सुरक्षा और पोषण को सुधार सकते हैं और समृद्ध और स्वस्थ नगरीय क्षेत्रों का निर्माण कर सकते हैं।
मोहन लाल जाट, जितेंद्र सिंह शिवरान एवं ओमप्रकाश कुमावत
चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा
गोबिंद पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान
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