मानव सभ्यताओं ने मानव जाति व मानव संस्कृति के इतिहास में विश्व समुदाय ने अनेक अप्रत्यासित विभिषिकाओं का सामना किया है. विश्व समुदाय पर अनेक बार ऐसी आपदायें आई कि वो मानव जाति के नियन्त्रण से बाहर थी पर मनुष्य ने अपने अदम्य साहस, धैर्य व चार्तुथ से उन आपदाओं को परास्त किया एवं अपने विकास रुपी चक्र को सदा गतिशील रखा. समय के साथ अनेक विपलव झंझावतो को चीरते हुए आगे बढने का साहस मनुष्य में मानव सभ्यता के मूल मंत्र “संकल्प से सिध्दी” से आता है. यह मूल मंत्र यह संदेश देता है कि जो सोचोगे वही होगा. नोवल कोरोना वायरस जनित कोविड-19 महामारी एक इसी प्रकार की आपदा वर्तमान समय में मानव सभ्यता पर आन पडी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया है. इस महामारी से आज तक (21 अप्रैल 2020) 200 से अधिक देशों में लगभग 25 लाख व्यक्ति प्रभावित है तथा 1.7 लाख से ज्यादा व्यक्ति अपनी जान गवां चुके हैं. यह महामारी दिन प्रतिदिन तेजी से फैलती जा रही है तथा अनेक देशों व लोगों को अपने आगोश में लेती जा रही है.
भारत भी इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है ओर आज तक (21 अप्रैल 2020) लगभग 15 हजार लोग इससे प्रभावित हो चुके है तथा 500 से अधिक लोगो की मृत्यु हो चुकी है. देशव्यापी लॅाकडाउन की वजह से देश के सभी (व्यवसायिक व अव्यवसायिक) क्षेत्रों का विकास एक समय के लिए रुक सा गया है. कृषि क्षेत्र पर भी इस लॅाकडाउन का व्यापक असर पडा है. कृषि क्षेत्र पर लॅाकडाउन के प्रभाव का आंकलन करने के लिए दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के कोटा संभाग (कोटा, बांरा, बूंदी एवं झालावाड) में एक मोबाईल/टेलीफोनिक सर्वे किया गया. देश में इस महामारी के फैलाव को नियन्त्रित करने के लिए 25 मार्च, 2020 से देशव्यापी लॅाकडाउन जारी है. इसी दौरान रबी फसलें (गेहूँ, चना, सरसों, लहसुन,धनियाँ,सौंप इत्यादी)तेजी से पकने व कटाई की ओर अग्रसर है. रबी फसलों की कटाई व उनके उत्पादों को बाजार तक पहुँचाना वांछनीय है किन्तु देशव्यापी लॅाकडाउन की वजह से किसानों को कृषि कार्य करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अतः कृषि ओर कृषि से संबंधित क्षेत्रों पर लॅाकडाउन के प्रभाव का आकलन करने के लिए दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के कोटा संभाग के चारों जिलों (कोटा, बांरा, बूंदी, झालावाड) में किसानों से टेलिफोन/मोबाईल पर सर्वे किया गया. इस टेलिफोनिक सर्वेक्षण हेतु क्षेत्रों के उन सभी ग्रामों को शामिल किया गया जिनको भारत सरकार/राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा विभिन्न परियोजनाओं यथा जल ग्रहण क्षेत्र परियोजना, मेरा गाँव मेरा गौरव कार्यक्रम, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति परियोजना, स्वच्छ भारत कार्यक्रम, तकनीकी हस्तान्तरण कार्यक्रम इत्यादि योजनाओं के अन्तर्गत चयनित किया गया है. इस सर्वेक्षण के लिए लगभग 30 गाँवो में 150 से ज्यादा किसानो से सम्पर्क किया गया. लॅाकडाउन के प्रभाव के आकलन के लिए एक प्रश्नोत्तरी तैयार की गई तथा प्रत्येक किसान से प्रत्येक प्रश्न पर उसका उत्तर व सुझाव जाना गया. सर्वेक्षण के लिए प्रयोग की गई प्रश्नोत्तरी निम्न प्रकार है:
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लॅाकडाउन का रबी की फसल के प्रबंधन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
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लॅाकडाउन का श्रमिकों की उपलब्धता पर क्या प्रभाव पड़ा ?
