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बेरोज़गारी की हालत खराब नहीं बद से बदतर है !

मैनें बी.ए किया है और हां, एम.ए भी किया है. मैं रमेश चंद्र सूरी, उम्र 27 साल, दिल्ली का रहने वाला हूं. मेरी योग्यता और शिक्षा का आकलन करेंगे तो पता चलेगा कि मैं ज्यादा तो नहीं पर ठीक-ठाक पढ़ा लिखा हूं. दिल्ली के विश्वसनीय और सम्मानित कॉलेज से मैने अपनी पढ़ाई पूरी की है. लेकिन रुह कांप जाती है जब कोई पूछ लेता है कि करते क्या हो ?

गिरीश पांडेय
गिरीश पांडेय

मैनें बी.ए किया है और हां, एम.ए भी किया है. मैं रमेश चंद्र सूरी, उम्र 27 साल, दिल्ली का रहने वाला हूं. मेरी योग्यता और शिक्षा का आकलन करेंगे तो पता चलेगा कि मैं ज्यादा तो नहीं पर ठीक-ठाक पढ़ा लिखा हूं. दिल्ली के विश्वसनीय और सम्मानित कॉलेज से मैने अपनी पढ़ाई पूरी की है. लेकिन रुह कांप जाती है जब कोई पूछ लेता है कि करते क्या हो ?

हलक सूख जाता है, पारिवारिक और सामाजिक निंदा मेरे पैरों की बेड़ियां बन गए हैं. नाते - रिश्तेदारी में जाने से डरता हूं. शादियां और दूसरे फंक्शन जैसे काटने को दौड़ते हैं. मेरी मां है जिसने मेरे अंदर के इस लावे को उबलते देखा है बाकि जहां तक मेरी नज़र जाती है अंधेरा ही अंधेरा है.

अब सवाल ये उठता है कि मैं कर क्या रहा हूं. जी हां, मैं नौकरी की तैयारी कर रहा हूं, सरकारी नौकरी की. पिछले 3 सालों से यही मेरा रोजगार है और यही मेरा तकियाकलाम - 'तैयारी कर रहा हूं.'

अब मैं आपको बताता हूं कि मैं कर क्या रहा हूं. मैंने सरकारी नौकरी के लिए वो सारे हथकंडे अपनाएं लिए जो अपनाने चाहिए और इन सबसे बढकर जो करना होता है वो है - 'सेल्फ स्टडी', सो वो भी की.

अब हुआ क्या - कि नोटिफिकेशन निकला, परीक्षा कि डेट निकली, परीक्षा हुई पर परिणाम नहीं निकला. वो पेपर जिससे मैने अपना भविष्य जोड़ रखा था, किसी जाहिल मज़ाक के हत्थे चढ़ गया. पेपर लीक हो गया. चलिए, कोई बात नहीं और भी मौके हैं. फिर नोटिफिकेशन निकला, परीक्षा की डेट निकली पर परीक्षा नहीं हुई. उसे कैंसल कर दिया गया. एक और पेपर आ गया, खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पेपर हुआ, पहला पड़ाव पार किया, दूसरे पड़ाव का पेपर हुआ, वो भी पार किया अब रिजल्ट का इंतजार. अरे भई.. रिजल्ट भी आ गया और मेरा नाम भी.

परिवार, नाते-रिश्तेदारों में खबर आग की तरह फैली. अब ज्वाइनिंग लेटर का इंतजार था. एक महीना, दो महीने, तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ, दस, ग्यारह और बारह. इसी तरह आज पूरे दो साल हो गए हैं. परीक्षा पास करने के बावजूद भी नौकरी नहीं मिली. जिंदगी जैसे थम सी गई. मां-बाप को छोड़कर सबने मजाक उड़ाया. मेरा भी और मां-बाप का भी. दुख तो मुझे इस बात का है कि परसों मां-बाप ने मुझसे पूछा कि बेटा - क्या सच में तूने पेपर पास किया था या नहीं ? ऐसा भी हो सकता है कि शायद तेरा नाम लिस्ट में न हो और तूझसे कुछ गलती हो गई हो.

मैनें चयन आयोग के कईं चक्कर लगाए, लेकिन मुझे जवाब नहीं दिया गया. अब मेरे पास कुछ नहीं है सिवाए उस पीडीएफ लिस्ट के जिसमें मेरा नाम है.....

English Summary: government jobs is the biggest scam of India Published on: 01 June 2019, 02:42 IST

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