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लॅाकडाउन का श्रमिकों की दर पर क्या प्रभाव पड़ा ?
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फसल कटाई के लिए कम्बाईन हार्वेस्टर मशीन की उपलब्धता पर क्या प्रभाव पड़ा ?
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फसल कटाई के लिए कम्बाईन हार्वेस्टर मशीन की दर पर क्या प्रभाव पड़ा ?
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कृषि जिंसो की बिक्री पर लॅाकडाउन का क्या प्रभाव पड़ा ?
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कृषि उपकरणों की खरीद व मरम्मत पर लॅाकडाउन का क्या प्रभाव पड़ा ?
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कृषि जिंसो को स्थानीय बाजारों में बेचने पर लॅाकडाउन का क्या प्रभाव पड़ा ?
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लॅाकडाउन ने पशुपालन व उससे संबंधित क्रियाओं यथा पशु-उत्पादों (दूध, दही, घी, इत्यादि) के क्रय-विक्रय, पशु आहारो की उपलब्धता को किस प्रकार प्रभावित किया है ?
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आवश्यक कृषि कार्यों के लिए धन की उपलब्धता पर लॅाकडाउन का प्रभाव.
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कृषि जिंसों के न बिकने व धन की अनुपलब्धता होने के कारण समय पर की जाने वाली पूर्व निर्धारित देन-दारियों/जिम्मेदारियों को नही निभा पाने के कारण व्यावहारिक/सामाजिक मान-सम्मान/प्रतिष्ठा पर प्रभाव.
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किसानों की अन्य सामाजिक जिम्मेदारियों पर लॅाकडाउन का प्रभाव.
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अगर लॅाकडाउन आगे 1-2 महीने के लिए बढ़ता है तो कृषकों व कृषि को किस प्रकार प्रभावित करेगा.
उपरोक्त प्रश्नों को क्षेत्र के किसानों से पूछने व इन पर उनकी प्रतिक्रिया जानने के बाद लॅाकडाउन को कृषि व कृषि क्षेत्र पर पडने वाले प्रभाव मोटे-मोटे तौर पर निम्न भागो में व्यक्त किया जा सकता है.
1. कृषि क्रियाओं पर लॅाकडाउन का प्रभाव:-
जैसा के देश-प्रदेश में कोविड़-19 का प्रभाव फरवरी माह से दिन प्रतिदिन उत्तरोतर गति से बढ़ता जा रहा है. क्षेत्र में मार्च माह के दूसरे पखवाड़े से अप्रेल के अन्त तक रबी फसलों की कटाई का कार्य जोरो पर रहता है और इसी दौरान क्षेत्र में कोरोना का कहर भी जोरों पर है. कोविड़-19 के प्रभाव को नियत्रित करने के लिए की गई तालाबंदी के कारण क्षेत्र का कृषक वर्ग रबी की कटाई व गहाई के लिए मजदूरों की कमी व मशीनों की समस्याओं वाली दोहरी मार से जूझ रहा है. क्षेत्र में कृषि कार्य करने वाले मजदूर वर्ग के पलायन कर जाने व बाहर से मजदूर न ला पाने की मजबूरी की वजह से क्षेत्र के कृषकों को रबी फसलों के कृषि कार्य सम्पन्न करने के लिए मजदूरो की कमी से जूझना पड़ रहा है. इसकी वजह से स्थानीय कृषि मजदूरों ने कृषि कार्यो की दरों को भी बढा दिया है जिससे कृषकों को बढ़ी हुई दरो (10 से 15 प्रतिशत) मजदूर बमुश्किल से मिल पा रहें हैं.
मजदूरों की समस्याओं की वजह से क्षेत्र के किसान रबी फसलो की कटाई के लिए मशीनों द्वारा करवाये जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं. लेकिन क्षेत्र मे बाहर से आई हुई (पंजाब एवं हरियाणा) कम्बाईन हार्वेस्टर मशीनों के सीमित आवागमन की वजह से कृषक कम्बाईन मशीनों की कमी से भी जूझ रहा है. स्थानीय स्तर पर इन मशीनों की सीमित उपलब्धता है. प्रशासनिक आदेशों के बावजूद क्षेत्र के किसान बढ़ी हुई दरो पर कृषि कार्य कराने पर मजबूर है. क्षेत्र के कृषकों के अनुसार मजदूरों व मशीनों की कमी के कारण रबी फसलो के कृषि कार्यो में अधिक समय (10 से 15 प्रतिशत) व्यय करना पडेगा.
2. कृषि उपजों का निस्तारण:-
लॅाकडाउन की वजह से क्षेत्र की सभी धानमण्डीयों को राज्य सरकार द्वारा 16 अप्रैल, 2020 तक पूर्णतय बंद कर दिया गया था. इसके चलते कृषक अपनी कृषि जिन्सों (गेहूँ, चना, सरसों, लहसुन, धनियाँ, सौंप इत्यादी) को नही बेच पा रहे है. हाँलाकि राज्य सरकार ने 16 अप्रैल, 2020 से धानमण्डीयों को खोलने की इजाजत दी है पर बहुत ही सीमित दायरे में. जैसा कि कोटा की भामाषाह मण्ड़ी (क्षेत्र की सबसे बड़ी मण्ड़ी) में 16 अप्रैल से केवल कृषि जिन्स गेहूँ की खुली बिक्री की इजाजत दी है. इस दौरान अन्य कृषि जिन्सो (जौ, चना, सरसों इत्यादि) की खरीद-फरोस्त नहीं की जा सकती. भामाशाह मण्ड़ी में गेहूँ की बिक्री के लिए प्रशासन द्वारा दायरा बहूत ही सीमित रखा गया है. जिससे क्षेत्र के अधिकतर किसान अपना गेहूँ समय पर नही बेच पायेगा. उदाहरण के तौर पर जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्टेªट, कोटा कार्यालय के दिनांक 10.04.2020 के आदेशानुसार भामाशाह मण्ड़ी एक आढ़तिया एक दिन में केवल दो किसानों का पास जारी कर गेहूँ मंगवा सकता है ओर पूरी मण्ड़ी में कुल 300 आढ़तिये है. इस प्रकार एक दिन में केवल 600 किसान ही अपनी फसल बेच सकते है जो कि क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को देखते हुए ऊँट के मूँह में जीरे के समान है. इसके अलावा कृषक मण्ड़ी में रात्रि 12.00 बजे से सुबह 10.00 बजे तक ही प्रवेश कर सकते है.
इसके अलावा क्षेत्र के कृषक (विशेषकर लघु व सीमांत कृषक) मण्ड़ी फसल को बेचने में अन्य बहुत सारी समस्याओं का भी सामना कर रहा है. जैसें कि जिन किसानों के पास उपज कम है उनको आढ़तियों द्वारा कम/न के बराबर प्राथमिकता दी जा रही है. सामान्य दिनों में मण्ड़ी में जिन्सों की खरीद-फरोक्त के लिए बाहर से/अन्य राज्यों से भी व्यापारी आते थे पर लॅाकडाउन की वजह से अब बाहरी व्यापारी या तो आ नही रहें या आ नही पा रहें है, जिसकी वजह से भी कृषि जिन्सों की बिक्री पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है. इसके अतिरिक्त स्थानीय बाजारों जैसे साप्ताहिक बाजार, हॅाट बाजार इत्यादि के बंद होने की वजह से कृषक अपने उत्पादों को स्थानीय बाजार में भी नही बेच पा रहा है. इसके अतिरिक्त मण्ड़ी के आढ़तिये उन किसानों को भी पास नही दे रहे है जिन किसानों की जमीन को संयुक्त खाता है. अतः संयुक्त जमीन खाता धारक किसान (अधिकतर एक माँ-बाप की संताने) प्रशासनिक अनुमति के बाद भी अपनी किसी भी प्रकार की उपज की बिक्री नही कर पा रहा है. उपरोक्त सभी कारणों से अपनी कृषि जिन्सों की बिक्री नही कर पाने के कारण क्षेत्र के किसान इन दिनों आर्थिक संकट का सामना कर रहें है. धन के अभाव में किसान अपनी पूर्व में निर्धारित जिम्मेदारियों व देनदारियों को पूर्ण नही कर पा रहा है.
3. लॅाकडाउन का कृषकों के स्वास्थ्य व स्वच्छता पर प्रभाव:-
लॅाकडाउन का कृषकों के स्वास्थ्य पर किसी प्रकार का विपरित प्रभाव देखने को नही मिला है. क्षेत्र के सभी किसान पूरी तरह स्वस्थ है एवं लॅाकडाउन के सभी नियमों (मुहँ पर मास्क/रूमाल/गमछा लगाना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, हाथों को बारबार धोना, घरों या खेतो में ही रहना इत्यादि) का अच्छी तरह से पालन कर रहें है. सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किसानों के माध्यम से कोविड-19 के बारे में जागरूकता उत्पन्न की जा रही है. कुछ जागरूक किसानों ने (जिनके पास स्मार्ट फोन है) अपने मोबाईलों में आरोग्य-सेतु एप्प भी डाउनलोड कर लिया है. कुछ किसान प्रशासन के साथ मिलकर स्वच्छता व सेनीटाईजशन के कार्यो में भी भाग ले रहें है. गाँवो में गलियों, सार्वजनिक जगहों एवं घर-घर जा कर सोडियम हाईपोक्लोराईट का छिड़काव किया जा रहा है और सभी लोगों को अपने घरो मे ही रहने को कहा जा रहा है.
4. बागवानी पर प्रभाव:-
1. श्रमिकों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जाने में प्रतिबंध के कारण सब्जियों की तुड़ाई समय पर नही हो पाई परिणामस्वरूप उपज में खराबा हुआ.
2. मुख्य फल-सब्जी मण्ड़ी बंद होने के कारण उपज को स्थानीय बाजार मे अपेक्षाकृत कम दामों में बेचना पड़ा.
3. परिवहन सेवा बंद होने के कारण फल-सब्जियों को दूरस्थ बाजार में नही भेज पाए और मजबूरन सथानीय बाजार या गावों में कम दर पर बेचना पड़ा.
4. समय पर कीट एवं बीमारी नाशक रसायन नही मिलने से सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हुआ.
5. जायद एवं गर्मी की सब्जियों के बीज नही मिलने से समय पर बुवाई नही हो पाई.
6. मधुमक्खी की यूनिट्स (डिब्बों) को अन्तर्राज्यीय स्थानान्तरण में परेशानी आ रही है.
5. पशुपालन व पशु उत्पादन पर प्रभाव:-
1. पर्याप्त मात्रा एवं गुणवत्ता का पशुआहार नही मिलने से दुग्ध उत्पादन घट गया.
2. बाजार में पशु आहार की कीमत बढ़ जाने से दुग्ध उत्पादन लागत बढ़ गई.
3. दुग्ध उत्पादों (दही, पनीर, मावा, रसगुल्ला, मिठाई इत्यादि) की दुकानें बंद होने से दूध बिक्री में समस्या का सामना करना पड़ा.
4. समय पर दवाईयाँ एवं चिकित्सको की अनुपलब्धता की वजह से बीमार पशओं के उपचार में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
6. प्रक्षेत्र आयातो (Farm Inputs) पर प्रभाव:-
किसानों के काम आने वाले उपकरणों व मशीनों के उपयोग पर लॅाकडाउन का बहुत विपरित प्रभाव पड़ा है. बाजार बंद होने के कारण कृषि उपकरणों की खरीद व मरम्मत करवाने में किसानो को काफी परेशानीयों का सामना करना पड रहा है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी किसान का ट्रेक्टर/ट्राली/अन्य मशीन पंचर हो जाये तो उसको ठीक करवाने के लिए कृषकों को भारी मशक्त करनी पड़ती है.
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अगर परिस्थितियोंवश लॅाकडाउन को सरकार को आगे बढ़ाना पड़े (1-2 महीने के लिए) तो भविष्य में क्षेत्र के कृषको का निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:-
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कृषकों की सभी जिन्सो की बिक्री नही हो पायेगी जिससे किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है.
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कृषकों को अपने उत्पादों को कम दाम पर बेचने पर मजबूर होना पडे़गा.
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क्योंकि क्षेत्र के किसान जून माह से खरीफ फसलों की तैयारी शुरू कर देता है, इसलिए लॅाकडाउन बढ़ने की स्थिति में किसान खरीफ की फसलों के लिए समय पर तैयारी नही कर पायेगा.
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कृषकों की आगामी फसल के लिए आवश्यक कृषि आयातें (Farm Inputs) जैसे खाद, बीज, दवाईयाँ इत्यादि समय पर नही मिल पायेगी या फिर कालाबाजारी से मिलेंगी जिनकी किसानों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
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चूँकी कृषि विभाग के सारे कार्यालय बंद पड़े है तो कृषक अपनी कृषि से संबंधित समस्याओं का समय पर उचित समाधान पा सकने में भी असमर्थ होगें.
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कृषि की नई तकनीकियों व नये ज्ञान का संचार भी किसानों तक नही पहुँच पायेगे.
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इस दौरान किसानो के लिए कृषि विशेषज्ञयों की भी अनुपलब्धता रहेंगी.
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क्योंकि किसानों के पास धन की आपूर्ति बाधित रहेगी अतः किसान अपने दूसरे निजी (घर की मरम्मत करवाना) व सामाजिक कार्य (शादी-विवाह, धार्मिक कार्य इत्यादि) नही कर पायेगा.
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पूर्व निर्धारित देनदारियों को धन के अभाव में पूर्ण नही कर पाने के कारण कृषकों को व्यवहारिक/सामाजिक मान-सम्मान का नुकसान सहना पड़ सकता है जिसका खामियाजा किसानों को आने वाले समय में भुगतना पड़ सकता है.
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दैनिक जीवन की वस्तुओं की कीमतें व कालाबाजारी दोनो बड़ सकती है.
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पशुआहारों की कमी/अनुपलब्धता से पशुधन पर विपरित प्रभाव पड़ेगा.
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मार्केट की अनुपलब्धता व मजदूरो की कमी से सब्जी उत्पादन, फल-फूल उत्पादन, मधुमक्खी व मत्स्य पालन एवं मुर्गी पालन पर विपरित प्रभाव पडे़गा.
कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव से बचने के लिए किसानों द्वारा अपनाई जा रही सावधानियाँ:-
1. मुंह एवं नाक को गमछा से ढ़क कर रहते है.
2. हाथों को साबुन के पानी से धो कर साफ रख रहें है.
3. अपने घर पर ही रहते है या फिर खेत पर जाते है अन्यत्र नही घूमते है.
4. गांवों में भीड़ इकट्ठी होने वाले सभी कार्यक्रम (धार्मिक एवं वैवाहिक) निरस्त कर दिये गये है.
5. साफ-सफाई का भी ध्यान रख रहे है.
6. कम्बाईन मशीन द्वारा फसल कटाई को प्राथमिकता दे रहे है.
7. सरकारी निर्देशो (सामाजिक दूरी बनाये रखना, आँख- मुँह को बार-बार न छुने, रुमाल/गमछा/मास्क का उपयोग करना, साफ- सफाई का ध्यान रखना ईत्यादि) का स्वयं बखूबी पालन कर रहे हैं व दूसरों को भी इसके लिये उत्साहित कर रहें है.
8. किसी भी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होने पर तुरन्त चिकित्सकों से सम्पर्क कर रहें हैं.
9. लॅाकडाडन की वजह से किसानो को हो रही परेशानियों को दूर करने के लिए भारत सरकार/राज्य सरकार/केन्द्र शासित सरकारे द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रकार के दिशानिर्देश, परेशानियों का सामना करने के उपाय एवं विभिन्न समस्याओं के तकनीकी एवं विज्ञान सम्मत समाधान सुझाऐ किये जा रहे हैं. लॅाकडाडन के दौरान क्षेत्र के किसान भी इन सुविधाओं जैसा कि आरोग्य सेतु एैप मोबाईल फोन में इन्सटाल करना, किसान रथ सुविधा का उपयोग करना, कृषि उत्पादो को मण्डीयों में बेचने के लिये ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन इत्यादि सुविधाओ का उपयोग किया जा रहा है.
10. लॅाकडाडन की वजह से किसानो को हो रही परेशानियों का समाधान करने व किसानो को सुविधाऐ प्रदान करने के लिए कृषि विभाग के विभिन्न कार्यालयों जैसे कि के. वी. के., भा. कृ. अनु. प. के विभिन्न संस्थान, ए. आर. एस., राज्य सरकार के विभिन्न कृषि कार्यालय इत्यादि द्वारा किसानों से लगातार सम्पर्क बनाया जा रहा है. किसानों को लगातार फोन द्वारा/ मैसेज द्वारा/वाट्स ऐप द्वारा व समय-समय पर परामर्शिकाऐं (Agricultural Advisories) जारी करके कृषकों की इस कठिन समय में मदद की जा रही है.
लेखक : जी. एल. मीना1*, आर. के. सिंह1,
अनीता कुमावत1, हेमराज मीना1, अशोक कुमार1,
बी. एल. मीना1 एवं अजय यादव1
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